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महाराष्ट्र के अफसरों की इजरायल यात्रा पर राज्य सरकार को नोटिस, पेगासस जैसे स्पाइवेयर खरीदने का है आरोप

मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और जस्टिस जीएस कुलकर्णी की पीठ ने राज्य सरकार डीजीआइपीआर और पांच अधिकारियों को चार हफ्तों में अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। इन सभी को जनहित याचिका में में पक्षकार बनाया गया है।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Fri, 06 Aug 2021 01:31 AM (IST)Updated: Fri, 06 Aug 2021 05:24 AM (IST)
महाराष्ट्र के अफसरों की इजरायल यात्रा पर राज्य सरकार को नोटिस, पेगासस जैसे स्पाइवेयर खरीदने का है आरोप
डीजीआइपीआर के अधिकारियों ने 2019 में की थी इजरायल की यात्रा

मुंबई, प्रेट्र। बांबे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र के सूचना एवं जन संपर्क महानिदेशालय (DGIPR) के अधिकारियों की 2019 की इजरायल यात्रा को लेकर दायर जनहित याचिका पर गुरुवार को राज्य सरकार को नोटिस जारी किया। याचिकाकर्ता के वकील ने दावा किया है कि यह यात्रा पेगासस जैसे स्पाइवेयर खरीदने के लिए की गई थी।

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लक्ष्मण बुरा और दिगंबर द्वारा दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि अब जगजाहिर हो चुके फोन टैपिंग मामलों और अधिकारियों की इजरायल यात्रा के बीच संभवत: तार जुड़े हुए हैं। जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि इस तरह की विदेश यात्रा की अनुमति देने वाले कई नियमों का इस प्रक्रिया में उल्लंघन किया गया है।

याचिकाकर्ताओं के वकील तेजेश दांडे ने अदालत में कहा, इजरायल के पास वेब मीडिया (अध्ययन यात्रा का विषय) पर ऐसी कोई विशेषज्ञता नहीं है कि राज्य सरकार के अधिकारियों को इसका लाभ मिलता। उन्होंने कहा, याचिकाकर्ताओं का मानना है कि इजरायल भेजने का मुख्य मकसद पेगासस जैसा जासूसी साफ्टवेयर हासिल करना था।

मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और जस्टिस जीएस कुलकर्णी की पीठ ने राज्य सरकार, डीजीआइपीआर और पांच अधिकारियों को चार हफ्तों में अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। इन सभी को जनहित याचिका में में पक्षकार बनाया गया है।

याचिका में कहा गया है कि 15 नवंबर, 2019 को महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के बाद डीजीआइपीआर के पांच चयनित वरिष्ठ अधिकारियों का एक प्रतिनिधिमंडल एडवांस वेब मीडिया का अध्ययन करने के लिए 10 दिनों की इजरायल यात्रा पर भेजा गया था। जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि उस अवधि में राज्य में सरकार गठन के लिए काफी व्यस्त बातचीत चल रही थी।


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