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एनजीटी ने दिया निर्देश, छह माह के भीतर देशभर में लगाएं 175 वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशन

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने सीपीसीबी द्वारा दाखिल कराई गई रिपोर्ट देखने के बाद यह आदेश पारित किया है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Tue, 25 Aug 2020 07:48 PM (IST)Updated: Tue, 25 Aug 2020 07:52 PM (IST)
एनजीटी ने दिया निर्देश, छह माह के भीतर देशभर में लगाएं 175 वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशन
एनजीटी ने दिया निर्देश, छह माह के भीतर देशभर में लगाएं 175 वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशन

नई दिल्ली, प्रेट्र।  नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (National Green Tribunal) ने छह महीने के भीतर देशभर में 175 वायु गुणवत्ता निगरानी (एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग) स्टेशन स्थापित करने का निर्देश दिया है। दूसरी ओर एनजीटी ने पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (National Clean Air Program, NCAP) पर रिपोर्ट को लेकर फटकार भी लगाई। इसमें 2024 तक 20 से 30 फीसद वायु प्रदूषण कम करने का प्रस्ताव किया गया है।

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एनजीटी ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Central Pollution Control Board, CPCB) को राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डो के चेयरमैन, सदस्य सचिवों या अन्य अधिकारियों के साथ निर्धारित समय पर ऑनलाइन बैठक के माध्यम से निगरानी करने का निर्देश दिया है। ग्रीन ट्रिब्यूनल ने कहा है कि इस दिशा में काम एक महीने के भीतर शुरू किया जा सकता है। इस उद्देश्य के लिए राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड 'कंसेंट मैकेनिज्म', 'पर्यावरणीय मुआवजा' के तहत उपलब्ध कोष का इस्तेमाल कर सकते हैं।

गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए उपयुक्त प्रक्रिया को हो पालन

एनजीटी अध्यक्ष जस्टिस एके गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, 'यह बेहतर होगा कि इनमें से 25 स्टेशन सीपीसीबी, राज्य पीसीबी, पीसीसी संयुक्त रूप से (CPCB के ईसी कोष से वित्तीय सहायता के साथ) स्थापित करे। उचित कीमत और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए उपयुक्त प्रक्रिया का पालन हो।'

ट्रिब्यूनल ने सीपीसीबी द्वारा दाखिल कराई गई रिपोर्ट देखने के बाद यह आदेश पारित किया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि 173 स्टेशन स्थापित किए जा चुके हैं।

एनजीटी ने पर्यावरण मंत्रालय की दलील पर असहमति व्यक्त की

दूसरी ओर एनजीटी ने पर्यावरण एवं वन मंत्रालय की दलील पर असहमति व्यक्त की। मंत्रालय ने कहा है कि एक समिति का निष्कर्ष है कि एनसीएपी के तहत 20 से 30 फीसद प्रदूषण कम किया जाना संभव दिखता है। ग्रीन ट्रिब्यूनल ने कहा कि मंत्रालय का विचार संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत संवैधानिक व्यवस्था के विपरीत है।


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