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वैक्सीन ही नहीं भारतीय सिरिंज भी कोरोना के खिलाफ लड़ाई में बनी अहम हथियार, आशा भरी नजरों से देख रही दुनिया

कोविड-19 रोधी वैक्सीन उत्पादन के मामले में अपना देश निर्विवाद रूप से अव्वल है और हम दुनिया की जरूरतों की 60 फीसद से ज्यादा वैक्सीन की आपूर्ति भी करते हैं। कोरोना संक्रमण के इस कठिन दौर में दुनिया आशा भरी नजरों से भारत की ओर देख रही है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Wed, 07 Apr 2021 10:40 PM (IST)Updated: Thu, 08 Apr 2021 08:49 AM (IST)
वैक्सीन ही नहीं भारतीय सिरिंज भी कोरोना के खिलाफ लड़ाई में बनी अहम हथियार, आशा भरी नजरों से देख रही दुनिया
सिरिंज के उत्पादन में भी भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है...

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। वैक्सीन उत्पादन के मामले में अपना देश निर्विवाद रूप से अव्वल है और हम दुनिया की जरूरतों की 60 फीसद से ज्यादा वैक्सीन की आपूर्ति भी करते हैं। कोरोना संक्रमण के इस कठिन दौर में भी भारतीय वैक्सीन दुनिया के लिए बड़े संबल के रूप में सामने आई हैं। यही नहीं वैक्सीन को लगाने के लिए जरूरी सिरिंज के उत्पादन में भी भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है और दुनिया हमें आशाभरी नजरों से देख रही है।

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अच्छी गुणवत्ता बेहद जरूरी

टीकाकरण के लिए उपयुक्त सिरिंज का चुनाव बेहद जरूरी है। गलत सिरिंज के कारण जापान में फाइजर-बायोएनटेक की लाखों खुराक बर्बाद हो गई। यूरोपीय यूनियन को भी वैसी सिरिंज की तलाश है, जिससे फाइजर की वैक्सीन की पूरी खुराक का इस्तेमाल किया जा सके। इसके मद्देनजर भारतीय कंपनियां 0.3 से 0.5 एमएल वाली विभिन्न प्रकार की सिरिंज का निर्माण कर रही हैं। इनमें ऑटो डिसेबल से लेकर डिस्पोजेबल सिरिंज तक शामिल हैं।

1,000 करोड़ सिरिंज की जरूरत

विशेषज्ञों के अनुसार, दुनिया की 60 फीसद आबादी को कोरोना वैक्सीन लगाने के लिए 800-1,000 करोड़ सिरिंज की जरूरत है। दुनिया की सबसे बड़ी सिरिंज निर्माता कंपनियों में शुमार हिंदुस्तान सिरिंज एंड मेडिकल डिवाइसेज (एचएमडी) व इस्कॉन सर्जिकल भारतीय हैं। ऐसे में भारत से दुनिया की उम्मीदें स्वभाविक हो जाती हैं।

भारत के लिए बड़ा अवसर

कोरोना काल से पहले भारत 200 करोड़ सिरिंज का निर्यात करता था, जबकि 400 करोड़ सिरिंज चीन से मंगवाता था। ऐसा कस्टम ड्यूटी व कम कीमत के कारण किया जाता था। अमेरिका व चीन दुनियाभर में सिरिंज के बड़े उत्पादक हैं। चीन ने सिरिंज की कीमत में 20-40 फीसद का इजाफा कर दिया है, जबकि अमेरिकी अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति में व्यस्त है। ऐसे में अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ाकर दुनिया की जरूरतों की पूर्ति के लिए यह भारत के पास बड़ा अवसर है।

दूसरे देशों से मिल रहे ऑर्डर

भारत इस दिशा में काम कर भी रहा है। सितंबर तक एचएमडी एवं इस्कॉन सर्जिकल्स दुनिया को 1.6 अरब सिरिंज की आपूर्ति में सक्षम होंगी। इनमें 1.2 अरब सिरिंज का उत्पादन अकेली एचएमडी करेगी। केंद्र सरकार ने एचएमडी को सितंबर तक 26.5 करोड़ सिरिंज की आपूर्ति का ऑर्डर दिया है। इसके अलावा कंपनी को दूसरे देशों से रोजाना सिरिंज के लिए दर्जनों ई-मेल मिलती रहती हैं।

उत्पादन क्षमता बढ़ाने में जुटी कंपनियां

दुनियाभर में बढ़ती मांग को देखते हुए भारतीय कंपनियां अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ाने में जुटी हुई हैं। रिपोर्ट के अनुसार, एचएमडी 70-80 फीसद क्षमता का इस्तेमाल करती हुई कोरोना काल से पहले हर साल 200-250 करोड़ सिरिंज का उत्पादन कर रही थी। फिलहाल उसने अपनी क्षमता बढ़ाकर 270 करोड़ कर दिया है। कंपनी जुलाई तक उत्पादन क्षमता 300 करोड़ प्रति वर्ष करने जा रही है। इस प्रकार वह मौजूदा उत्पादन क्षमता 5,900 सिरिंज प्रति मिनट से बढ़ाकर 8,200 सिरिंज प्रति मिनट करने जा रही है। 


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