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India China Border Tension: भारत ने कहा, सैनिकों की पूर्ण वापसी के लिए चीन दिखाए गंभीरता

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि चीन सैनिकों की पूर्व वापसी के लिए गंभीरता से काम करेगा और सीमा पर अमन-शांति स्थापित हो सके।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Thu, 06 Aug 2020 09:32 PM (IST)Updated: Thu, 06 Aug 2020 09:32 PM (IST)
India China Border Tension: भारत ने कहा, सैनिकों की पूर्ण वापसी के लिए चीन दिखाए गंभीरता
India China Border Tension: भारत ने कहा, सैनिकों की पूर्ण वापसी के लिए चीन दिखाए गंभीरता

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। पूर्वी लद्दाख स्थित एलएसी पर भारत व चीन के बीच बर्फ पिघलती नहीं दिख रही। दोनो देशों के बीच सैनिकों की वापसी को लेकर जो सहमति बनी थी वह जमीन पर लागू होती नहीं दिख रही। गुरुवार को भारत ने पूरे विवाद को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने व पूर्व में बनी सहमति के मुताबिक कदम उठाने की बात कही है। साथ ही चीन से भी कहा है कि वह पूरे मामले पर गंभीरता से मिल कर काम करे और अपने सैनिकों की पूर्ण वापसी सुनिश्चित करे। दूसरी तरफ चीन लगातार यह कह रहा है कि दोनो पक्षों की तरफ से सैनिकों की वापसी की जा रही है।

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विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा है कि ''5 जुलाई, 2020 को भारत व चीन के विशेष प्रतिनिधियों के बीच टेलीफोन पर बातचीत हुई थी और सीमा पर उत्पन्न स्थिति पर चर्चा हुई थी। दोनों प्रतिनिधियों के बीच यह सहमति बनी थी कि एलएसी से सैनिकों की द्विपक्षीय समझौतों व प्रोटोकोल के मुताबिक शीघ्र व पूर्ण वापसी होगी ताकि द्विपक्षीय रिश्तों को आसानी से आगे बढ़ाया जाए। भारत इस सहमति को लेकर प्रतिबद्ध है। हम उम्मीद करते हैं कि चीन हमारे साथ मिल कर सैनिकों की पूर्व वापसी के लिए गंभीरता से काम करेगा और सीमा पर अमन-शांति स्थापित हो सके।''

भारत जहां यह संदेश देने की कोशिश कर रहा है कि एलएसी पर चीन ने सैनिक वापस नहीं किये हैं, वहीं चीन के विदेश मंत्रालय की तरफ से लगातार यह जताने की कोशिश हो रही है कि दोनो तरफ से सहमति के आधार पर सैनिकों की वापसी की जा रही है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बुधवार को भी यही कहा है। जबकि नई दिल्ली स्थित चीन का दूतावास भी इस तरह की बयानबाजी में जुटा है जिससे ऐसा लगे कि हालात बहुत सामान्य है। 

भारत-चीन के बीच कोर कमांडर स्तर की पांचवें दौर की वार्ता के बेनतीजा रहने के मद्देनजर भी साफ संकेत है कि गतिरोध लंबा चल सकता है। इसको देखते हुए ही भारतीय सेना ने एलएसी के मोर्चे पर लंबे समय तक डटे रहने की अपनी तैयारी शुरू कर दी है। एलएसी पर सेना ने इस समय 30 हजार से अधिक सैनिकों की तैनाती कर रखी है, जिन्हें भीषण ठंड के मौसम में भी वहां डटे रहने के लिए तैयार किया जा रहा है।

रक्षा मंत्रालय ने 4 जुलाई को आधिकारिक वेबसाइट पर ताजा घटनाक्रम और गतिविधियों की जानकारी साझा करते हुए एक दस्तावेज अपलोड किया था। इसी दस्तावेज में 'एलएसी पर चीनी अतिक्रमण' शीर्षक के साथ पूर्वी लद्दाख में चीन के घुसपैठ की जानकारी साझा की गई। इसमें यह स्वीकार किया गया कि मई महीने से चीन की आक्रामकता लगातार बढ़ती जा रही है। विशेष रूप से गलवन घाटी में 5 मई के बाद उसकी आक्रामकता कहीं ज्यादा रही है। रक्षा मंत्रालय के अनुसार चीनी सैनिकों ने कुगरंग नाला, गोगरा और पैंगोंग लेक के उत्तरी किनारे पर 17-18 मई को अतिक्रमण किया। हालांकि, चीनी घुसपैठ पर आधिकारिक तरीके से सामने आए तथ्यों पर सरगर्मी बढ़ी तो रक्षा मंत्रालय ने वेबसाइट से दस्तावेज के इस अंश को चुपचाप हटा लिया।


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