अपनी थाली में रखें पोषण का विशेष ख्याल, जानें- बच्चों, युवा, महिलाओं व बुजुर्गों का पूरा डाइट चार्ट
Nutrition Diet Plan कहीं ऐसा तो नहीं कि थाली में खाना तो भरपूर है लेकिन न्यूट्रिशन के नाम पर कुछ नहीं। पोषण के लिहाज से कहीं थाली वास्तव में खाली तो नहीं...
नई दिल्ली, यशा माथुर। Nutrition Diet Plan जब भी आप खाना बनाएं या खाएं तो यह सोच जरूर रखें कि आपकी थाली में पोषण कितना है? आपके परिवार का पोषण जितना संतुलित और अच्छा होगा उतना ही आप सभी एक्टिव व स्मार्ट होंगे। थाली में परोसी गई हर चीज आपके मेटाबॉलिज्म पर प्रभाव डालती है। आप इस थाली को कितना पोषक बना सकती हैं यह आपके हाथ में है। इस बारे में कितना सोचती हैं? कहीं ऐसा तो नहीं कि थाली में खाना तो भरपूर है, लेकिन न्यूट्रिशन के नाम पर कुछ नहीं। पोषण के लिहाज से कहीं थाली वास्तव में खाली तो नहीं...
छुट्टी का दिन है, सब लोग रिलैक्स मूड में हैं। कुमुद ने पूछा आज नाश्ता क्या बनाऊं? पति ने झट से कहा कि मौसम सुहाना है पकौड़े हो जाएं। कुमुद ने भी सोचा कि सब लोग पकौड़े शौक से खा लेंगे, मूड भी अच्छा होगा और सभी एंजॉय करेंगे। बस वह जुट गईं पकौड़े बनाने में। तीखी हरी चटनी और चाट मसाले के साथ पकौड़े खाए गए। क्षुधा तृप्त हुई, लेकिन शरीर को कोई एनर्जी नहीं मिली।
बस पेट भरा, मजा आया और जीभ का स्वाद बदला। इसकी जगह अगर बेसन का वेजीटेबल चीला खाया जाता तो परिवार को पोषण मिलता। दूसरी ओर, शालिनी सिन्हा इन दिनों परेशानी में रहती हैं कि बच्चे और बड़े सब घर पर हैं। उन्हें वह घर में बना खाना खिला रही हैं। सबकी भूख तो वह शांत रखती हैं, लेकिन उनकी चिंता इस बात को लेकर रहती है कि वह ऐसा क्या बनाएं और खिलाएं कि घर के सदस्यों को पूरे पोषक तत्व मिलते रहें और उनका न्यूट्रिशन समस्या न बने।
आम रसोई में खास पोषण: आम घरों में संतुलित पोषण कोई मुश्किल काम नहीं है। बस एक जागरूक सोच की जरूररत है। रसोई में रोज के खाने में पोषण के तत्व आसानी से शामिल किए जा सकते हैं। सिर्फ अपनी थाली के भोजन के जरिए ही शारीरिक और मानसिक रूप से फिट रहा जा सकता है। कोलंबिया एशिया अस्पताल की सीनियर न्यूट्रिशनिस्ट डॉ.शालिनी गर्विन ब्लिस कहती हैं, घर की रसोई से पोषण बनाए रखना बहुत मुश्किल नहीं है।
अगर समय कम है तो भी हम बैलेंस्ड डाइट ले सकते हैं। दाल, सब्जी अलग से नहीं बना पा रही हैं तो वेजीटेबल खिचड़ी अच्छा विकल्प है। इसके साथ ही फल जरूर खाने चाहिए। फलों की चाट, रायता, कस्टर्ड आदि भी बन सकता है। हमें हर दिन इन चीजों का ध्यान रखना है। अगर डायबिटीज या दिल की बीमारी नहीं है तो सारे सूखे मेवे एक डिब्बे में भरकर रखें और एक मुट्ठी रोज खा सकते हैं। और अगर ये समस्याएं हैं तो बादाम और अखरोट ही खाना सही रहेगा।
