भारत-चीन में गफलत पैदा करने की ट्रंप की कोशिश, भारत ने कहा, मोदी-ट्रंप में कोई बात ही नहीं हुई
डोनाल्ड ट्रंप का दावा एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गया है। ट्रंप ने दावा किया कि उन्होंने भारत-चीन के बीच चल रहे सीमा विवाद पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की है।
नई दिल्ली, जयप्रकाश रंजन। गलतबयानी करके दूसरे देशों व उनके राष्ट्राध्यक्षों के लिए अजीबोगरीब स्थिति पैदा करना अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के लिए कोई नई बात नहीं है। भारत के लिए वह पहले भी इस तरह की स्थिति पैदा कर चुके हैं और शुक्रवार को फिर उन्होंने कुछ ऐसा ही बयान दे दिया है। वाशिंगटन में पत्रकारों से बातचीत में ट्रंप ने कहा है कि उनकी मोदी से बात हुई है और मोदी चीन को लेकर बहुत अच्छे मूड में नहीं है। भारत व चीन के मौजूदा सीमा तनाव को देखते हुए इस बयान का खासा महत्व है, लेकिन जैसे ही मीडिया ने इस बयान को दिखाना शुरू किया भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस बात से साफ इनकार कर दिया कि पीएम नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच हाल में कोई बात भी हुई है। ऐसे में सवाल यह उठा रहा है कि क्या ट्रंप जानबूझकर भारत व चीन के बीच गलतफहमी को बढ़ाने की कोशिश की है।
ट्रंप ने दो दिन पहले ही यह ट्वीट किया था कि वह भारत व चीन के बीच सीमा पर चल रहे तनाव को दूर करने के लिए मध्यस्थता करने को तैयार है। इस बारे में ही एक पत्रकार ने उनसे सवाल पूछा था। जिसका जवाब उन्होंने दिया, ‘’भारत व चीन के बीच बड़ा टकराव चल रहा है। दोनो देशों मे 1.4 अरब से ज्यादा लोग हैं और दोनों के पास काफी सशक्त सैन्य बल है। भारत खुश नहीं है और संभवतः चीन भी खुश नहीं है। मैं आपको बताता हूं कि मैंने मोदी से बात की थी और वह चीन को लेकर अच्छे मूड में नहीं है।’’
ट्रंप के इस बयान के कुछ ही देर बाद भारतीय विदेश मंत्रालय के सूत्रों बताया, ‘‘हाल के दिनों में पीएम मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच कोई संपर्क नहीं हुआ है। इनके बीच अंतिम बातचीत 4 अप्रैल, 2020 को हाइड्रोक्सोक्लोरोक्वीन को लेकर हुई थी। हमने पहले ही यह स्पष्ट कर दिया है कि हम चीन के साथ सीधे तौर पर पहले से स्थापित व्यवस्था व कूटनीतिक तरीके से संपर्क में हैं।’’
यह तो स्पष्ट नहीं है कि ट्रंप ने इस तरह की बयानबाजी क्यों की है। जानकारों का कहना है कि ट्रंप ने कोविड-19 को लेकर चीन के खिलाफ पूरी तरह से कठोर रवैया अपना रखा है। वह चीन के खिलाफ न सिर्फ लगातार बयानबाजी कर रहे हैं, बल्कि पिछले दस दिनों में कई ऐसे उपायों का ऐलान कर चुके हैं जो अमेरिका व चीन के रिश्तों को खराब कर रहा है। मसलन, ट्रंप प्रशासन एक तरह से यह ऐलान कर चुका है कि चीन के साथ उसका शीतयुद्ध चल रहा है। हांगकांग और ताइवान को लेकर भी अमेरिका का रवैया चीन को परेशान करने वाला है। साथ ही ट्रंप ने चीन के साथ कारोबारी समझौते को भी खत्म करने की बात कर चुके हैं। दूसरी तरफ भारत ने भी यह स्पष्ट कर दिया है कि वह चीन के साथ सीमा विवाद को अपने लिहाज से ही सुलझाने को इच्छुक है।
गौरतलब है कि मई, 2020 के पहले हफ्ते में चीन के सैनिकों ने भारत से सटे सीमावर्ती इलाको में कम से कम तीन स्थानों पर भारतीय सीमा में घुसने की कोशिश की है। पूर्वी लद्दाख के एक इलाके में उनके पांच हजार सैनिक भारतीय सीमा में अस्थाई कैंप बना कर रह रहे हैं। भारत ने इस चुनौती को देखते हुए वहां ज्यादा फौज तैनात करने शुरू कर दिये हैं। भारतीय थल सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने लद्दाख जा कर हालात की समीक्षा भी की थी। भारत और चीन का कहना है कि इस सीमा विवाद को बातचीत के जरिए से सुलझा लिया जाएगा। इस बीच भारत ने अमेरिका के मध्यस्थता के प्रस्ताव को भी ठुकरा दिया है।