20 साल में एक भी दिन नहीं रहे साथ, सुप्रीम कोर्ट ने मंजूर किया तलाक, जानिए पूरा मामला
शीर्ष अदालत ने असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर कार्य करने वाले एक व्यक्ति की याचिका पर यह आदेश दिया। उनकी शादी फरवरी 2002 में हुई थी। अदालत में उस व्यक्ति ने कहा महिला ने बताया था कि उसकी सहमति के बिना उसे शादी के लिए मजबूर किया गया था।
नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को करीब 20 साल पुरानी शादी को यह कहते हुए खत्म कर दिया कि युगल एक भी दिन साथ नहीं रहे और ऐसा लगता है कि उड़ान भरते ही क्रैश लैंडिंग हो गई थी। शीर्ष अदालत ने न सिर्फ संविधान के अनुच्छेद-142 के तहत प्रदत्त अपने अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए, बल्कि न्यायिक प्रक्रिया के दौरान महिला के आचरण के मद्देनजर हिंदू विवाह अधिनियम के प्रविधानों के तहत क्रूरता के आधार पर भी शादी को खत्म करते हुए तलाक को मंजूरी प्रदान कर दी। जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस हृषिकेश राय की पीठ ने कहा कि दोनों पक्षों के बीच मध्यस्थता के जरिये समाधान या किसी अन्य स्वीकार्य समाधान की कोशिश सफल नहीं हो सकी।
शीर्ष अदालत ने असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर कार्य करने वाले एक व्यक्ति की याचिका पर यह आदेश दिया। उनकी शादी फरवरी, 2002 में हुई थी। अदालत में उस व्यक्ति ने कहा, महिला ने बताया था कि उसकी सहमति के बिना उसे शादी के लिए मजबूर किया गया था। वह शादी की रात ही मैरिज हाल छोड़कर चली गई थी।
पीठ ने महिला के आचरण का भी उल्लेख किया जिसने पुरुष के खिलाफ अदालतों में कई मामले दायर किए थे और अनुशासनात्मक कार्यवाही की मांग करते हुए कालेज प्रशासन को भी कई पत्र लिखे थे। पीठ ने कहा कि महिला के इस तरह के कार्य क्रूरता माने जाएंगे।