कल से ऑनलाइन बुक करके घर नहीं आएगी दवा, कैमिस्ट से खुद ही लानी होगी आपको
गुरुवार से आपको अपने पड़ोस की मेडिकल शॉप से ही दवाएं खरीदनी पड़ेंगी। इसके पीछे खास कारण है, चलिए जानते हैं वह वजह...
नई दिल्ली, [जागरण स्पेशल]। क्या आप टीवी, फ्रिज, मोबाइल और ग्रॉसरी सामान की ही तरह दवाईयां भी ऑनलाइन मंगवाते हैं? क्या Flipkart, Amazon, Grofers की ही तरह आपके मोबाइल में 1mg और netmeds जैसे एप्स भी हैं? अगर इन दोनों प्रश्नों के जवाब हां में हैं तो फिलहाल आपको परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। आपको अपने पड़ोस की मेडिकल शॉप से ही दवाएं मंगवानी पड़ेंगी। इसके पीछे एक अहम कारण है। चलिए जानते हैं इसके पीछे क्या वजह है...
अब मद्रास हाईकोर्ट ने लगाई रोक
सोमवार 17 दिसंबर को एक सुनवाई के दौरान मद्रास हाईकोर्ट ने दवाओं की ऑनलाइन बिक्री पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा कि जब तक केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) प्रस्तावित औषधि एवं प्रसाधन सामग्री संशोधित नियम (डीसीएआर)-2018 की सूचना जारी नहीं करता, रोक जारी रहेगी।
केंद्र सरकार को 31 जनवरी तक दिया समय
मद्रास हाईकोर्ट ने कहा है कि केंद्र सरकार इस संबंध में 31 जनवरी से पहले अधिसूचना जरूर जारी कर दे। हालांकि, ऑनलाइन दवा विक्रेताओं के आग्रह पर कोर्ट ने 20 दिसंबर तक अपने आदेश पर अमल न करने का भी निर्देश दिया। कहा कि ऑनलाइन दवा विक्रेताओं को नए नियम के तहत लाइसेंस लेना होगा। तमिलनाडु केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट ऑर्गनाइजेशन द्वारा दवाओं की ऑनलाइन बिक्री पर रोक लगाने संबंधी याचिका की सुनवाई करते हुए जस्टिस पुष्पा सत्यनारायण ने यह आदेश दिया।
दो साल पहले दिया गया था आदेश
जस्टिस सत्यनारायण ने कहा, ‘20 दिसंबर 2016 को खंडपीठ द्वारा दिए गए आदेश में सरकार को काफी अवसर दिया जा चुका है। इसके दो साल बाद भी नियम अभी मसौदा स्तर तक ही पहुंच पाया है।’ इससे पहले 31 अक्टूबर को मद्रास हाई कोर्ट ने अनाधिकृत विक्रेताओं द्वारा ऑनलाइन दवाओं की बिक्री पर रोक लगाने के लिए अंतरिम आदेश दिया था।
फुटकर विक्रेता भी हैं परेशान
ई-फार्मेसी और ऑनलाइन पोर्टल से दवाओं के निर्माण से लेकर उपयोग तक के विभिन्न चरणों में कार्यरत थोक एवं फुटकर विक्रेताओं का व्यापार प्रभावित हो रहे हैं। दावा किया जा रहा है कि ऑनलाइन दवाएं मिलने से युवाओं में नशे की प्रवृति बढ़ेगी। मानवता के स्वास्थ्य से खिलवाड़ की रोकथाम, युवाओं को नशे की प्रवृत्ति से बचाने, दवाओं के अभाव को रोकने, अनैसर्गिक प्रतिस्पर्धा के विरोध में, दवा विक्रेता की आजीविका की सुरक्षा व व्यक्तिगत पेशेंट काउंसिल को कायम रखने के नाम पर देशभर के फुटकर दवा विक्रेता बंद जैसा कदम भी उठा चुके हैं।
दिल्ली हाईकोर्ट भी लगा चुका है रोक
दिल्ली हाईकोर्ट ने इसी साल 13 दिसंबर को ही ऑनलाइन कंपनियों द्वारा दवाओं की बिक्री पर रोक लगा दी थी। चीफ जस्टिस राजेंद्र मेनन और जस्टिस वीके राव ने ऑनलाइन दवाओं की बिक्री को अवैध बताने वाली एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया था। उन्होंने नियम बनने तक इंतजार करने को कहा था।
बिना परामर्श ऑनलाइन बेची जा रही दवाएं
दिल्ली हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता जहीर अहमद ने ऑनलाइन दवाओं को बिक्री को लेकर जनहित याचिका दायर कर सवाल उठाया था कि बगैर डॉक्टरों के परामर्श के लाखों दवाइयां इंटरनेट के जरिये बिना किसी नियम-कानून के खरीदी-बेची जा रही हैं। इससे मरीज की जान को तो खतरा होता ही है, डॉक्टरों के लिए भी बड़ी परेशानी खड़ी हो गई है। जहीर अहमद ने मुख्य पीठ के समक्ष दलील दी थी कि बिना डॉक्टर के परामर्श के ऑनलाइन दवाओं की बिक्री नियमों के विरुद्ध है और अवैध है।
ऑनलाइन बिक्री है नियमों का उल्लंघन
याचिकाकर्ता ने कोर्ट का ध्यान आकर्षित करते हुए यह भी बताया था कि इंटरनेट पर कई ऐसी दवाएं बिना रोकटोक के बेची जा रही हैं, जो केवल डॉक्टर की सलाह के बाद ही दी जा सकती हैं। उन्होंने ऑनलाइन दवाइयों की बिक्री को ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट-1940 और फार्मेसी एक्ट- 1948 के नियमों का उल्लंघन बताया था। उन्होंने सरकार की मंशा पर सवाल खड़ा करते हुए दवाओं की ऑनलाइन बिक्री पर रोक लगाने की मांग की थी।