जम्मू-कश्मीर: पंपोर में सुरक्षाबलों पर आतंकी हमला, 3 जवान शहीद 9 घायल
सीआरपीएफ के काफिले पर शनिवार को आतंकी हमले में तीन जवान शहीद हो गए। क्रास फायरिंग में एक नागरिक भी मारा गया है। दस जवान जख्मी हुए हैं। हमला लालचौक से करीब 17 किलोमीटर दूर श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित सेमपोरा (पांपोर) में किया गया।
श्रीनगर। सीआरपीएफ के काफिले पर शनिवार को आतंकी हमले में तीन जवान शहीद हो गए। क्रास फायरिंग में एक नागरिक भी मारा गया है। दस जवान जख्मी हुए हैं। हमला लालचौक से करीब 17 किलोमीटर दूर श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित सेमपोरा (पांपोर) में किया गया। सुरक्षाबलों की जवाबी कार्रवाई से बचने के लिए आतंकी निकटवर्ती उद्यमिता विकास संस्थान (ईडीआइ) परिसर में घुस गए। सुरक्षाबलों ने आतंकियों की गोलीबारी के बीच ही ईडीआइ परिसर में फंसे 120 लोगों को बाहर निकाला।
ईडीआइ परिसर में घुसे आतंकियों की संख्या तीन से चार बताई जा रही है। सीआरपीएफ के प्रवक्ता भावेश चौधरी ने बताया कि जम्मू से जवानों को लेकर कानवाय आ रही थी कि अचानक ईडीआइ परिसर के पास उसपर हमला हो गया। हमले में शहीद सीआरपीएफ जवानों की पहचान चालक कांस्टेबल आरके राणा निवासी हिमाचल और भोला सिंह निवासी मध्यप्रदेश के रूप में हुई है। वहीं घायल सीआरपीएफ कर्मियों की पहचान राकेश कुमार, कन्हैया कुमार, संजीव, मुनीम कुमार, राजू ठाकुर, बरुणा ठाकुर, जे नेगी, परमा ठाकुर के रूप में हुई है।
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वहीं क्रास फायरिंग की चपेट में आकर मारे गए व्यक्ति की पहचान अब्दुल गनी मीर के रूप में हुई है। वह ईडीआइ का कर्मी है और वहां माली का काम करता था। पांपोर से मिली सूचनाओं के मुताबिक शाम करीब सवा चार बजे ईडीआइ परिसर से कुछ ही दूरी पर आतंकियों ने सीआरपीएफ के वाहनों पर स्वचालित हथियारों से फायरिंग करते हुए ग्रेनेड भी फेंका। इस हमले की चपेट में एक बस आई और उसमें सवार दस जवान जख्मी हो गए। अन्य जवानों ने अपनी पोजीशन लेकर जवाबी फायर किया। इस बीच, घायल जवानों को पहले पांपोर अस्पताल ले जाय गया, जहां एक जवान ने कुछ ही देर में दम तोड़ दिया, जबकि दूसरे घायल जवान की मौत लगभग एक घंटे बाद हुई।
पुलिस व सेना के बीच फंसे आतंकीआतंकियों ने श्रीनगर की तरफ भागने का प्रयास किया। लेकिन दूसरी तरफ राज्य पुलिस के जवानों की एक जिप्सी थी और उसमें मौजूद जवानों ने गोलियों की आवाज सुनकर पहले ही अपनी पोजीशन लेते हुए फायरिंग शुरू कर दी थी। खुद को फंसता देख आतंकी निकटवर्ती ईडीआइ परिसर में दाखिल हो गए। आतंकियों को परिसर में घुसते देख जवानों ने भी उसकी घेराबंदी शुरू कर दी। कुछ ही देर में उन्होंने पूरा परिसर घेर लिया।
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120 लोग थे मौजूद
ईडीआइ परिसर में रही अफरातफरीगोलियां चलाते हुए आतंकी जैसे ही भीतर दाखिल हुए, पूरे ईडीआइ परिसर में अफरा-तफरी मच गई। उस समय वहां लगभग 120 के करीब लोग मौजूद थे। इनमें से 90 प्रशिक्षु थे जो वहां विभिन्न प्रकार के कामधंधों का प्रशिक्षण ले रहे हैं। इनमें बड़ी संख्या में महिलाएं हैं। इसके अलावा 30 के करीब कर्मी थे। ये सभी लोग अपनी जान बचाने के लिए सुरक्षित स्थानों की तरफ भागने लगे। आतंकी सीधे मुख्य परिसर में दाखिल हो गए और उन्होंने फायरिंग करते हुए वहां मौजूद सभी लोगों को भागने के लिए कहा। परिसर में आम लोगों को देख सुरक्षाबलों ने अपनी तरफ से गोली चलाना बंद कर दी, लेकिन घेरा डाल लिया। सूत्रों ने बताया कि आतंकियों ने सुरक्षाबलों को परिसर में दाखिल होने से रोकने के लिए फायरिंग जारी रखी। सुरक्षाबलों ने आतंकियों की गोलियों के बीच ही वहां फंसे लोगों को निकालने का अभियान शुरू किया। यह अभियान 5.40 बजे शुरू हुआ और लगभग दो घंटे तक चला। इस दौरान हुई फायरिंग में भी दो जवान जख्मी हुए। रात तक आतंकियों के साथ मुठभेड़ में कुल मिलाकर दस जवान व एक नागरिक जख्मी हुआ था।
आतंकी बोले सिर्फ फौज हमारी दुश्मन
अब भी फंसे हैं कुछ लोग ईडीआइ के एक कर्मी ने कहा कि हमारे कुछ साथी कंप्यूटर लैब में फंस गए हैं। लेकिन सेना, पुलिस और सीआरपीएफ के किसी भी अधिकारी ने इस संदर्भ में कुछ भी कहने से इन्कार किया है। बताया यह भी जा रहा है कि सुरक्षाबलों से बचने के लिए ईडीआइ परिसर में दाखिल हुए आतंकियों ने वहां मौजूद लोगों से कहा कि आप घबराओ नहीं, आप लोग फौरन यहां से बाहर निकलो। हम आपके ही साथी हैं, सिर्फ फौज हमारी दुश्मन है। ईडीआइ कर्मी इश्फाक मीर ने कहा कि हमले के समय सवा सौ के करीब लोग भीतर थे। जब मैं बाहर आया तो सात आठ लोग अंदर ही रह गए थे। हमारे एक माली की टांग में भागते हुए गोली लगी है। अलबत्ता, ईडीआइ के निदेशक मुहम्मद इसमाइल पर्रे ने कहा कि हमारे सभी कर्मी व अन्य लोग सुरक्षित बाहर निकाल लिए गए हैं।
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आतंकियों के लिए पथरावस मपोरा स्थित ईडीआइ परिसर में आतंकियों के घिर जाने की खबर फैलते ही पांपोर में बड़ी संख्या में युवक उत्तेजक नारेबाजी करते हुए सड़क पर जमा हो गए। उन्होंने नारेबाजी करते हुए ईडीआइ परिसर की तरफ मार्च शुरू कर दिया। ताकि वहां घेराबंदी डाले सुरक्षाबलों का ध्यान बंटाकर आतंकियों को भागने का मौका दिया जाए। लेकिन मुठभेड़स्थल से करीब तीन किलोमीटर पहले ही पुलिस ने उन्हें रोक लिया और इससे उत्तेजित हो वह पथराव पर उतर आए। उन्हें काबू करने के लिए पुलिस को भी बल प्रयोग करना पड़ा।