बांग्लादेश की पीएम के लिए भोजन बना रहे 32 शेफ, मेन्यू से नदारद है ‘हिलसा’
बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना अपने चार दिवसीय भारत दौरे पर हैं और उनका भोजन राष्ट्रपति भवन के 32 शेफ तैयार कर रहे हैं।
नई दिल्ली (जेएनएन)। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की ओर से पहले कई बार उपहार के तौर पर भारत के प्रमुखों को ‘हिलसा’ मछली दी गई है। इसी उपहार के कारण ‘हिलसा डिप्लोमैसी’ भी राजनीति के क्षेत्र में लोकप्रिय हुई थी। लेकिन इस बार जब पीएम हसीना भारत दौरे पर आईं हैं तो उनके भोजन में ‘हिलसा’ शामिल नहीं हो पाएगा।
1996 में ज्योति बसु को मिला था ‘हिलसा’
1996 में, गंगा जल संधि पर हस्ताक्षर से पहले बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री ज्योति बसु को हिलसा भेजा था। ‘तीस्ता जल बंटवारे’ मुद्दे पर समझौते के बीच अब 21 साल बाद जब वे वापस दिल्ली आयी हैं तब यहां से ‘हिलसा’ नदारद है।
मेन्यू में नहीं है ‘हिलसा’
राष्ट्रपति भवन में शाही डिनर के मेन्यू में यह शामिल नहीं है। इसके पीछे का कारण है- बांग्लादेश और पश्चिम बंगाल दोनों ने ही 500 ग्राम से कम वजन वाले (जुवेनाइल) हिलसा की खरीद-बिक्री को बंद करने के लिए कानूनी प्रावधान बनाया है। मार्च और अप्रैल के दौरान, जुवेनाइल हिलसा की संख्या अधिक होती है और इनकी प्रजाति के लिए इनका जीवन महत्वपूर्ण है।
32 शेफ पका रहे हैं भोजन
हसीना के दिल्ली पहुंचने से पहले कुल 32 शेफ राष्ट्रपति भवन के रसोई में काम में जुट गए थे जो केवल राष्ट्रपति व उनके नजदीकी रिश्तेदारों के लिए ही खाना बनाते हैं।
मेन्यू में हैं ये डिशेज
सूत्रों के अनुसार, मेन्यू में- भेटकी पटुरी (भेटकी मछली को केले के पत्ते में लपेट कर), चिंगरी माछेर मलाइकरी (नारियल के साथ प्रॉन करी) और चितल माछेर मुट्या शामिल है।
बतौर उपहार आया ‘हिलसा’
- 2010 में हसीना तत्कालीन रेल मंत्री ममता बनर्जी के लिए अन्य उपहारों के साथ हिलसा लेकर आयी थीं।
- 2013 में जब राष्ट्रपति के तौर पर प्रणब मुखर्जी ने बांग्लादेश का दौरा किया था शेख हसीना ने मछली के पांच तरह के डिश शामिल किए थे जिसमें हिलसा भी था।
- इसके बाद 2016 में भी हसीना ने 20 किग्रा हिलसा बनर्जी को उनके शपथ ग्रहण समारोह के पहले भेजा था।
हिलसा की जनसंख्या में तेजी से कमी होती जा रही है और इसमें बांग्लादेश एकमात्र ऐसा देश है जहां 2015-16 से हिलसा मछलियों की संख्या में इजाफा हुआ है। इसका श्रेय वहां के संरक्षण प्रयासों को जाता है। बता दें कि ढाका में नवंबर से जून के बीच जुवेनाइल हिलसा के शिकार पर 2004 में बैन लगा दिया गया था। यहां की हुगली नदी में फरक्का से सागर तक पांच हलसा सैंक्चुअरी हैं।
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