अब तो होते रहेंगे ऐसे धरने: मनीष सिसोदिया
अरविंद केजरीवाल के मुख्यमंत्री रहते हुए धरने पर बैठने को लेकर भले ही सवाल उठाए जा रहे हों, लेकिन दिल्ली की केजरीवाल सरकार ऐसे धरनों के लंबे सिलसिले की तैयारी के साथ सड़कों पर उतरी है। सरकार में नंबर दो मंत्री मनीष सिसोदिया के मुताबिक पुलिस को राज्य के तहत लाने और दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जान
नई दिल्ली [मुकेश केजरीवाल]। अरविंद केजरीवाल के मुख्यमंत्री रहते हुए धरने पर बैठने को लेकर भले ही सवाल उठाए जा रहे हों, लेकिन दिल्ली की केजरीवाल सरकार ऐसे धरनों के लंबे सिलसिले की तैयारी के साथ सड़कों पर उतरी है। सरकार में नंबर दो मंत्री मनीष सिसोदिया के मुताबिक पुलिस को राज्य के तहत लाने और दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने की मांगों पर भी केंद्र सरकार के खिलाफ ऐसे ही प्रदर्शन किए जाएंगे। राज्य के शिक्षा मंत्री और आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता के साथ 'दैनिक जागरण' की बातचीत के प्रमुख अंश-
आप महज कुछ लोगों के आरोपों के आधार पर वरिष्ठ पुलिस वालों पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। कोई सबूत हैं इनके खिलाफ? सबसे बड़ा सबूत तो उनके इलाकों में हुई घटनाएं हैं। कानून-व्यवस्था कायम रखने के लिए ही तो एक थानेदार को तनख्वाह मिलती है। ऐसे संगीन मामले हो रहे हों तो फिर उससे ज्यादा सबूत क्या चाहिए? एक जगह लड़की जला दी गई। पुलिस कुछ नहीं कर रही। इसके सबूत हैं कि उसने सिपाही से लेकर कमिश्नर तक को लिखित शिकायत की हुई थी। इससे ज्यादा क्या सबूत चाहिएं?
लेकिन क्या ऐसे हर मामले में आप पुलिस अधिकारियों को बर्खास्त करने की मांग करेंगे? बिल्कुल कहेंगे। कहीं भी बलात्कार हो तो सबसे पहले एसएचओ की गर्दन पकड़नी चाहिए। वो आखिर हैं किसलिए वहां पर?
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रेड मामले में आपके मंत्रियों पर भी आरोप लगे। जांच तक क्यों नहीं उन्हें भी बाहर कर दिया जाना चाहिए? उस दौरान सारे चैनलों के कैमरे शुरू से अंत तक मौजूद थे। किसी ने कोई भी गलती की है तो आप दिखाओ ना। कोई तो सबूत होगा।
आपने कहा पुलिस पैसा लेती है और गृह मंत्री तक पहुंचता है। आपके तहत आने वाले विभागों में रिश्वतखोरी होती है तो क्या माना जाए कि पैसा आप तक पहुंचता होगा? लेकिन उनके साथ बैठे गृह सचिव ने ऐसी बातें कही हैं कि शिंदे साहब पर्चियों पर लिख कर ट्रांसफर और पोस्टिंग करवाते थे। क्या यह उनकी ईमानदारी है? यह कौन सा नियम-कानून है कि होम मिनिस्टर पर्चियों पर ट्रांसफर के आदेश दे? क्या उनके साथ काम करने वाले गृह सचिव की बातों को गंभीरता से नहीं लिया जाएगा?
यह धरना तो पुलिस पर कार्रवाई के लिए है। क्या पुलिस को राज्य के तहत लाने के लिए अलग से आंदोलन होगा? बिल्कुल होगा। दिल्ली पुलिस के लिए भी होगा और दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने के लिए भी होगा। ये दोनों मांग हमारे घोषणापत्र में हैं। दिल्ली की ये जरूरतें हैं।
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