इम्युनिटी का आधार है सही पोषण: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस बार मन की बात में पोषण की महत्ता बताई। उन्होंने कहा कि देश और पोषण का बहुत ही गहरा संबंध है। हमारे यहां कहावत है, यथा अन्नम तथा मन्नम, मतलब जैसा अन्न होता है, वैसा ही हमारा मानसिक और बौद्धिक विकास होता है। पोषण का मतलब केवल इतना ही नहीं होता कि आप क्या खा रहे हैं? कितना खा रहे हैं? कितनी बार खा रहे हैं? इसका मतलब है कि आपके शरीर को कितने जरूरी पोषक तत्व मिल रहे हैं। वैसे भी कोरोना काल में इम्युनिटी का आधार सही पोषण एक मुख्य तत्व बनकर उभरा है। इन दिनों महिलाओं ने खाने की थाली और संतुलित आहार को लेकर काफी खोजबीन भी की है। एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम कर रही मालविका कहती हैं, वर्क फ्रॉम होम कर रही हूं। परिवार का स्वास्थ्य और इम्युनिटी महत्वपूर्ण है। रोज कोई हेल्दी डिश सर्च करती हूं और किचन में उसे बनाने की कोशिश करती हूं।
पोषण और हैप्पी हारमोन: क्या आप जानती हैं कि पोषण खुशी का मंत्र भी है। हमारे अंदर एक हैप्पी हॉरमोन होता है, जो अच्छे पोषण से बाहर आता है। मान लीजिए कि हमारा राजमा-चावल खाने का मन कर रहा है और हम वह बनाकर खा लेते हैं तो हमें बहुत खुशी मिलती है और हमारा मूड अच्छा हो जाता है। जब हमारा मन खराब है तो यह देख सकते हैं कि हम क्या खा रहे हैं। खाना, तनाव, नींद, मूड और न्यूट्रिशन वैल्यू, ये सब आपस में जुड़े हैं। ऐसा मानती हैं सेलेब्रिटी न्यूट्रिशनिस्ट नमामी अग्रवाल। वह कहती हैं, संतुलित पोषण के लिए पांच बिंदुओं की आवश्यकता है। पहला अन्न, दूसरा दालें। इनमें राजमा, छोले आदि आते हैं। तीसरे में फैट है, इसमें एक छिपा हुआ फैट होता है और एक दिखता हुआ फैट। दिखते हुए फैट में तो घी और मक्खन जैसी चीजें आ गईं और छिपे हुए फैट्स कई प्रकार के बीज और सूखे मेवे आ जाते हैं। चौथे में फल और पांचवे में सब्जियां। इनसे हमें विटामिंस और मिनरल्स मिलते हैं।
अब हमें फिट और खुश रहने के लिए एक संतुलित थाली बनानी पड़ेगी। इसमें पांचों बिंदु होने चाहिए। हमारी प्लेट रंगीन खाद्य पदार्थों युक्त होनी चाहिए। आजकल लोग घर का बना खाना ही रहे हैं। इसमें भी एक ट्रिक होनी चाहिए। परिवार का फिट रहना महिलाओं की सोच पर निर्भर करता है, जैसे केक बनाना है तो ओट्स का बेस बना सकती हैं। अगर कुछ मीठा बनाना है तो शक्कर की बजाय मीठे फलों का प्रयोग कर सकती हैं। इसमें खजूर और अखरोट भी डाल सकती हैं। इससे पोषण और स्वाद दोनों मिलते हैं।
