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भरने लगे त्रासदी के जख्म, निखरने लगी केदारनाथ धाम की तस्वीर

आपदा के बाद केदारघाटी एक नए कलेवर में नजर आ रही है। आपदा के उन जख्मों पर वहां हुए पुनर्निर्माण कार्यों ने काफी हद तक मरहम लगाने का काम किया है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Fri, 09 Nov 2018 07:41 PM (IST)Updated: Sat, 10 Nov 2018 03:46 PM (IST)
भरने लगे त्रासदी के जख्म, निखरने लगी केदारनाथ धाम की तस्वीर

देहरादून, [जेएनएन]: केदारनाथ त्रासदी के जख्म अब वक्त के साथ भरने लगे हैं। साल 2013 की जिस आपदा ने लोगों को झकझोर कर रख दिया था। उसके जख्मों पर वहां हुए पुनर्निर्माण कार्यों ने काफी हद तक मरहम लगाने का काम किया है। केदारघाटी का नया स्वरूप इसका गवाह है। अब केदारपुरी बदले स्वरूप में आलौकिक नजर आ रही है।

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साल 2013 में 16-17 जून को विश्व प्रसिद्ध केदारनाथ धाम में आई भीषण आपदा ने जो तबाही मचार्इ थी, उस मंजर को कोर्इ नहीं भूल सकता। जल-प्रलय ने केदारघाटी की पूरी तस्वीर ही बदल दी। आपदा के दौरान हजारों लोगों की जान चली गई और केदारनाथ मंदिर को छोड़कर पूरी केदारपुरी उजाड़ हो गई।

यात्रा पड़ाव सोनप्रयाग, गौरीकुंड में भी कई दुकानें और घर बह गए थे। गौरीकुंड से लेकर केदारनाथ तक का करीब 14 किलोमीटर का पैदल रास्ता पूरी तरह तबाह हो गया था। यात्रा का अहम पड़ाव रामबाड़ा का अस्तित्व तो पूरी तरह से मिट ही चुका था। यहां एक भी दुकान और घर नहीं बचे। जबकि केदारनाथ मंदिर के आसपास मलबा ही मलबा भर गया था।

आपदा के उस भयानक मंजर के बाद साल बीतते गए और प्रभावित क्षेत्रों में विकास कार्य की गति तेज होती गर्इ। केदारघाटी को नया स्वरूप देने के लिए भी तेजी के साथ काम शुरू हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद केदारघाटी के पुनर्निर्माण कार्यों की जिम्मेदारी ली और उनकी मॉनीटरिंग शुरू कर दी। वक्त बदला, हालात बदले और काफी हद तक केदारघाटी की तस्वीर भी बदल गर्इ।  

निम ने बदली केदारघाटी की सूरत 
केदारघाटी को वापस उसके स्वरूप में लाने के लिए नेहरू पर्वतारोहण संस्थान निम के जवानों ने मोर्चा संभाला और केदरानाथ में पुनर्निर्माण कार्य शुरू किया। जवान हर परिस्थिति में अपने काम को बखूबी करते रहे। सर्दियों में कड़ाके की ठंड में भी जवान और मजदूर निर्माण कार्य को तेज गति के साथ आगे बढ़ाते रहे। उनकी इस मेहनत का ही नतीजा है कि आज केदारपुरी एक नए कलेवर में नजर आ रही है। 

केदारनाथ में हुए प्रमुख कार्य  

पहाड़ी शैली के पत्थर बिछाए  
केदारनाथ की भव्यता को बढ़ाने के लिए यहां पहाड़ी शैली के एक 1.10 लाख पत्थर (पठाल) लगाए गए। ये पठाल पैदल मार्ग, मंदिर परिसर और दिव्य शिला के आसपास लगाए गए हैं। मंदिर परिसर और मंदिर के ठीक सामने पैदल मार्ग पर लगे पठालों की चमक धाम के सौंदर्य को और भी बढ़ा रही है।

