कोरोना के नए रूप ओमिक्रोन ने बढ़ाई दुनिया की चिंता, जानें कितना घातक है यह वैरिएंट
कोरोना के नए रूप ओमिक्रोन में कुल 50 म्युटेशन यानी बदलाव हो चुके हैं जिनमें अकेले 32 म्युटेशन इसके स्पाइक प्रोटीन में हुए हैं। इनमें से दस ऐसे हिस्सों में हैं जो संक्रमण की दर बीमारी की गंभीरता और वैक्सीन के असर को निर्धारित करते हैं।
रंजना मिश्र। कोरोना ने एक नया रूप लेकर फिर से दुनिया में दस्तक दी है। इस वैरिएंट का नाम है ओमिक्रोन। कहा जा रहा है कि यह वैक्सीन के असर को भी बेअसर कर सकता है। यानी जिन लोगों ने वैक्सीन की दोनों डोज लगवा ली हैं, उन्हें भी बहुत सावधान रहने की जरूरत है। इसका सबसे बड़ा कारण है, इस वैरिएंट में असामान्य रूप से लगातार होने वाला म्युटेशन।
म्युटेशन का मतलब है कि कैसे यह लगातार अपना रूप बदल रहा है। इस वैरिएंट में कुल 50 म्युटेशन यानी बदलाव हो चुके हैं, जिनमें अकेले 32 म्युटेशन इसके स्पाइक प्रोटीन में हुए हैं। कोरोना वायरस के चित्र में जो कांटे दिखाए जाते हैं, वे स्पाइक प्रोटीन होते हैं। ज्यादातर वैक्सीन वायरस के स्पाइक प्रोटीन पर ही हमला करती हैं। इन्हीं स्पाइक प्रोटीन के जरिये वायरस इंसानों के शरीर में प्रवेश करता है।
वैक्सीन इन स्पाइक प्रोटीन की पहचान करने के लिए शरीर के इम्यून सिस्टम को मजबूत करती है। जब वायरस वैक्सीन युक्त शरीर में प्रवेश करता है तो इम्यून सिस्टम उसके खिलाफ अपनी लड़ाई शुरू कर देता है। दुनिया भर में उपयोग होने वाली ज्यादातर वैक्सीन एमआरएनए और वेक्टर आधारित हैं। इनमें अमेरिका की फाइजर और माडर्ना हैं, ब्रिटेन की एस्ट्राजेनेका है, जिसे भारत में कोविशील्ड के नाम से लगाया जा रहा है और रूस की स्पूतनिक भी इन्हीं में शामिल है। ये सभी वैक्सीन वायरस के स्पाइक प्रोटीन पर हमला करके वायरस को हराती हैं, लेकिन जब म्युटेशन की वजह से वायरस के प्रोटीन का स्ट्रक्चर ही बदल चुका है तो इन टीकों को भी बदलना होगा, नहीं तो इनका असर कम हो जाएगा।
ऐसी आशंका है कि ये वैक्सीन इस वैरिएंट पर कम प्रभावी या शायद बिल्कुल भी प्रभावी न हों। हालांकि राहत की बात यह है कि कोरोनारोधी मौजूदा टीकों के स्ट्रक्चर को बदलने में ज्यादा लंबा समय नहीं लगेगा। यह काम आसानी से और कुछ ही महीनों में पूरा किया जा सकता है। अमेरिका की माडर्ना कंपनी ने बताया है कि उसकी मौजूदा वैक्सीन ओमिक्रोन वैरिएंट पर कम प्रभावी हो सकती है। उसने जल्द ही नई वैक्सीन लाने की बात कही है। माडर्ना के यह बताने पर कि उसकी मौजूदा वैक्सीन इस वैरिएंट पर ज्यादा प्रभावशाली नहीं है, पूरी दुनिया में चिंता की लहर दौड़ गई है।
हालांकि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) ने कहा है कि कोवैक्सीन ओमिक्रोन वैरिएंट के खिलाफ प्रभावी साबित हो सकती है, क्योंकि यह वैक्सीन वायरस की निष्क्रिय कोशिकाओं से बनाई गई है। यह सिर्फ उसके स्पाइक प्रोटीन पर हमला न करके पूरे वायरस को ही नष्ट करने का काम करती है। भारत में अब तक कोरोनारोधी वैक्सीन की लगभग 124 करोड़ डोज लग चुकी हैं। इनमें कोविशील्ड की 99 करोड़ 54 लाख, कोवैक्सीन की 12 करोड़ 68 लाख और स्पूतनिक की 11 लाख डोज हैं। दक्षिण अफ्रीका में अब तक सिर्फ छह प्रतिशत लोगों को ही टीका लगा है, क्योंकि उसके पास ज्यादा वैक्सीन हैं ही नहीं। दक्षिण अफ्रीका ने 24 नवंबर को पहली बार बताया था कि वहां पर कुछ लोग कोरोना के नए वैरिएंट से संक्रमित हुए हैं। इसके बाद डब्ल्यूएचओ ने भी इसकी अधिकारिक पुष्टि की और इसे वैरिएंट आफ कंसर्न घोषित किया। ओमिक्रोन भारत सहित दुनिया के 23 देशों में प्रवेश कर चुका है और धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है। यह वैरिएंट आरटीपीसीआर टेस्ट से छिप नहीं सकता। डेल्टा वैरिएंट के काफी मामलों में देखा गया था कि वह आरटीपीसीआर टेस्ट को भी चकमा दे देता था, जिससे उसकी ट्रेसिंग मुश्किल हो गई थी।
अच्छी बात है कि ओमिक्रोन से संक्रमित किसी भी मरीज में गंभीर लक्षण नहीं देखे गए हैं। किसी भी मरीज ने अब तक सांस में तकलीफ की शिकायत नहीं की है। ज्यादातर मरीजों को मांसपेशियों में दर्द, थकान, तेज बुखार, खांसी, सिरदर्द और हाई पल्स रेट के लक्षण दिखे हैं। हालांकि इटली में हुए अध्ययन में यह पता चला है कि यह वैरिएंट डेल्टा की तुलना में सात गुना ज्यादा संक्रामक है। अभी यह स्पष्ट नहीं है कि आगे चलकर यह खतरनाक होगा कि नहीं, लेकिन इससे निपटने को लेकर हमें अभी से अपनी तैयारियों को पुख्ता कर लेना होगा। अभी अलग-अलग देशों के विज्ञानी इस विषय में कई तरह की बातें कर रहे हैं। बहरहाल डब्ल्यूएचओ ने लोगों से सावधानी बरतने को कहा है। लोगों को मौजूदा वैक्सीन लगवानी चाहिए, मास्क लगाना चाहिए और शारीरिक दूरी का पालन करना चाहिए, क्योंकि बचाव के अभी सिर्फ यह तरीके हैं।
[विज्ञान की जानकार]