समाज को पोषण की सौगात: पोषण को लेकर महिलाएं सजग रहें और पूरे समाज को लाभान्वित करने की सोचें तो यह पूरे देश के लिए फायदेमंद रहेगा। कुछ महिलाओं ने तो पोषण बढ़ाने के मद्देनजर समाज में खास भूमिका निभाई है। आंध्र प्रदेश की ग्रामीण आदिवासी महिला एंटरप्रेन्योर पडाला भूदेवी ने रागी की खेती कर अपने आदिवासी समुदाय के पोषण को बढ़ाया है। इसके लिए उन्हें नारी शक्ति पुरस्कार से भी नवाजा गया है। वह कहती हैं, गांव में रागी की खेती कम हो रही थी, जिससे पोषण घट रहा था और बीमारियां बढ़ रही थीं।
इसलिए मैंने रागी उगाना तय किया। इसके लिए कृषि विज्ञान केंद्र और नाबार्ड जैसे कई संस्थानों से सहयोग लिया। सरकार द्वारा उपलब्ध करवाई गई जमीन पर इसकी खेती की। फिर सोचा कि इसको बेचेंगे नहीं, खुद खाएंगे। इसको प्रॉसेस करेंगे तो महिलाओं को काम मिलेगा। हमने बिस्किट बनाना सीखा। रागी के बिस्किट आंगनबाड़ी केंद्रों में जाने लगे। खेती जैविक थी और पोषण बहुत था। फिर सोचा ज्यादा होगा तो बेचेंगे। आदिवासी छात्रावासों में रहने वाले बच्चों को भी इससे बने बिस्किट और रागी माल्ट दिए गए।
हर भोजन में हो पोषण: कोलंबिया एशिया अस्पताल की हेड डाइटीशियन डॉ.शालिनी गर्विन ब्लिस बताया कि संतुलित पोषण से शरीर को रोज के काम करने के लिए ऊर्जा मिलती है। अगर विटामिंस और मिनरल्स की कमी हो गई तो इसके कारण आयरन की कमी हो सकती है। इससे थकावट रहने लगती है। अगर कार्ब कम खाते हैं तो ऊर्जा नहीं मिलेगी। हमारी थाली में सारे पोषक तत्व समान मात्रा में होने चाहिए। इसमें विटाामिंस, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, मिनरल्स, फाइबर आदि होने चाहिए। ये हर खाने में होना चाहिए। ऐसा न हो कि एक खाने में तो हमने संतुलित आहार ले लिया और बाकी में इस पर ध्यान ही नहीं दिया या फिर सिर्फ प्रोटीन डाइट ले ली। नाश्ता कभी भी नहीं छोड़ा जाना चाहिए। इसमें हम अच्छा पोषण ले सकते हैं। इसमें अनाज भी होना चाहिए, जैसे कॉर्नफ्लैक्स, गेहूं का दलिया, ओट्स, पोहा, उपमा, इडली आदि। प्रोटीन के लिए स्प्राउट्स और पनीर ले सकते हैं। बेसन चीला, दाल चीला ले सकते हैं। साथ में दूध या छाछ लें तो नाश्ता संतुलित होगा। दिन और रात के खाने में दाल, चावल या चपाती, सब्जियां, पनीर, सलाद आदि होना चाहिए। दिन में दही लेना बेहतर है।
आजकल की फास्ट लाइफ में समय की कमी से पोषण का नुकसान हो जाता है । ऐसे में अगर दाल बनाने का मौका नहीं मिले या पनीर के लिए ग्रेवी न बना पाएं तो पनीर को थोड़ा सा सेंककर नमक, कालीमिर्च के साथ खा सकती हैं। दाल अधिक बन जाए तो इसे आटे में मिलाकर रोटी बना सकती हैं। वजन कम करने के लिए किसी खाने को छोड़ देना सही नहीं है। इससे मेटाबॉलिज्म खराब होगा। अगर वजन कम करना है तो खाने का समय और मात्रा का ध्यान रखना होगा।
महिलाओं की डाइट
- महिलाओं को प्रोटीन से भरपूर नाश्ता करना चाहिए
- ब्रेड या दलिया के साथ अंकुरित अनाज लें
- मौसमी फल अवश्य खाने चाहिए। दूध और सूखे मेवे भी ले सकती हैं
