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खतरनाक कबाड़ के आयात पर रिपोर्ट में देरी के लिए सरकार को एनजीटी ने लगाई फटकार

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने खतरनाक अपशिष्टों के आयात की समीक्षा के लिए गठित कमेटी की रिपोर्ट में देरी पर पर्यावरण मंत्रालय को फटकार लगाई है। एनजीटी के अध्यक्ष जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि महज कमेटी गठित करने से मकसद पूरा नहीं होता।

By Arun kumar SinghEdited By: Published: Wed, 13 Jan 2021 07:23 PM (IST)Updated: Wed, 13 Jan 2021 07:23 PM (IST)
खतरनाक कबाड़ के आयात पर रिपोर्ट में देरी के लिए सरकार को एनजीटी ने लगाई फटकार
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने खतरनाक अपशिष्टों के आयात की समीक्षा

 नई दिल्ली, प्रेट्र। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने खतरनाक अपशिष्टों के आयात की समीक्षा के लिए गठित कमेटी की रिपोर्ट में देरी पर पर्यावरण मंत्रालय को फटकार लगाई है। एनजीटी के अध्यक्ष जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि महज कमेटी गठित करने से मकसद पूरा नहीं होता, जब तक कि मामले को तार्किक परिणति तक नहीं पहुंचाया जाए। वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने बताया कि एक साल पहले कमेटी गठित की गई, लेकिन इसके बारे में कुछ भी नहीं कहा गया कि रिपोर्ट क्यों नहीं पेश हुई। 

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नवंबर, 2019 में गठित की गई थी कमेटी, नहीं आई रिपोर्ट

मंत्रालय ने टायर, टेक्स्टाइल, कांच, तेल, पेपर तथा प्रिंटेंट सर्किट बोर्ड जैसे खतरनाक तथा अन्य कबाड़ों की आयात-निर्यात नीति की समीक्षा के लिए 29 नवंबर, 2019 को एक कमेटी गठित की थी। लेकिन कमेटी ने पेपर अपशिष्ट आयात के बारे में कोई रिपोर्ट नहीं दी है। पीठ ने कहा कि मंत्रालय को इस पर ध्यान देते हुए यह सुनिश्चित करना चाहिए कि रिपोर्ट 30 अप्रैल, 2021 से पहले यथाशीघ्र मिल जाए। ताकि उस रिपोर्ट तथा अन्य सामग्री के आधार पर मंत्रालय पर्यावरण तथा लोकहित में आगे की नीति पर फैसला कर सके। 

पर्यावरण मंत्रालय से कहा- सिर्फ कमेटी बनाने से पूरा नहीं होता मकसद

एनजीटी ने इसके पहले केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि देश में 50 माइक्रॉन से कम मोटाई का प्लास्टिक बैगों का न तो निर्माण हो और न ही उसका भंडारण या बिक्री। अधिकरण अमित जैन की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें कहा गया है कि अमेरिका, यूरोप और अन्य स्थानों से खराब गुणवत्ता वाला अपशिष्ट कागज और सड़क सफाई का कचरा यहां ईंट भट्टों में जलने के लिए आता है, जिससे वायु प्रदूषण होता है। याचिका के मुताबिक, खतरनाक प्लास्टिक निर्मित करने वाले कबाड़ का आयात नौ लाख टन तक पहुंच गया है।


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