सड़क परियोजनाओं के लिए एनएचएआइ ने सरकार से मांगा और धन
एनएचएआइ का कहना है कि अगले वर्ष छह हजार किलोमीटर से अधिक सड़कों का निर्माण करने के लिए अधिक धन की आवश्यकता पड़ेगी।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। एनएचएआइ ने सरकार से सड़क परियोजनाओं के लिए और धन उपलब्ध कराने की गुहार लगाई है। एनएचएआइ का कहना है कि अगले वर्ष छह हजार किलोमीटर से अधिक सड़कों का निर्माण करने के लिए अधिक धन की आवश्यकता पड़ेगी। इसलिए पिछले बजट के मुकाबले अगले बजट में उसे ज्यादा धन मुहैया कराया जाना चाहिए।
एनएचएआइ ने वित्त मंत्रालय को इस आशय का पत्र लिखा है। सूत्रों के मुताबिक पत्र में कहा गया है कि सड़क मंत्रालय ने देश में राष्ट्रीय राजमार्गों की लंबाई को मौजूदा एक लाख किलोमीटर से बढ़ाकर दो लाख किलोमीटर करने का लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए भारतमाला समेत अनेक नई परियोजनाएं प्रारंभ की गई हैं। लेकिन पिछले एक-डेढ़ वर्ष के दौरान जमीन के दामों के साथ-साथ भूमि अधिग्रहण की मुआवजे की रकम बढ़ने से ज्यादातर परियोजनाओं की लागत बढ़ गई है। ऐसे में इन परियोजनाओं को समय पर पूरा करने के लिए अतिरिक्त धन की आवश्यकता होगी। एनएचएआइ अकेले अपने बूते यह रकम नहीं जुटा सकता। इसलिए बजटीय समर्थन बढ़ाने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है।
अपनी बात के समर्थन में एनएचएआइ ने मौजूदा बाजार स्थितियों का हवाला भी दिया है। उसने लिखा है कि बाजार में नकदी की कमी के कारण सड़क निर्माता नई परियोजनाओं पर तेजी से काम नहीं कर पा रहे हैं। इसके बावजूद एनएचएआइ अपने बल पर परियोजनाओं की रफ्तार बनाए रखने में सफल रहा है। यही वजह है कि वर्ष 2018-19 के लिए 6000 किलोमीटर सड़क निर्माण के लक्ष्य के मुकाबले बरसात के बावजूद अक्टूबर तक उसने 26 किलोमीटर रोजाना के हिसाब से लगभग 4800 किलोमीटर से अधिक सड़कों का निर्माण कर डाला है। अगले छह महीनों में काम की रफ्तार बढ़ने से वह लक्ष्य को पार लेगा। लेकिन अगले वित्तीय वर्ष में धन की कमी से यह रफ्तार मंद पड़ सकती है। सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष के लिए एनएचएआइ को लगभग 30 हजार करोड़ रुपये के आवंटन समेत सड़क मंत्रालय को कुल लगभग 71 हजार करोड़ रुपये की राशि उपलब्ध कराई थी।
गौरतलब है कि इस समय एनएचएआइ द्वारा निर्माणाधीन सड़क परियोजनाओं में 18 परियोजनाओं का संबंध उत्तर प्रदेश, बिहार, जम्मू एवं कश्मीर तथा महाराष्ट्र से है। इन सभी परियोजनाओं में मुआवजे की राशि बढ़ने के कारण जमीन अधिग्रहण में कठिनाई के कारण देरी हो रही है। पिछले महीने प्रधानमंत्री के साथ हुई 'प्रगति' समीक्षा बैठक में भी अधिकारियों ने इस मसले को उठाया था।