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फड़नवीस सरकार पर फिर भ्रष्टाचार के आरोप

फड़नवीस सरकार पर इससे पहले भी भ्रष्टाचार के कुछ आरोप लग चुके हैं।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Thu, 03 Aug 2017 06:49 PM (IST)Updated: Thu, 03 Aug 2017 06:49 PM (IST)
फड़नवीस सरकार पर फिर भ्रष्टाचार के आरोप
फड़नवीस सरकार पर फिर भ्रष्टाचार के आरोप

 राज्य ब्यूरो,  मुंबई। महाराष्ट्र की देवेंद्र फड़नवीस सरकार एक बार फिर भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरती दिख रही है। मुख्यमंत्री ने आरोपों से घिरे एक अधिकारी की जांच के आदेश दे दिए हैं। जबकि अपने मंत्री पर लग रहे आरोपों को वह राजनीतिक उद्देश्यों से प्रेरित बता रहे हैं।

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महाराष्ट्र के गृह निर्माण मंत्री प्रकाश मेहता एक साथ दो आरोपों से घिरते दिख रहे हैं। बुधवार को विधान परिषद में नेता विरोधी दल धनंजय मुंडे ने झोपड़पट्टी पुनर्विकास प्राधिकरण में भ्रष्टाचार का मसला उठाया था। उनका आरोप था कि दक्षिण मुंबई के ताड़देव इलाके में एमपी मिल की भूमि पर विकास के मामले में मुंडे ने आरोप लगाया था कि प्रकाश मेहता ने मुख्यमंत्री के नाम का दुरुपयोग कर भवननिर्माता को 800 करोड़ रुपयों का लाभ पहुंचाया।

यह मामला ठंडा भी नहीं हो पाया कि विधानसभा में नेता विरोधी दल राधाकृष्ण विखे पाटिल ने प्रकाश मेहता पर एक नया आरोप मढ़ दिया है। पाटिल का कहना है कि मेहता ने बिल्डर से छीना गया 18,902 वर्ग मीटर का भूखंड म्हाडा से वापस लेकर एक विकासकर्ता को दे दिया है। गृह निर्माण मंत्री प्रकाश मेहता के अलावा एक वरिष्ठ नौकरशाह भी फंसते दिखाई दे रहे हैं।

इन दिनों मुंबई - नागपुर समृद्धि महामार्ग परियोजना के प्रमुख अधिकारी की भूमिका निभा रहे एमएसआरडीसी के उपाध्यक्ष राधेश्याम मोपलवार की बातचीत का एक टेप सामने आया है, जिसमें वह किसी बिचौलिए से अपने लिए एक करोड़ और मंत्रालय में देने के लिए दो करोड़ रुपयों की मांग करते दिख रहे हैं। उक्त दोनों मामलों ने साफसुथरी होने का दावा करनेवाली फड़नवीस सरकार को सांसत में डाल दिया है।

मुख्यमंत्री ने मोपलवार का मामला जांच के लिए भेज दिया है। उनका कहना है कि यदि मोपलवार का ऑडियो टेप सही पाया गया तो उनके विरुद्ध उचित कार्रवाई की जाएगी। जबकि अपने वरिष्ठ मंत्री प्रकाश मेहता का बचाव करते हुए उनपर लग रहे आरोपों को राजनीति से प्रेरित करार दिया है।

फड़नवीस सरकार पर इससे पहले भी भ्रष्टाचार के कुछ आरोप लग चुके हैं। सरकार बनने के कुछ समय बाद ही एक मंत्री पंकजा मुंडे पर चिक्की घोटाले में शामिल होने के आरोप लगे। फिर शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े पर उनकी ही डिग्री के घोटाले का आरोप लगा। पिछले साल ही राजस्व मंत्री एकनाथ खडसे को भूखंड आरोप के घोटाले में ही त्यागपत्र देना पड़ा था।

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