राम नगरी में सुरक्षातंत्र के सामने अब छह दिसंबर की चुनौती
केंद्र और प्रदेश में भगवा सरकार होने से शासन का पूरा ध्यान रामनगरी की ओर है।
रविप्रकाश श्रीवास्तव, अयोध्या। मंदिर मुद्दे पर दो दिनों के सियासी झंझावात से रामनगरी को अब कुछ आराम मिला है। अयोध्या की ये निश्चिंतता कुछ दिनों के लिए है। ठीक नौवें दिन रामनगरी पुन: पाबंदियों में जकड़ी नजर आएगी। ये पाबंदी विवादित ढांचा ध्वंस की बरसी यानी छह दिसंबर को दिखेगी।
रामनगरी को सौहार्द की परीक्षा देनी है तो उसकी हिफाजत और शांति कायम रखने के लिए मोर्चे पर सुरक्षातंत्र की कड़ी परीक्षा होगी। शिवसेना व विहिप के कार्यक्रम के मद्देनजर तीन दिनों तक पलक झपकाए बिना ड्यूटी करने वाले पुलिसकर्मियों के सामने फिर एक चुनौती चंद दिनों में होगी। इस बार के छह दिसंबर को सुरक्षा मोर्चे पर इम्तिहान इसलिए भी कड़ा होगा क्योंकि आतंकी खतरे को लेकर इनपुट जारी हो चुका है, तो दूसरी ओर मंदिर मुद्दा गर्म है। छह दिसंबर को हिंदू शौर्य दिवस तो मुस्लिम यौमे गम मनाते हैं। दिसंबर माह में ही सेना भर्ती, रामायण मेला और रामबरात का भी आयोजन है।
केंद्र और प्रदेश में भगवा सरकार होने से शासन का पूरा ध्यान रामनगरी की ओर है। ऐसे में नगरवासियों की सुविधा का ख्याल रखते हुए उन्हें सुरक्षित माहौल प्रदान करने की मंशा लेकर सुरक्षा योजना तैयार की जा रही है। इसके लिए छह एएसपी, 16 डिप्टी एसपी, 20 निरीक्षक, 250 आरक्षी, सात कंपनी पीएसी, दो कंपनी आरएएफ के अयोध्या में मोर्चा संभालने की तैयारी है। डिमांड लिस्ट भी दो-तीन दिनों में तैयार होकर उच्चाधिकारियों के पास तक पहुंच जाएगी। पुलिस अधीक्षक नगर अनिल कुमार ¨सह ने कहा कि दोनों आयोजन शांतिपूर्ण संपन्न करा लिए गए। छह दिसंबर को लेकर निगरानी जारी है। अतिरिक्त फोर्स के बाबत उच्चाधिकारी निर्णय लेंगे।