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नितिन गडकरी बोले, एनएचएआइ में बोझ बने अफसरों से छुटकारा पाने का समय

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) में काम की सुस्त रफ्तार पर नाराजगी जताई है। गडकरी ने एनएचएआइ में देरी की कार्य संस्कृति पर सवाल उठाते हुए कहा कि अब एनपीए (कुछ न कर रहे लोगों) बने लोगों को बाहर का रास्ता दिखाया जाए।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Tue, 27 Oct 2020 06:15 AM (IST)Updated: Tue, 27 Oct 2020 06:15 AM (IST)
नितिन गडकरी बोले, एनएचएआइ में बोझ बने अफसरों से छुटकारा पाने का समय
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी।

नई दिल्ली, प्रेट्र। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) में काम की सुस्त रफ्तार पर नाराजगी जताई है। गडकरी ने एनएचएआइ में देरी की कार्य संस्कृति पर सवाल उठाते हुए कहा कि अब एनपीए (कुछ न कर रहे लोगों) बने लोगों को बाहर का रास्ता दिखाया जाए। ऐसे लोग परियोजनाओं में देरी कर रहे हैं और अड़चनें पैदा कर रहे हैं। बैंकिंग सेक्टर में एनपीए ऐसे कर्ज को कहा जाता है, जिसकी वसूली नहीं हो पाती। इनकी भरपाई के लिए बैंकों को अपनी कमाई से प्रावधान करना पड़ता है।केंद्रीय मंत्री गडकरी ने कहा कि एनएचएआइ अक्षम अधिकारियों का गढ़ बना हुआ है, जो अड़चनें पैदा कर रहे हैं। ऐसे अधिकारी प्रत्येक मामले को समिति के पास भेज देते हैं। समय आ गया है कि ऐसे अधिकारियों को निलंबित और बर्खास्त किया जाए और कामकाज में सुधार लाया जाए। 

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अच्छे अधिकारियों की तरह कामचोरों का नाम भी सार्वजनिक होना चाहिए

गडकरी ने द्वारका में एनएचएआइ के भवन के उद्घाटन के अवसर पर एक वर्चुअल बैठक को संबोधित करते हुए यह बात कही। इस इमारत के लिए निविदा 2011 में दी गई थी। इसे पूरा होने में नौ साल लगे। इस दौरान सात एनएचएआइ चेयरमैन और दो सरकारें आई-गई। आठवें चेयरमैन एसएस संधू के कार्यकाल में यह भवन पूरा हुआ। गडकरी ने तंज कसते हुए कहा, 'इस तरह की देरी पर एक शोध पत्र तैयार होना चाहिए, जिसमें देरी के लिए जिम्मेदार सीजीएम और जीएम की तस्वीरें होनी चाहिए। ऐसे लोगों का नाम और तस्वीरें सार्वजनिक करने के लिए समारोह होना चाहिए, जैसा मंत्रालय अच्छा काम करने वाले अधिकारियों के लिए करता है।'

केंद्रीय मंत्री ने कहा- ऐसे नाकारा अफसर केंचुए जितना भी काम नहीं करते

गडकरी ने कहा, 'यहां ऐसे एनपीए हैं जो केंचुए की तरह भी काम नहीं कर सकते हैं। यहां उन्हें पाला जाता है और पदोन्नत किया जाता है। इस तरह की विरासत को आगे बढ़ाने वाले अधिकारियों के रवैये पर मुझे शर्म आती है।' गडकरी ने कहा कि ऐसे लोग मुख्य महाप्रबंधक (सीजीएम), महाप्रबंधक (जीएम) स्तर के अधिकारी हैं, जो बरसों से यहां जमे हैं। उनके गलत फैसलों का बोझ सरकार के खजाने पर पड़ता है। आखिर प्राधिकरण आइआइटी और अन्य संस्थानों से इंजीनियर क्यों नहीं बुला पाता है।

ठेकेदारों पर फोड़ दिया जाएगा ठीकरा

गडकरी ने कहा कि दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे को तीन साल में पूरा होना है, ऐसे में एक भवन को बनाने में 10 साल कैसे लग सकता है। उन्होंने कहा, 'मैंने व्यक्तिगत तौर पर इसके लिए तीन-चार बैठकें कीं। मैं लगातार सुधारों पर जोर देता रहा हूं। अब जैसा कि परंपरा रही है, देरी का पूरा ठीकरा ठेकेदारों पर फोड़ दिया जाएगा।'


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