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स्कूलों में अब विदेशी भाषाओं की भी होगी पढ़ाई, राष्ट्रीय शिक्षा नीति की सिफारिशों पर तैयारी तेज

वह दिन दूर नहीं जब आपके नौनिहालों को विदेशी भाषा सिखने के लिए किसी कोचिंग या अलग पढ़ाई करने की जरूरत नहीं होगी। जल्द ही स्कूलों में कुछ विदेशी भाषाएं भी सिखाई जाएंगी भले ही पढ़ाई का माध्यम भारतीय भाषा या फिर अंग्रेजी ही क्यों न हो।

By TaniskEdited By: Published: Tue, 19 Oct 2021 09:22 PM (IST)Updated: Tue, 19 Oct 2021 09:22 PM (IST)
स्कूलों में अब विदेशी भाषाओं की भी होगी पढ़ाई, राष्ट्रीय शिक्षा नीति की सिफारिशों पर तैयारी तेज
स्कूलों में अब विदेशी भाषाओं की भी होगी पढ़ाई।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। वह दिन दूर नहीं जब आपके नौनिहालों को विदेशी भाषा सिखने के लिए किसी कोचिंग या अलग पढ़ाई करने की जरूरत नहीं होगी। जल्द ही स्कूलों में कुछ विदेशी भाषाएं भी सिखाई जाएंगी, भले ही पढ़ाई का माध्यम भारतीय भाषा या फिर अंग्रेजी ही क्यों न हो। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में की गई सिफारिश के बाद सरकार ने इस दिशा में पहल तेज कर दी है। फिलहाल जिन प्रमुख विदेशी भाषाओं को सिखाने की योजना बनाई गई है, उनमें जर्मन और फ्रेंच के साथ कोरियाई, जापानी, स्पेनिश, पुर्तगाली और रूसी जैसी भाषाएं शामिल हैं। अभी केंद्रीय और नवोदय विद्यालयों से नए सत्र से इसकी शुरुआत होगी।

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स्कूलों में विदेशी भाषाओं को सिखाने की यह पहल वैसे तो कोई नई नहीं है, पहले से ही जर्मनी और फ्रांस के साथ हुए शैक्षणिक करार के तहत केंद्रीय और नवोदय विद्यालयों के साथ सीबीएसई के कुछ चुनिंदा स्कूलों में जर्मन और फ्रेंच भाषा सिखाई जाती है। अब छात्रों को स्कूलों में और भी विदेशी भाषाओं को सिखने का विकल्प मिलेगा। यह सुविधा केंद्रीय और नवोदय विद्यालयों के साथ ही धीरे-धीरे सीबीएसई के सभी स्कूलों और राज्यों में खोले जाने वाले आदर्श स्कूलों में मुहैया कराई जाएगी। केंद्र सरकार ने इसी साल बजट में देश में 15 हजार आदर्श स्कूल खोलने का एलान किया है, जहां बच्चों की पढ़ाई से जुड़ी सभी तरह की सुविधा मुहैया कराने का प्रस्ताव है। इसमें प्रत्येक ब्लाक में ऐसे एक या दो स्कूल होंगे। इस दौरान नजदीक के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाला कोई छात्र इन स्कूलों में इसके लिए अतिरिक्त कक्षाएं ले सकता है।

ग्लोबल सिटीजन बनेंगे छात्र

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की जो सोच है, उनमें छात्रों को स्कूलों से ही भारतीय संस्कृति और भाषा की जड़ से जोड़ने के साथ विदेशी भाषाओं के जरिए ग्लोबल सिटीजन बनाने की राह दिखाना है। शिक्षा नीति के आने के बाद पीएम ने भी देश के सामने इस सोच को रखा था। साथ ही कहा था कि छात्रों को ग्लोबल सिटीजन बनाने में यह नीति मददगार बनेगी। नीति के मुताबिक विदेशी भाषाओं को सिखाने से वह विश्व की संस्कृतियों और इससे जुड़ी अपनी रुचियों को आसानी से जोड़ और समझ सकेंगे।


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