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सीबीआई की याचिका पर वीरभद्र सिंह को नोटिस, चार सप्ताह में देना है जवाब

हिमाचल प्रदेश के किसी भाग में जांच करने के लिए सीबीआइ को दिल्ली पुलिस स्पेशल एक्ट (डीपीएसई) की धारा 6 में राज्य सरकार से पूर्व अनुमति लेनी होगी।

By Gunateet OjhaEdited By: Published: Thu, 04 Jan 2018 05:44 PM (IST)Updated: Thu, 04 Jan 2018 05:44 PM (IST)
सीबीआई की याचिका पर वीरभद्र सिंह को नोटिस, चार सप्ताह में देना है जवाब
सीबीआई की याचिका पर वीरभद्र सिंह को नोटिस, चार सप्ताह में देना है जवाब

माला दीक्षित, नई दिल्ली। हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिहं के खिलाफ लंबित आय से अधिक संपत्ति के मामले में हाईकोर्ट के आदेश के एक भाग को चुनौती देने वाली सीबीआइ की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने वीरभद्र सिंह व उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह व राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। सीबीआइ ने याचिका में हाईकोर्ट के 31 मार्च 2017 के फैसले के उस अंश को हटाने की मांग की है जिसमें कहा गया है कि हिमाचल प्रदेश के किसी भाग में जांच करने के लिए सीबीआइ को दिल्ली पुलिस स्पेशल एक्ट (डीपीएसई) की धारा 6 में राज्य सरकार से पूर्व अनुमति लेनी होगी।

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ये नोटिस न्यायमूर्ति आरके अग्रवाल और न्यायमूर्ति अभय मनोहर सप्रे की पीठ ने सीबीआइ की ओर से पेश एएसजी पीएस नरसिम्हन व रुक्मणि बोबडे की दलीलें सुनने के बाद जारी किया। कोर्ट ने याचिका में प्रतिपक्षी बनाए गए वीरभद्र सिंह उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह व प्रदेश सरकार से याचिका पर चार सप्ताह में जवाब मांगा है। सीबीआइ ने फैसले में की गई हाईकोर्ट की टिप्पणी का विरोध करते हुए कहा कि हाईकोर्ट ने ऐसा कहने से पहले यह ध्यान नहीं दिया कि इस मामले में एफआइआर दिल्ली में दर्ज हुई थी और यह अपराध उस समय का है जबकि वीरभद्र सिंह केन्द्र सरकार में मंत्री हुआ करते थे। सीबीआइ की यह भी कहना है कि हाईकोर्ट ने अपने क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर ऐसी टिप्पणी की है क्योंकि इस मामले में हाईकोर्ट के सामने यह विचार का मुद्दा नहीं था। सीबीआइ का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट हाईकोर्ट के फैसले के इस अंश को रद करे क्योंकि इसके बने रहने से सीबीआइ को भविष्य में मामले की निष्पक्ष और बेरोकटोक जांच करने में बाधा आ सकती है। यहां तक कि अभी तक के मामले में भी असर पड़ सकता है।

सीबीआइ का यह भी कहना है कि जब कोई व्यक्ति केन्द्र सरकार की नौकरी में रहते हुए अपराध करता है तो उस मामले की जांच के लिए किसी भी राज्य से अनुमति लेने की जरूरत नहीं होती।

ये मामला वीरभद्र सिंह के खिलाफ 10,30,47,947 रुपये की आय से अधिक संपत्ति रखने का है। इस केस में उनकी पत्नी व अन्य लोग भी अभियुक्त हैं। वीरभद्र सिंह और उनकी पत्नी ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर मामला निरस्त करने की मांग की थी। हाईकोर्ट ने 31 मार्च 2017 को उनकी याचिका खारिज कर दी थी उसी फैसले में कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की थी कि सीबीआइ को हिमाचल प्रदेश में जांच करने के लिए राज्य सरकार से इजाजत लेनी चाहिए। सीबीआइ ने पूरे फैसले को नहीं सिर्फ राज्य सरकार से इजाजत लेने की टिप्पणी के अंश को ही सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है और उसे रद करने की मांग की है। वैसे इस मामले में वीरभद्र व अन्य लोगों के खिलाफ निचली अदालत में आरोपपत्र दाखिल हो चुका है।

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