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अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा चीन, कहा- भारतीय उपमहाद्वीप से फैला कोरोना वायरस

यह अध्ययन मेडिकल पत्रिका लैंसेट के प्रकाशन पूर्व प्लेटफॉर्म एसएसआरएन डॉट कॉम पर प्रकाशित हुआ था। अब हालांकि इस लेख को हटा लिया गया है। चीनी विज्ञान अकादमी के तहत तंत्रिका विज्ञान संस्थान के एक कर्मचारी ने भी ग्लोबल टाइम्स को बताया कि अध्ययन को हटा लिया गया है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Mon, 14 Dec 2020 08:20 PM (IST)Updated: Mon, 14 Dec 2020 08:20 PM (IST)
चीन और अमेरिका के शोधकर्ताओं के अध्ययन में किया गया दावा

नई दिल्ली, आइएएनएस। कोरोना वायरस को लेकर समय पर जानकारी नहीं देने के चलते दुनियाभर में आलोचनाओं का सामना कर रहे चीन ने अब एक नया शिगूफा छोड़ा है। चीन और अमेरिका के शोधकर्ताओं के अध्ययन में दावा किया गया है कि कोरोना वायरस का संक्रमण सबसे पहले संभवत: भारतीय उपमहाद्वीप में हुआ। 17 नवंबर को यह अध्ययन मेडिकल पत्रिका लैंसेट के प्रकाशन पूर्व प्लेटफॉर्म एसएसआरएन डॉट कॉम पर प्रकाशित हुआ था। अब हालांकि इस लेख को हटा लिया गया है। चीनी विज्ञान अकादमी के तहत तंत्रिका विज्ञान संस्थान के एक कर्मचारी ने भी ग्लोबल टाइम्स को बताया कि अध्ययन को हटा लिया गया है। यह अध्ययन तंत्रिका विज्ञान संस्थान, शंघाई के फुदान विश्वविद्यालय और ह्यूस्टन के टेक्सास विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने किया है।

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अध्ययन को वापस लेने पर कर सकते हैं विचार 

अध्ययन में कहा गया है कि वुहान में महामारी का प्रकोप शुरू होने से लगभग तीन-चार महीना पहले संभवत: भारतीय उपमहाद्वीप में कोरोना वायरस का शुरुआती संक्रमण सामने आया। ग्लोबल टाइम्स का कहना है कि एसएसआरएन डॉट कॉम से अध्ययन को हटाने में कुछ भी आश्चर्यजनक नहीं है। बीजिंग के एक स्वास्थ्य विशेषज्ञ ने अखबार को बताया कि यदि शोधकर्ताओं या शोध संस्थानों को लगता है कि आंकड़ों में कोई कमी है या यदि वे निष्कर्षो को लेकर आश्वस्त नहीं हैं, तो अध्ययन को वापस लेने पर विचार कर सकते हैं।

उन्होंने कहा कि वायरस के उद्गम को लेकर अध्ययन को वापस लिए जाने से साफ है कि इसका पता लगाना एक जटिल वैज्ञानिक सवाल है। यह कोई आसान काम नहीं है और बिना अंतरराष्ट्रीय सहयोग के इसको लेकर किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सकता। उन्होंने कहा कि इस बात के कई साक्ष्य हैं कि वायरस के बारे में लोगों को पता चलने से पहले इसका अस्तित्व था।

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