गंगा सफाई प्रोजेक्ट के दूसरे चरण पर एनजीटी ने फैसला रखा सुरक्षित
कुल 25 सौै किमी लंबी गंगा की चरणबद्ध तरीके से सफाई करने की योजना बनाई गई है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। गंगा सफाई प्रोजेक्ट के दूसरे चरण पर एनजीटी ने अपना फैसला फिलहाल सुरक्षित रखा है। लगभग 18 माह तक चली सुनवाई के दौरान केंद्र की राजग सरकार के साथ उप्र की सरकार का पक्ष जाना गया।
गंगा में प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 32 साल पहले जनहित याचिका दायर की गई थी। पर्यावरणविद एमसी मेहता की इस याचिका को 2014 में एनजीटी में स्थानांतरित किया गया था। जस्टिस स्वतंत्र कुमार के साथ जस्टिस जावेद रहीम, जस्टिस आरएस राठौड़ व मामले के विशेषज्ञों बीएस सजवान, अजय ए देशपांडे व नागिन नंदा मामले की सुनवाई कर रहे हैं। ट्रिब्यूनल ने गंगा की सफाई के प्रोजेक्ट को चार हिस्सों में बांट रखा है। इसमें नदी उत्तराखंड, उप्र, बिहार, झारखंड और प. बंगाल से होकर गुजरती है।
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कुल 25 सौै किमी लंबी गंगा की चरणबद्ध तरीके से सफाई करने की योजना बनाई गई है। गोमुख से लेकर हरिद्वार तक के पहले चरण को लेकर एनजीटी प्रमुख दिसंबर 2015 में अपना फैसला सुना चुके हैं। दूसरे चरण में उत्तराखंड के हरिद्वार से लेकर उप्र के उन्नाव तक के हिस्से में फैले प्रदूषण पर बहस की गई। ट्रिब्यूनल ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्डो से भी जवाब तलब किया था। हालांकि उप्र सरकार ने यह कहकर अपना बचाव किया कि कानपुर से टेनरियों को स्थानांतरित करने की कवायद चल रही है। गंगा को सबसे ज्यादा नुकसान इनसे निकलने वाले रसायनयुक्त पानी से हो रहा है।
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गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में मोदी सरकार ने आश्वासन दिया है कि 2018 तक गंगा की सफाई का काम पूरा कर लिया जाएगा। एमसी मेहता की याचिका पर संज्ञान लेते हुए अदालत ने रोष जताया था कि पिछले तीस सालों से गंगा की सफाई पर कोई काम नहीं किया गया है।