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भारत-मध्य एशियाई समिट में चाबहार पोर्ट की कनेक्टिविटी पर सहमति, ईरान से रूस तक बनाया जाएगा कारिडोर

विदेश मंत्रालय में सचिव (पश्चिम) रीनत संधु ने बैठक के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि कनेक्टिविटी को लेकर सबसे ज्यादा विमर्श हुआ है। भारत की तरफ से ईरान में निर्मित चाबहार पोर्ट को नार्थ साउथ ट्रांसपोर्ट कारिडोर (आइएनएसटीसी) में शामिल करने की बात मान ली गई है।

By Amit SinghEdited By: Published: Thu, 27 Jan 2022 08:14 PM (IST)Updated: Thu, 27 Jan 2022 10:09 PM (IST)
भारत-मध्य एशियाई समिट में चाबहार पोर्ट की कनेक्टिविटी पर सहमति, ईरान से रूस तक बनाया जाएगा कारिडोर
वर्ष 2024 में होगा अगला इंडिया-सेंट्रल एशिया समिट (सोर्स- एएनआई)

नई दिल्ली, एएनआई: भारत-मध्य एशिया समिट की पहली बैठक का गुरूवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए आयोजन हुआ। बैठक में शामिल होते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत और मध्य एशिया देशों के कूटनीतिक संबंधों को लेकर विस्तार से चर्चा की।

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कनेक्टिविटी को लेकर हुआ सबसे ज्यादा विमर्श

विदेश मंत्रालय में सचिव (पश्चिम) रीनत संधु ने बैठक के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि कनेक्टिविटी को लेकर सबसे ज्यादा विमर्श हुआ है। भारत की तरफ से ईरान में निर्मित चाबहार पोर्ट को नार्थ साउथ ट्रांसपोर्ट कारिडोर (आइएनएसटीसी) में शामिल करने की बात मान ली गई है। यह कारिडोर ईरान से होते हुए रूस तक बनाया जाने वाला है। इसमें सड़क, रेल व समुद्री मार्ग शामिल होगा। इससे भारत में निर्मित उत्पाद को रूस तक सिर्फ 25 दिनों में 35 प्रतिशत कम लागत पर पहुंचाया जा सकेगा। अभी इसमें 45 दिनों का समय लगता है। चाबहार पोर्ट को जोड़ने को लेकर अभी ईरान-भारत-उज्बेकिस्तान के बीच पहले से ही एक समिति है जिसमें अब शेष चार देशों को भी शामिल किया जाएगा। सभी देशों के बीच एक कार्य दल का भी गठन होगा जो चाबहार पोर्ट से उत्पादों व सेवाओं को इन सभी देशों के बीच बेरोकटोक पहुंचाने का रोडमैप बनाएगा।

घोषणा पत्र में आतंकवाद की कड़ी निंदा

संयुक्त घोषणा पत्र में हर तरह के आतंकवाद की कड़ी निंदा की गई है। कहा गया है कि हम सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने की हर तरह की गतिविधि, आतंकवाद को प्रश्रय देने, उसे किसी भी कारण से बढ़ावा देने और कट्टरपन की निंदा करते हैं। सभी देशों ने यूएन की तरफ से आतंकवाद के खिलाफ पारित प्रस्तावों को कड़ाई से लागू करने की बात कही है। बैठक में किर्गिज रिपब्लिक के राष्ट्रपति सादिर जापारोव, ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति इमोलाई रहमोन, तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रपति गुरबांगली बर्दीमुहमदेव, उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शवकत मिर्जियायेव और कजाखस्तान के राष्ट्रपति कासिम जोमार्ट तोकायेव ने हिस्सा लिया।


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