पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों पर नितिन गडकरी ने कहा, देश को वैकल्पिक ईधन अपनाने की जरूरत
गडकरी ने कहा कि वह पहले से ही बिजली को ईधन के रूप में अपनाने की बात कर रहे हैं क्योंकि देश में बिजली की आपूर्ति उसकी मांग से अधिक है। उनका मंत्रालय हाइड्रोजन बैट्री भी विकसित कर रहा है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों पर लगाम के तरीके पर सरकारों की चुप्पी से स्पष्ट है कि फिलहाल इन पर टैक्स कटौती की कोई कवायद नहीं होगी। इसके साथ ही केंद्र सरकार ने यह संकेत भी दे दिया है कि राहत चाहिए तो वैकल्पिक ईधन चुनने होंगे। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार को पेट्रोल व डीजल की बढ़ती कीमतों के बारे में पूछे जाने पर देश को वैकल्पिक ईधन अपनाने की सलाह दी। गडकरी ने कहा कि वह पहले से ही बिजली को ईधन के रूप में अपनाने की बात कर रहे हैं, क्योंकि देश में बिजली की आपूर्ति उसकी मांग से अधिक है।
आम ग्राहक इलेक्ट्रिक वाहन की ओर आकर्षित नहीं
उनका मंत्रालय हाइड्रोजन बैट्री भी विकसित कर रहा है। यह और बात है कि इलेक्टि्रक वाहन की कीमत आम भारतीय ग्राहक की पहुंच से बाहर है और फिलहाल उसमें कमी के संकेत नहीं हैं। देश की वर्तमान बिजली उत्पादन क्षमता 3.75 लाख मेगावाट हैं। लेकिन कीमत एवं चार्जिग इन्फ्रा के अभाव के चलते आम ग्राहक इलेक्टि्रक वाहन की ओर आकर्षित नहीं हो रहे हैं। देश के कुल वाहनों में इलेक्टि्रक वाहनों की हिस्सेदारी दो फीसद भी नहीं हो पाई है। दूसरी तरफ विशेषज्ञों का मानना है कि डीजल की कीमत में बढ़ोतरी से महंगाई बढ़ेगी, जिससे देश का विकास सीधे प्रभावित होगा।
एक सप्ताह में पेट्रोल हो चुका 2.36 रुपये प्रति लीटर महंगा
पिछले एक सप्ताह में दिल्ली में पेट्रोल की कीमतों में 2.36 रुपये और डीजल में 2.91 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी हुई है। इस वर्ष अब तक पेट्रोल और डीजल के दाम में 20 बार बढ़ोतरी हो चुकी है। इस वर्ष अब तक पेट्रोल 5.58 रुपये और डीजल 5.85 रुपये प्रति लीटर महंगा हो चुका है। दिल्ली में मंगलवार को पेट्रोल 89.29 रुपये और डीजल 79.70 रुपये प्रति लीटर के भाव पर बिका। राजस्थान के गंगानगर में पेट्रोल का भाव सैकड़ा पार कर चुका है। लेकिन केंद्र व राज्य सरकारें पेट्रोल व डीजल की बिक्री पर उत्पाद शुल्क व वैट में कोई कमी करने के पक्ष में नहीं हैं।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल अप्रैल-नवंबर में पेट्रोल व डीजल के उत्पाद शुल्क से केंद्र सरकार को 1,96,342 करोड़ रुपये की प्राप्ति हुई जबकि उससे पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में यह 1,32,899 करोड़ रुपये रहा था। अगर सरकार उत्पाद शुल्क में कटौती करती है तो सरकार का राजस्व और कम होगा, जिससे राजकोषीय घाटा प्रभावित होगा।
अभी एक लीटर पेट्रोल की बिक्री होने पर उत्पाद शुल्क के रूप में केंद्र सरकार को 32.98 रुपये और डीजल पर 31.83 रुपये मिलते हैं। कोरोना काल में राज्यों की वित्तीय हालत भी खराब है। इसलिए राज्य भी वैट में कटौती करने की पहल नहीं कर रहे हैं। राज्य पेट्रोल-डीजल पर 16-38 फीसद तक वैट वसूलते हैं।