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प्रेस की आजादी के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, केंद्र सरकार के समक्ष रखें अपना पक्ष

याचिका में दावा किया गया कि दुर्भावनापूर्ण अभियोजन से प्रेस की आजादी को बचाने के लिए कोई प्रावधान नहीं है और इसके लिए कुछ गाइडलाइंस बनाने की जरूरत है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Tue, 16 Jun 2020 06:03 PM (IST)Updated: Tue, 16 Jun 2020 06:03 PM (IST)
प्रेस की आजादी के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, केंद्र सरकार के समक्ष रखें अपना पक्ष
प्रेस की आजादी के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, केंद्र सरकार के समक्ष रखें अपना पक्ष

नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को मुंबई के वकील घनश्याम उपाध्याय से कहा कि वह अपना पक्ष केंद्र सरकार के समक्ष रखें। उपाध्याय ने याचिका में मांग की थी कि समाचारों के प्रकाशन या प्रसारण के लिए किसी पत्रकार के खिलाफ तब तक कोई एफआइआर दर्ज नहीं की जानी चाहिए जब तक भारतीय प्रेस परिषद (PCI) या कोई अन्य न्यायिक प्राधिकरण उसकी मंजूरी प्रदान न कर दे। याचिका में दावा किया गया कि दुर्भावनापूर्ण अभियोजन से प्रेस की आजादी को बचाने के लिए कोई प्रावधान नहीं है और इसके लिए कुछ गाइडलाइंस बनाने की जरूरत है।

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कुछ समाचाह चैनलों को बनाया जा रहा है निशाना

प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इसमें दावा किया गया कि कुछ समाचार चैनलों को निशाना बनाया जा रहा है और विभिन्न राज्यों में उनके खिलाफ कई एफआइआर दर्ज की जा रही हैं ताकि उनकी आवाज दबाई जा सके और उन्हें समाज विरोधी और राष्ट्रविरोधी व्यक्तियों की नापाक और खतरनाक गतिविधियों के प्रति लोगों को जागरूक करने से रोका जा सके। इसमें पीसीआइ को भी इस संबंध में नीति बनाने और शीर्ष अदालत में दाखिल करने के निर्देश देने की मांग की गई।


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