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पैसे को लेकर 7वें निजाम के वंशजों में छिड़ सकती है कानूनी जंग, 120 वंशजों के बीच लड़ाई

ब्रिटिश हाई कोर्ट ने 306 करोड़ रुपये पर हक को लेकर भारत के पक्ष में फैसला सुनाया है ।

By Manish PandeyEdited By: Published: Sun, 06 Oct 2019 10:30 PM (IST)Updated: Sun, 06 Oct 2019 10:30 PM (IST)
पैसे को लेकर 7वें निजाम के वंशजों में छिड़ सकती है कानूनी जंग, 120 वंशजों के बीच लड़ाई
पैसे को लेकर 7वें निजाम के वंशजों में छिड़ सकती है कानूनी जंग, 120 वंशजों के बीच लड़ाई

हैदराबाद, आइएएनएस। हैदराबाद के आखिरी निजाम के 120 वंशजों के बीच लंदन के एक बैंक में 70 साल पहले जमा कराए गए धन को लेकर कानूनी जंग छिड़ सकती है। निजाम के वंशजों ने कहा है कि अगर 3.5 करोड़ पाउंड (करीब 306 करोड़ रुपये) की रकम में उन्हें उनका सही हिस्सा नहीं मिला तो वे इस मामले को कोर्ट में ले जाएंगे।

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दो अक्टूबर को ब्रिटिश हाई कोर्ट ने 70 साल पुराने इस मामले में भारत के हक में फैसला सुनाया था। इस फैसले के बाद अब सारा ध्यान सातवें निजाम मीर उस्मान अली खान के कानूनी उत्तराधिकारियों के अगले कदम की ओर है। उस्मान अली खान 1948 में हैदराबाद के भारत में विलय के समय रियासत के आखिरी शासक थे। खबरों के मुताबिक बैंक में जमा किया गया पैसा पदवी के आधार पर आठवें निजाम प्रिंस मुकर्रम जाह बहादुर और उनके छोटे भाई मुफक्कम जाह के बीच हिस्से में जा सकता है। हालांकि निजाम के अन्य वंशज भी अपनी-अपनी दावेदारी के साथ आगे आ रहे हैं।

120 वंशजों के बीच पैसे को लेकर कानूनी लड़ाई

उस्मान अली खान के एक वंशज नवाब नजफ अली खान ने कहा कि उनके ही प्रयासों से यह मामला अदालत में अंजाम तक पहुंचा है। उन्होंने पुराने रिकार्ड तलाशने और बातचीत को आगे बढ़ाने का दावा किया। नजफ ने कहा कि अगर मुकर्रम और मुफक्कम ही अकेले दावेदार हैं, तो वे 2013 तक शांत क्यों बने रहे। उनका दावा है कि उन्होंने इस केस में लड़ने के लिए 2016 तक लंदन में वकील नियुक्त किया था। लेकिन बाद में उन्हें निजाम इस्टेट की तरफ से इस केस को साझा तरीके से लड़ने के लिए मना लिया गया। नजफ के मुताबिक उन्होंने 120 वंशजों के हितों का प्रतिनिधित्व किया। वे निजाम इस्टेट और भारत सरकार के बीच केस को साझा तरीके से लड़ने के लिए हुए समझौते में शामिल थे।

अगले दस दिनों में तस्वीर साफ होने की उम्मीद

निजाम के वंशजों को उम्मीद है कि अगले दस दिनों में तस्वीर कुछ साफ हो जाएगी। उनका कहना है कि अगर हमें हमारा हक नहीं मिला तो हम शांत नहीं बैठेंगे और कोर्ट जाएंगे। नजफ ने दावा किया कि उनके दादा उस्मान ने कभी नहीं कहा कि केवल मुकर्रम और मुफक्कम ही उनके उत्तराधिकारी होंगे। उस्मान के सभी बेटे, पोते-पोतियां उनके कानूनी वारिस हैं।

क्या है मामला

भारत विभाजन के दौरान 1948 में हैदराबाद के सातवें निजाम मीर उस्मान अली खान ने नेटवेस्ट बैंक में करीब 8 करोड़ 87 लाख रुपये जमा कराए थे। यह राशि अब तीन अरब रुपये से ज्यादा हो गई है। इस रकम पर पाकिस्तान अपना हक जताता रहा था। निजाम के वित्तमंत्री ने ब्रिटेन में पाकिस्तान के उच्चायुक्त रहे हबीब इब्राहिम के बैंक खाते में रकम को ट्रांसफर कर दिया था, जिसे लंदन के एक बैंक खाते में जमा कराया गया था। बाद में इस रकम को निकाला नहीं जा सका। ये धनराशि लंदन के नेशनल वेस्टमिंस्टर बैंक में जमा है।


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