इसके लिए पहाड़ के अलावा राजस्थान व अन्य राज्यों से भी पत्थर तरासने वालेकारीगर केदारनाथ बुलाए गए। रात-दिन की कड़ी मेहनत के बाद उन्होंने कुल 1.10 लाख पहाड़ी पत्थर मंदिर परिसर, मंदिर के सामने पैदल मार्ग और दिव्य शिला के आसपास लगाए। वहीं, मंदिर के सामने बने चबूतरे पर 40 हजार और मंदिर के पीछे बनी दिव्य शिला पर दस हजार पत्थर लगाए गए हैं। 

पहाड़ी शैली की गुफा तैयार
केदारनाथ में साधना के लिए पहाड़ी शैली की गुफा का निर्माण किया गया है। ये गुफा केदारनाथ मंदिर के बायीं ओर की पहाड़ी पर स्थित है। ये गुफा पांच मीटर लंबी और तीन मीटर चौड़ी है। जहां पर साधना के लिए सभी जरूरी सुविधाएं उपलब्ध हैं।

गुफा की छत पर पठाल (पहाड़ी पत्थर) लगाए गए हैं और उसका आंगन भी पठालों से बनाया गया है। साधना के दौरान गुफा का दरवाजा पूरी तरह बंद रहेगा और खिड़की से ही उसे भोजन व अन्य जरूरी सामान भिजवाया जाएगा। आपातकाल के लिए गुफा में लोकल फोन की सुविधा भी उपलब्ध है। 

एक स्थान से उठा सकेंगे केदारघाटी के विहंगम दृश्य का आनंद
केदारनाथ पुनर्निर्माण की दिशा में किए गए कार्यों में एक और उपलब्धि जुड़ी। मंदिर के जिस दूसरे छोर पर तीर्थयात्री केदारघाटी के विहंगम दृश्य का आनंद उठा सकेंगे या फिर सुकून के साथ बैठकर ध्यान कर सकते हैं, वह स्थल आकार ले चुका है। इसका नाम अराइवल प्लाजा रखा गया है। केदारनाथ मंदिर परिसर के मुख्य आकर्षण में से एक अराइवल प्लाजा का पूरा क्षेत्रफल 64 वर्गमीटर है। इसके अलावा टेंपल प्लाजा और सेंट्रल प्लाजा भी यहां आकार ले चुके हैं।

अराइवल प्लाजा: अराइवल प्लाजा में एक समय में करीब 400 लोग खड़े हो सकते हैं। 252 मीटर का मार्ग: इस मार्ग पर स्थानीय ग्रेनाइट पत्थरों से बनी 40 हजार टाइल्स लगाई गई हैं। यह टाइल्स तीन इंच मोटी, दो फीट लंबी व एक फीट चौड़ी हैं।

टेंपल प्लाजा: यह 70 चौड़ा और 65 मीटर लंबा है। टाइल्स को सीमेंट से नहीं चिपकाया यूसैक निदेशक के अनुसार केदारनाथ का तापमान ज्यादातर माइनस डिग्री में चला जाता है। इससे यहां पर फ्रॉस्ट एक्शन प्रक्रिया चलती है। इसका अर्थ यह हुआ कि बर्फ व धूप खिलने की प्रक्रिया समान रूप से होने के चलते धरातल में बदलाव होते रहते हैं। इसे देखते हुए टाइल्स को सतह पर सीमेंट से चिपकाने की जगह दो टाइल्स के जोड़ को सीमेंट से टेप किया गया है। क्योंकि सीमेंट से टाइल्स को चिपकाया जाएगा तो सतही बदलाव के चलते वह चटक सकती हैं।

भूमिगत गुफा में होगी आदि शंकराचार्य की समाधि
केदारनाथ में दिव्य शिला के पीछे बनने वाली आदि शंकराचार्य की समाधि भूमिगत गुफा में होगी। इसके लिए 100 मीटर लंबी गुफा तैयार की जाएगी। जल्द ही योजना पर कार्य शुरू कर दिया जाएगा। 

 

पीएम मोदी ने लिया पुनर्निर्माण कार्यों का जायजा 
दीपावली पर पीएम मोदी केदारनाथ पहुंचे। बाबा केदार का आशीर्वाद लेने के बाद पीएम ने अपने ड्रीम प्रोजेक्ट नर्इ केदारपुरी के निर्माण कार्यों का तकरीबन दो घंटे तक जायजा लिया। इस दौरान उन्होंने अधिकारियों को दिशा-निर्देश भी दिए।

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