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कैसे रखे जाते हैं समुद्र में आने वाले तूफानों के नाम? जानें इनके नामकरण से जुड़ी अहम बातें

भारत समेत कई देश हर वर्ष ही चक्रवाती तूफानों का सामना करते हैं। ऐसे में दो दशक पहले इनके नामकरण करने की जरूरत महसूस की गई थी। बाद में ये अमल में आई और विभिन्‍न देशों ने अपने नाम सुझाए।

By Kamal VermaEdited By: Published: Wed, 25 Nov 2020 10:58 AM (IST)Updated: Wed, 25 Nov 2020 04:40 PM (IST)
कैसे रखे जाते हैं समुद्र में आने वाले तूफानों के नाम? जानें इनके नामकरण से जुड़ी अहम बातें
शाम तक भारत के तट पर पहुंच जाएगा निवार चक्रवात (एएफपी)

नई दिल्‍ली (ऑनलाइन डेस्‍क)। तमिलनाडु के कराईकल में चक्रवाती तूफान निवार की दहशत दिखाई दे रही है। आशंका जताई जा रही है कि ये तूफान तमिलनाडु के साथ पुडुचेरी में भी तबाही मचा सकता है। मौसम विभाग के मुताबिक ये तूफान बुधवार (25 नवंबर) को दोपहर बाद किसी भी समय तट से टकरा सकता है। इसका असर भी इन दोनों जगहों पर दिखाई देने लगा है। समुद्र में ऊंची-ऊंची लहरें उठ रही हैं। मंगलवार को चेन्‍नई, मामलापुरम और महालिपुरम में भी इसकी वजह से तेज बारिश हुई है। एहतियात के तौर पर मछुआरों को तटों से दूर रहने को कहा गया है। प्रशासन भी तटों पर खड़ी नौकाओं को वहां से अलग करने में मदद कर रहा है।

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निवार से पहले भारत में एम्‍फन, निसर्ग और फणि को भी भारत ने देखा है। इनके नाम रखने की भी एक दिलचस्‍प प्रक्रिया है, जिसको यहां पर जानना जरूरी हो जाता है। जैसे निवार चक्रवात का नामकरण ईरान ने किया है। निवार का अर्थ है रोकथाम करना। इससे पहले निसर्ग जिसका अर्थ प्रकृति था, का नामकरण बांग्‍लादेश ने किया था। फणि का नाम भी बांग्‍लादेश द्वारा ही सुझाया गया था। नवंबर 2017 में आए ओखी चक्रवात का नाम भी बांग्‍लादेश ने ही किया था। इसका अर्थ आंख होता है। इसके बाद सागर का नाम भारत ने सुझाया था। तीन दिन पहले (22 नवंबर को) सोमालिया में जो चक्रवाती तूफान आया था, उसे भारत ने नाम दिया था। इसे 'गति' नाम दिया गया था। 

वर्ष 2000 में एशिया और प्रशांत क्षेत्र के लिए संयुक्त राष्ट्र (UN) के आर्थिक और सामाजिक आयोग (ईएससीएपी) और विश्व मौसम संगठन (डब्लूएमओ) ने बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में उठने चक्रवातों को नाम देने की पद्धति शुरू की। 2018 में इन देशों के पैनल में सऊदी अरब, ईरान, कतर, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और यमन का नाम भी जुड़ा। इस पैनल का काम चक्रवातों के नाम तय करना है। 

वर्ष अप्रैल 2020 में विभिन्‍न देशों द्वारा सुझाए और तय किए गए चक्रवातों के नाम में से तीसरा है। इस सूची में कुल 169 नाम सुझाए गए थे जो भारत, बांग्‍लादेश, मलदीव,म्‍यांमार, ओमान, पाकिस्‍तान, श्रीलंका और थाईलैंड ने सुझाए थे। इन सभी ने 13-13 नाम दिए थे। निवार के बाद आने वाले चक्रवातों में गति, जिसका नाम भारत ने सुझाया है होगा। इसके अलावा बुरेवी- मालदीव का सुझाया हुआ, तोक्‍ती- म्‍यांमार , यास-ओमान और गुलाब-पाकिस्‍तान द्वारा सुझाया गया है।

चक्रवातों के नाम रखने की शुरुआत की जहां तक बात है तो आपको बता दें कि वर्ष 2000 में इसको लेकर विश्‍व मौसम संगठन युनाइटेड नेशन इक्‍नॉमिक एंड सोशल कमीशन फॉर एशिया एंड पेसेफिक के 27वें सत्र में इसको लेकर सहमति बनी थी कि बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में उठने वालों तूफानों का नामकरण किया जाएगा। इसके बाद भारत ने इस पर पहल की थी जिसके फलस्‍वरूप 2004 में इसकी व्‍यवस्‍था शुरू हुई। आपको यहां पर ये भी बता दें कि इन क्षेत्रों में उठने वाले ऐसे किसी भी तूफान का नाम रखना जरूरी है जिसकी रफ्तार 34 किमी नॉटिकल मील प्रति घंटा से अधिक होगी। इसके तहत भारत का मौसम विभाग उत्तर हिंद महासागर में उठने वाले तूफानों का नामकरण करता है।

अटलांटिक क्षेत्र की बात करें तो इसकी शुरुआत 1953 में एक संधि के माध्‍यम से हुई थी। इसकी पहल मियामी स्थित राष्ट्रीय हरिकेन सेंटर ने की थी। इसको लेकर एक मजेदार तथ्‍य ये भी सामने आता है कि ऑस्‍ट्रेलिया द्वारा पहले तूफानों का नाम भ्रष्‍ट नेताओं के नाम पर सुझाया जाता था। वहीं अमेरिका में आने वाले तूफानों के नाम अधिकतर महिलाओं के नाम पर रखे जाते रहे हैं। 1979 के बाद इसमें कुछ बदलाव किए गए और इसमें पुरुषों का भी नाम शामिल किया जाने लगा। उत्तर-पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में आने वाले तूफानों के ज्यादातर नाम फूलों, जानवरों, पक्षियों, पेड़ों, खाद्य पदार्थों के नाम पर रखे गए।


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