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जानिए कहां है मध्य प्रदेश का यह अनूठा गांव, जहां आपस में ही सुलझा लिए जाते हैं विवाद, थाने में दर्ज नहीं होते मामले

ग्रामीण कहते हैं यह हमारे गांव का न्यायालय है और यहां झगड़े आसानी से सुलझा लिए जाते हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि इन फैसलों के लिए कोई समिति आदि नहीं बनी है। बुजुर्गो की अगुआई में ही सभी फैसले लिए जाते हैं।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Thu, 07 Jan 2021 06:36 PM (IST)Updated: Fri, 08 Jan 2021 09:15 AM (IST)
जानिए कहां है मध्य प्रदेश का यह अनूठा गांव, जहां आपस में ही सुलझा लिए जाते हैं विवाद, थाने में दर्ज नहीं होते मामले
सामूहिक सहयोग से करते हैं हर काम

शशांक चौबे, जबलपुर। मध्य प्रदेश के मंडला जिला मुख्यालय से 28 किलोमीटर दूर आदिवासी बहुल मलपठार गांव के लोगों ने सामूहिक सहयोग की अनूठी मिसाल पेश की है। यहां ग्रामीणों के बीच विवाद की स्थिति बनती है तो थाने में किसी तरह का मामला दर्ज कराने के बजाय समस्या मिलकर सुलझा ली जाती है। समझौता हो या अन्य कोई भी काम, गांव में सब कुछ सामूहिक निर्णय से ही होता है। किसी भी तरह के आयोजन में गांव के लोग एक-दूसरे की मदद करते हैं।

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मलपठार जंगल में बसा वनग्राम है और इसकी आबादी महज 358 है, लेकिन नवाचार और आदर्श पेश करने के मामले में यह शहरों को भी सीख दे सकता है। ग्रामीण उदय सिंह केराम का कहना है कि गांव में प्रत्येक माह 27 व 28 तारीख को बैठक होती है। इसमें बुजुर्ग और युवा गांव के विकास पर चर्चा करते हैं। अगर कोई समस्या सुलझानी है या कोई विवाद हुआ है तो दोनों पक्षों को समझाकर मामले का हल निकाल लिया जाता है। जिस पक्ष की गलती सामने आती है, उससे मामूली जुर्माना (21 या 51 रुपये) लिया जाता है। यह भी गांव के विकास में उपयोग होता है। यदि किसी के पास जुर्माने का पैसा नहीं होता है तो प्रसाद खिलाकर विवाद सुलझा लिया जाता है। ग्रामीण कहते हैं यह हमारे गांव का न्यायालय है और यहां झगड़े आसानी से सुलझा लिए जाते हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि इन फैसलों के लिए कोई समिति आदि नहीं बनी है। बुजुर्गो की अगुआई में ही सभी फैसले लिए जाते हैं। हाल ही में जिला विधिक सहायता प्राधिकरण ने इसका चयन विवादहीन गांव के रूप में किया है।

गांव में नहीं मिलती शराब

गांव में शराबबंदी कई दशकों से चली आ रही है। गांव में ना तो शराब बनती है और ना कोई इसका सेवन कर सकता है। ग्रामीण सूरज सिंह परते ने बताया कि हमारा गांव आदिवासी बहुल है। प्रत्येक कार्य में देवी-देवता को शराब चढ़ाने की परंपरा थी, लेकिन इसे बदल दिया गया है। अब शराब नहीं, प्रसाद चढ़ाते हैं।

गांव के सहयोग से सामाजिक कार्य

सामाजिक कार्यो में सभी आपस में सहयोग करते हैं। यदि किसी के घर विवाह समारोह है तो उसे सभी लोग चावल, दाल और नकद राशि देकर सहयोग करते हैं। गांव के निवासी ओमकार सिंह उइके का कहना है कि शादी या अन्य समारोह में यहां के आदिवासी अपनी पारंपरिक वेशभूषा धोती, कुर्ता और पगड़ी लगाकर भोजन परोसते हैं। अब ग्रामीणों ने गांव को पालीथिन मुक्त बनाने का संकल्प लिया है। गांव के लोग रास्तों में बिखरी पालीथिन को भी इकट्ठा करके हटा देते हैं।

महाराजपुर मंडला के थाना प्रभारी रामेश्वर ठाकुर ने बताया कि मलपठार गांव में छोटे-मोटे विवाद जो होते हैं, वे उसे आपस में ही सुलझा लेते हैं। पिछले तीन साल से इस गांव को कोई मामला महाराजपुर थाने में दर्ज नहीं है।

मंडला तहसीलदार के अनिल जैन ने बताया कि मलपठार गांव में सामाजिक समरसता का माहौल है। गांववाले प्रशासन को सदैव समस्त शासकीय कार्य में सहयोग करते हैं।


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