चोरी हुआ मोबाइल ट्रैक करना होगा आसान, दूरसंचार विभाग ने तैयार किया CEIR डेटाबेस
दूरसंचार विभाग ने चोरी हुए मोबाइल का पता लगाने के लिए सेंट्रल इक्विपमेंट आईडेंटिटी रजिस्टर तैयार किया है। इसमें देश के हर नागरिक के मोबाइल नंबर और IMEI नंबर की जानकारी होगी।
नई दिल्ली, जेएनएन। देश में मोबाइल फोन चोरी होने की घटनाएं काफी ज्यादा बढ़ गई है। पुलिस में शिकायत करने पर भी ज्यादातर लोगों के फोन का अता-पता नहीं लग पाता, लेकिन अब आने वाले दिनों में आपको इस समस्या से छुटकारा मिल सकता है। देश में बड़े पामाने पर हो रही मोबाइल चोरी की घटनाओं को रोकने के लिए दूरसंचार विभाग ने IMEI नंबरों का एक डेटाबेस तैयार किया है।
दूरसंचार विभाग (Department of Telecom) ने चोरी हुए मोबाइल का पता लगाने के लिए सेंट्रल इक्विपमेंट आईडेंटिटी रजिस्टर (CEIR) तैयार किया है। इसमें देश के हर नागरिक के मोबाइल का मॉडल, सिम नंबर और IMEI नंबर की जानकारी फिड होगी। इसकी मदद से चोर के हाथ में मोबाइल जाने पर उसे बंद किया जा सकेगा। जिन उपभोक्ताओं के मोबाइल फोन खो गए हैं या चोरी हो गए हैं, वो पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करने के बाद एक हेल्पलाइन नंबर के माध्यम से दूरसंचार विभाग (DoT) को सूचित कर सकते हैं।
दूरसंचार विभाग इसके माध्यम से IMEI (इंटरनेशनल मोबाइल इक्विपमेंट आइडेंटिटी) नंबर को ब्लैकलिस्ट कर सकता है। इसके अलावा वो मोबाइल को भी ब्लॉक कर देगा, ताकि भविष्य में किसी दूसरे सेल्यूलर नेटकर्व का एक्सेस न हो सके। भारत में सीइआइआर (Central Equipment Identity Register) का उद्देश्य विशेष रूप से IMEI आधारित गैर कानूनी गतिविधियों को रोकना है। ट्राई के आंकड़ों के मुताबिक मार्च 2019 तक भारत में 1.16 बिलियन वायरलेस सब्सक्राइबर थे।
दूरसंचार विभाग ने जुलाई 2017 में पायलट प्रोजेक्ट के तहत इस परियोजना का महाराष्ट्र में संचालन किया था। मोबाइल फोन की चोरी और क्लोनिंग एक गंभीर समस्या बन गई है। मोबाइल फोन की चोरी न केवल एक वित्तीय नुकसान है, बल्कि नागरिकों के निजी जीवन के साथ-साथ राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी खतरा है। बाजार में नकली मोबाइल फोन भी दूरसंचार विभाग के लिए एक गंभीर मुद्दा है। नकली मोबाइल फोन की एक बड़ी तादात हमारे मोबाइल नेटवर्क में नकली IMEI नंबरों के साथ सक्रिय है। कई बार चोरी हुए मोबाइल फोन के पार्ट को अलग-अलग बेच दिया जाता है, जिससे इशका पता लगाना काफी मुश्किल हो जाता है।
दरअसम भारत में एमआइएन ( Mobile Identification Numbers) का डेटाबेस तैयार करने की योजना की कल्पना सबसे पहले साल 2012 में की गई थी। 2019-20 के अंतरिम बजट में सरकार ने सीईआरआई परियोजना के लिए दूरसंचार विभाग को 15 करोड़ रुपये आवंटित किए थे।
लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप