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अनुपम खेर ने कहा- हीनभाव केवल भारत में, विदेशी तो करते हैं अपनी भाषा पर गर्व

ख्यात अभिनेता और लेखक अनुपम खेर ने शुरू हुए इंदौर लिटरेचर फेस्टिवल में कहा कि अपनी भाषा को लेकर हीन भावना केवल भारत में है विदेशों में तो निज भाषा पर गर्व किया जाता है। हमें हिंदी पर गर्व करना अपने स्वभाव में शामिल करना होगा।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Fri, 22 Jan 2021 10:22 PM (IST)Updated: Fri, 22 Jan 2021 10:58 PM (IST)
अनुपम खेर ने कहा- हीनभाव केवल भारत में, विदेशी तो करते हैं अपनी भाषा पर गर्व
हमें हिंदी पर गर्व करना अपने स्वभाव में शामिल करना होगा।

नोट : फेस्टिवल का लोगो श्री बीरेश्वर जी, धर्मेद्र जी को मेल से भेजा जा रहा है। ------ -

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इंदौर लिटरेचर फेस्टिवल में ख्यात अभिनेता और लेखक खेर ने रिकॉर्डेड साक्षात्कार में रखी विभिन्न मुद्दों पर बात - दो दिनी लिटरेचर फेस्टिवल में नईदुनिया है प्रिंट पार्टनर ----- (फोटो : 22 आइएनडी 21) ----

इंदौर, राज्य ब्यूरो। 'अपनी भाषा को लेकर हीन भावना केवल भारत में है, विदेशों में तो निज भाषा पर गर्व किया जाता है। हमें इस बात पर दृढ़ होना होगा कि यदि हमारी भाषा या आदत से किसी को परेशानी है तो यह उनकी समस्या है, हमारी नहीं। मैं खुद हिंदी माध्यम वाले विद्यालय में पढ़ा हूं और जब मैं दूसरे देशों में जाता हूं तो वहां हिंदी को लेकर स्वयं को हीन दृष्टि से नहीं देखता। हमें हिंदी पर गर्व करना अपने स्वभाव में शामिल करना होगा।' यह बात ख्यात अभिनेता और लेखक अनुपम खेर ने शुक्रवार से शुरू हुए इंदौर लिटरेचर फेस्टिवल में रिकॉर्डेड साक्षात्कार में कही। प्रकाशन समूह 'हेलो हिंदुस्तान' द्वारा आयोजित दो दिनी साहित्य महोत्सव में नईदुनिया प्रिंट पार्टनर है।

Indore Literature Festival (@Indorelitfest) | Twitter

वो इश्क भला क्या इश्क जिसका चर्चा घर पर हो

पीयूष मिश्रा अभिनेता, गीतकार, गायक, लेखक और संगीत निर्देशक पीयूष मिश्रा ने बेबाक अंदाज में कहा, 'वो काम भला क्या काम, जिसका बोझा सिर पर हो, वो इश्क भला क्या इश्क जिसका चर्चा घर पर हो'। अवसाद और आत्महत्या से जुड़े सवाल पर वे बोले, जब भी आत्महत्या का खयाल आए तो तुरंत किसी को फोन लगा लें और दिल में जो भी है, कह दें। 20 मिनट का ही समय होता है, जिसे यदि टाल दिया तो सब बेहतर हो जाता है।

पद्मश्री गुलाबो सपेरा ने कहा- कालबेलिया नृत्य अमर रहे और घर-घर में पहुंचे

नृत्यांगना पद्मश्री गुलाबो सपेरा ने सत्र 'एक करिश्माई कालबेलिया' में कहा - 'जिन महिलाओं ने मेरी मां का प्रसव करवाया उन्होंने मुझे कुप्रथा के चलते मिट्टी में गाड़ दिया था। मेरी मां ने मुझे बचाया। मैं नौ महीने मां के गर्भ और पांच घटे धरती मां की गोद में रहकर जन्मी हूं।' उन्होंने आगे कहा- 'वर्ष 2016 में मुझे पद्मश्री मिला। मेरी इच्छा है कि कालबेलिया नृत्य अमर रहे और घर-घर में पहुंचे। इसके लिए इस वर्ष 28 मार्च को स्कूल भी खोल रही हूं।

शिवाजी से हार के बाद सोया नहीं था औरंगजेब

माहुरकर लेखक, पत्रकार उदय माहुरकर ने कहा- 'औरंगजेब की सेना जब शिवाजी से हारी, तब औरंगजेब तीन दिन तक सो नहीं पाया। शिवाजी ने इस्लाम स्वीकारने वाले राजाओं को पुन: हिंदू बनाने का कार्य किया था। शिवाजी ने भारतीय राजाओं को आक्रमण करना सिखाया था।

लेखिका मनीषा कुलश्रेष्ठ ने कहा- स्त्री लेखन को किसी एक बंधन में नहीं बांधा जा सकता

किस्सागो, गीतकार और लेखक नीलेश मिसरा ने कहा कि लेखन में हमेशा अपने पात्र का परिचय ऐसे कराएं कि व्यक्ति उससे खुद को जोड़ पाए। लेखिका मनीषा कुलश्रेष्ठ ने कहा कि मेरी नजर में स्त्री लेखन को किसी एक बंधन में नहीं बांधा जा सकता। सत्र 'गर्दिश में हों तारे, काहे घबराना प्यारे' में लेखक सत्य व्यास व प्रकाशक शैलेष भारती ने लेखक होने के सपने, संघर्ष और सफलताएं विषय पर चर्चा की।


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