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हांगकांग से नीरव मोदी का प्रत्यर्पण नहीं होगा आसान

चीन ने साफ कर दिया है कि हांगकांग एक स्वायत्तशासी प्रदेश है और प्रत्यर्पण की प्रक्रिया वहां के कानून के मुताबिक हो सकती है।

By Manish NegiEdited By: Published: Mon, 09 Apr 2018 09:26 PM (IST)Updated: Mon, 09 Apr 2018 09:26 PM (IST)
हांगकांग से नीरव मोदी का प्रत्यर्पण नहीं होगा आसान
हांगकांग से नीरव मोदी का प्रत्यर्पण नहीं होगा आसान

नीलू रंजन, नई दिल्ली। भारत सरकार और जांच एजेंसियां चाहे जितना भी दावा करें, लेकिन 13000 करोड़ रुपये के घोटाले के आरोपी नीरव मोदी को कानून के कठघरे में खड़ा करना आसान नहीं होगा। हाईप्रोफाइल मामलों में आरोपियों को विदेश से लाकर सजा दिलाने में भारत का अब तक रिकार्ड खराब रहा है। एंडरसन, ओटावियो क्वात्रोची, किम डेवी, रवि शंकरण, ललित मोदी से लेकर विजय माल्या तक ऐसे मामलों की लंबी फेहरिस्त है।

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नीरव मोदी के भारत प्रत्यर्पण में आने वाली अड़चनों का संकेत चीन ने सोमवार को ही दे दिया है। चीन ने साफ कर दिया है कि हांगकांग एक स्वायत्तशासी प्रदेश है और प्रत्यर्पण की प्रक्रिया वहां के कानून के मुताबिक हो सकती है। कुछ विशेषज्ञ अंतिम समय में इसमें चीन की अहम भूमिका होने की बात भी कर रहे हैं। लेकिन, इतना साफ है कि नीरव मोदी के प्रत्यर्पण के लिए भारत को हांगकांग में लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ेगी। भारत और हांगकांग के बीच एक-दूसरे के देशों में रह रहे वांछित आरोपियों के प्रत्यर्पण का समझौता है। जिसमें वित्तीय अपराध करने वाले आरोपी भी शामिल है। लेकिन इसके बावजूद भारत को नीरव मोदी के प्रत्यर्पण का केस वहां की अदालत में लड़ना होगा, जो निचली अदालत से लेकर वहां के सर्वोच्च अदालत तक चलेगा। इसके बाद भी अंतिम फैसला वहां की सरकार का होगा।

भारत का पुराना रिकार्ड हाईप्रोफाइल मामलों में आरोपियों को वापस लाने का उत्साहजनक नहीं रहा है। 80 के दशक में बोफोर्स घोटाले के आरोपी ओटावियो क्वात्रोची को कभी भारत नहीं लाया जा सका और उसकी मौत के साथ ही बोफोर्स केस की फाइल बंद कर दी गई। यहां तक कि इंटरपोल की नोटिस के आधार पर अर्जेंटीना में उसकी गिरफ्तारी के बाद भी भारतीय एजेंसियां उसका प्रत्यर्पण कराने में बुरी तरह विफल रही। भोपाल गैस त्रासदी के आरोपी एंडरसन के खिलाफ रेड कार्नर नोटिस चार दशक तक धूल खाता रहा। इसी तरह 90 के दशक में पुरुलिया हथियार कांड के आरोपी किम डेवी के खिलाफ तमाम सबूतों के बावजूद स्वीडन से आजतक प्रत्यर्पण नहीं हो पाया है।

यहां तक कि नेवी के वाररूम का डाटा लीक करने के मामले में मुख्य आरोपी रवि शंकरन के प्रत्यर्पण पर ब्रिटिश अदालत के फैसले के बावजूद अभी तक भारत नहीं लाया जा सका है। रवि शंकरन 2006 से ब्रिटेन में रह रहा है। शंकरन के खिलाफ रेड कार्नर नोटिस है। लेकिन ललित मोदी के खिलाफ तो जांच एजेंसियां रेड कार्नर नोटिस जारी कराने में भी विफल रही। इंटरपोल ने भारत की रेड कार्नर नोटिस के अनुरोध को ही खारिज कर दिया। विजय माल्या इसका ताजा उदाहरण है। 9000 करोड़ रुपये के घोटाले के बाद विजय माल्या ब्रिटेन में रह रहा है। भारत को एक ही हाईप्रोफाइल अबु सलेम के मामले में सफलता मिली है। उसमें भी प्रत्यर्पण का केस चलाने के बजाय पुर्तगाल ने उसे सीधे विमान में बिठाकर भारत भेज दिया था। लेकिन इस शर्त के साथ कि उसे फांसी की सजा नहीं दी जाएगी। नीरव मोदी मामले में तो अभी औपचारिक शुरूआत ही दूर है। फिलहाल उसके खिलाफ केवल गैर जमानती वारंट है। 


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