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युवक-युवती ही नहीं यहां बुजुर्ग भी रहते हैं लिव इन में, विवाह से पहले बच्चा पैदा करना है परंपरा

61 वर्षीय सुगन ने 57 साल की धापा देवी से दो दिन पहले विवाह किया। दोनों पिछले दस साल से लिव-इन रिलेशन में रह रहे थे चार बच्चे भी पैदा हो गए।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Sun, 16 Feb 2020 06:47 PM (IST)Updated: Sun, 16 Feb 2020 11:33 PM (IST)
युवक-युवती ही नहीं यहां बुजुर्ग भी रहते हैं लिव इन में, विवाह से पहले बच्चा पैदा करना है परंपरा
युवक-युवती ही नहीं यहां बुजुर्ग भी रहते हैं लिव इन में, विवाह से पहले बच्चा पैदा करना है परंपरा

नरेन्द्र शर्मा, प्रतापगढ़। राजस्थान के गरासिया जनजाति बहुल उदयपुर, सिरोही, पाली और प्रतापगढ़ जिलों में एक अजीब परंपरा है। इन जिलों में गरासिया जनजाति की परंपरा वर्तमान मॉर्डन सोसायटी के लिव-इन संबंधों से मिलती-जुलती है। यहां युवक-युवती ही नहीं बुर्जुग महिला और पुरूष भी आपसी सहमति से एक-दूसरे के साथ रहते हैं। इसके बाद जब इनके बच्चे पैदा होते हैं तो फिर ये विवाह करते हैं। 

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दापा प्रथा कहलाती है यह परंपरा

गरासिया जनजाति में यह परंपरा 'दापा प्रथा' कहलाती है। समाज की इस परंपरा पर किसी को काई आपत्ति नहीं है। उदयपुर ग्रामीण के गांव सेलू और थूर के 61 वर्षीय सुगन ने 57 साल की धापा देवी से दो दिन पहले विवाह किया। ये दोनों पिछले दस साल से लिव-इन रिलेशन में रह रहे थे, चार बच्चे भी पैदा हो गए।  इसी तरह पाल गांव के 55 वर्षीय सुरज्ञान ने 38 साल की रूकमणी से पिछले दिनों विवाह किया। जब तक सालों से साथ रहा जोड़ा आपस में विवाह के लिए तैयार नहीं होता तब तक उन पर दबाव नहीं बनाया जा सकता। जब दोनों पक्ष राजी हो जाते हैं तो दूल्हा पक्ष को विवाह का समस्त खर्च वहन करना होता है। 

गरासिया जनताति का इतिहास 

गरासिया समाज खुद का इतिहास सदियों पुराना बताता है। ये लोग प्रदेश के ही गोगुंदा को अपनी उत्पति मानते हैं। ये खुद को चौहान राजपूतों का वंशज मानते हैं। इनका मानना है कि वे पूर्व में अयोध्या के निवासी थे। इनका यह भी दावा है कि उनका गौत्र बप्पा रावल की संतानों से उत्पन्न हुआ है। गरासिया समाज के लोग आपसी सहमति से पति-पत्नी की तरह रहते हैं और फिर जब चाहे विवाह करते हैं। इसके पीछे इस समुदाय की एक कहानी राज्य के पूर्व मंत्री नंदलाल मीणा ने सुनाई।  

आदिवासी नेता मीणा ने बताया कि यह कहानी प्रचलित है कि सदियों पहले गरासिया जनजाति के चार भाई थे। इनमें से तीन भाईयों ने विवाह कर लिया और एक भाई समाज की ही लड़की के साथ दापा प्रथा (लिव-इन रिलेशन) में रहने लगा । उसके बाद विवाहित तीन भाईयों के कोई संतान नहीं हुई और जो दापा प्रथा में रह रहा था उसके तीन बच्चे हो गए। बस इसी इतिहास को आधार मानकर गरासिया समाज के लोगों ने इस परंपरा को अपनाया जो कई सदियों से चली आ रही है।


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