- दोपहर का भोजन काब्र्स, प्रोटीन और फैट वाला लें
- शाम को ग्रीन टी, जूस, फल या मेवे खा सकती हैं
- डिनर हल्का करना चाहिए। दो रोटी, हरी सब्जियां, सलाद लें
- रात में सोने से पहले एक गिलास दूध पिएं
पुरुषों की डाइट
- सुबह एक्सरसाइज और टहलने की आदत डालें
- सुबह एक गिलास दूध पिएं। इसके साथ तीन-चार बादाम खाएं
- नाश्ते में अंकुरित अनाज, मौसमी फल या उपमा खाएं
- शाम को थोड़ी मात्रा में स्नैक्स, जैसे जूस, फल, ग्रीन टी, सूखे मेवे आदि खाने से एनर्जी लेवल सही रहता है
- काब्र्स और प्रोटीनयुक्त भोजन लें
- दोपहर के भोजन में रोटी, दाल, सब्जी, चावल और सलाद खाएं। इसके साथ एक कप दही या छाछ भी ले सकते हैं
- सोने से करीब दो घंटे पहले खाने की आदत डालें
- रात में कम और हल्का भोजन करें। डिनर में चावल न खाएं। केवल रोटी, सब्जी और सलाद खाएं
बच्चों के लिए: दूध, दही, पनीर और पालक व ब्रोकली जैसी सब्जियां डाइट में शामिल होनी चाहिए। इनमें कैल्शियम भरपूर मात्रा में होता हैं। गहरे हरे रंग की पत्तेदार सब्जियां, पीली और नारंगी रंग की सब्जियां और फल विटामिन ए और सी के अच्छे स्रोत माने जाते हैं। मशरूम, पनीर आदि से विटामिन डी मिलता है।
बुजुर्गों के लिए: इन्हें ज्यादा कैल्शियम, आयरन, जिंक, विटामिन ए और एंटीऑक्सीडेंट्स की जरूरत होती है। इनकी डाइट में दाल, फलों और सब्जियों को शामिल करने के साथ ही हड्डियों को मजबूत रखने के लिए कैल्शियमयुक्त खाद्य पदार्थ जैसे टोंड दूध और हरी पत्तेदार सब्जियां शामिल करनी चाहिए। इसके साथ ही शारीरिक सक्रियता भी जरूरी है। तले हुए, नमकीन और बहुत मिर्च-मसालेदार भोजन से बचाएं।
हाई कैलोरी और हाई प्रोटीन लें युवा: पारस हॉस्पिटल की चीफ डाइटीशियन नेहा पठानिया ने बताया कि युवाओं के लिए जरूरी है कि वे हाई कैलोरी और हाई प्रोटीन वाले भोजन को खाएं ताकि उनका सही से विकास हो सके। बालचिकित्सा मानकों के अनुसार, लड़कों को प्रतिदिन लगभग 2,800 कैलोरी की जरूरत होती है, जबकि लड़कियों को प्रति दिन 2,200 कैलोरी की। कार्बोहाइड्रेट का इस्तेमाल ईंधन (फ्यूल) के रूप में किया जाता है, जो युवाओं के लिए महत्वपूर्ण होता है। यह रोटियों, पास्ता और ब्राउन राईस जैसे कार्बोहाइड्रेट्स से मिलता है। सफेद ब्रेड और शक्कर युक्त खाद्य पदार्थ सीमित खाने चाहिए। प्रोटीन के अन्य स्रोतों के लिए दूध, दही, पनीर, बींस आदि शामिल किये जा सकते हैं।
भूखे रहना खतरनाक: सेलेब्रिटी न्यूट्रिशनिस्ट रुजुता दिवेकर ने बताया कि युवा लड़कियां डाइट के नाम पर भूखी रहती है। यह बेहद खतरनाक है। चॉकलेट, कॉफी और कोला से पूरी तरह से बचना जरूरी है। तीस की उम्र के बाद हमारी बोन मिनरल डेंसिटी कम होने लगती है। ऐसे में स्वस्थ दिनचर्या एक जरूरत बन जाती है।