इस बार NSA डोभाल का मिशन ‘दिल जीतो’, ऑपरेशन ब्लू स्टार में इंदिरा ने भी माना था लोहा
कभी ऑपरेशन ब्लू स्टार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले NSA अजीत डोभाल इस बार कश्मीर में मिशन ‘दिल जीतो’ पर कर रहे हैं काम। आइये जानते हैं उनकी कुछ दिलचस्प कहानियां...
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। केंद्र सरकार ने पिछले हफ्ते जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का ऐतिहासिक फैसला लिया। इस कदम को उठाने में सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती घाटी में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत रखने की थी। पहले से आतंकवाद से जूझ रहे इस क्षेत्र में सरकार के इस कदम का क्या असर होगा यह कोई नहीं जानता था। ऐसे में यह जिम्मेदारी सौंपी गई राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल को। आइये जानते हैं अजीत डोभाल उन कहानियों को जिन्होंने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया...
इस बार कश्मीर में मिशन ‘दिल जीतो’
बीते दिनों अजीत डोभाल दक्षिणी कश्मीर के सबसे संवेदनशील इलाके शोपियां में पहुंचे और न केवल आम कश्मीरियों के साथ बातचीत की, बल्कि उनके साथ खाना भी खाया। सामने आईं इन तस्वीरों से स्पष्ट हुआ कि मोदी सरकार सिर्फ सुरक्षाबलों को तैनात कर ही सुरक्षा की तैयारी नहीं कर रही, बल्कि कश्मीर के लोगों को यह भरोसा भी दिलाया जा रहा है कि सरकार उनके साथ संवाद कर रही है। ..और इस काम में सरकार का चेहरा हैं अजीत डोभाल, जो जम्मू-कश्मीर में अमन लौटाने का काम कर रहे हैं। इस बार उनका मिशन कश्मीरियों का दिल जीतना है।
ऑपरेशन ब्लू स्टार में निभाई थी अहम भूमिका
यह पहला मौका नहीं है जब अजीत डोभाल अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभा रहे हैं। इससे पहले ऑपरेशन ब्लू स्टार में उनकी भूमिका ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को भी उनका मुरीद बना दिया था। इसके बाद 1991 में खालिस्तान लिबरेशन फ्रंट द्वारा अपहृत किए गए रोमानियाई राजनयिक लिविउ राडू को बचाने की सफल योजना बनाना हो या फिर गुलाम कश्मीर में घुसकर आंतकियों के कैंप को नष्ट करने का ऑपरेशन। डोभाल ने हर जिम्मेदारी को बखूबी अंजाम दिया।डोभाल मूलरूप से उत्तराखंड के पौड़ी जिले की बणोलस्यूं (बनेलस्यूं) पट्टी स्थित घीड़ी गांव के रहने वाले हैं।
2014 से राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार
- 1945 में इनका जन्म उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में एक गढ़वाली परिवार में हुआ।
- 1968 में केरल कैडर से आइपीएस के लिए चुने गए।
- 1984 में सेना द्वारा चलाए गए ऑपरेशन ब्लूस्टार को सफल बनाने में अहम भूमिका निभाई।
- 1999 में इंडियन एयरलाइंस की उड़ान आइसी-814 को हाईजैक किया गया था, तब वह मुख्य वार्ताकार थे।
- 30 मई, 2014 से राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हैं। इनसे पहले शिवशंकर मेनन एनएसए थे।
1968 में केरल कैडर से आइपीएस
गांव के सेवानिवृत्त प्रधानाध्यापक सुरेंद्र सिंह नेगी बताते हैं कि 20 जनवरी, 1945 को जन्मे डोभाल की तीसरी कक्षा तक की पढ़ाई गांव के ही प्राथमिक स्कूल में हुई। बाद में उन्होंने मिलिट्री स्कूल अजमेर से प्राथमिक शिक्षा पूरी की और फिर लखनऊ से माध्यमिक शिक्षा पूर्ण की। आगरा विश्वविद्यालय से उन्होंने स्नातक व परास्नातक की पढ़ाई की और फिर वर्ष 1968 में केरल कैडर से आइपीएस के लिए चयनित हुए।
तीसरी कक्षा के बाद बाहर ही रहे
डोभाल के दो बेटे हैं। रिश्ते में उनके चाचा घीड़ी निवासी अजय डोभाल बताते हैं कि अजीत तीसरी कक्षा के बाद बाहर ही रहे। पहली बार केंद्र की मोदी सरकार में एनएसए जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिलने के बाद वह वर्ष 2014 में अपनी कुलदेवी की पूजा के लिए पैतृक गांव घीड़ी आए थे। इस दौरान कुछ समय उन्होंने ग्रामीणों के साथ भी बिताया। उसके बाद वह इसी वर्ष 21 जून की शाम जिला मुख्यालय पौड़ी पहुंचे और सर्किट हाउस में ठहरे। उनके साथ पत्नी अनु डोभाल और बेटा विवेक भी था।
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