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गरीबी का आकलन करने को तैयार किए जा रहे नए मानक, समन्वय समिति की हुई पहली बैठक

समन्वय समिति की संयोजक एवं नीति आयोग में सलाहकार संयुक्ता समादार ने बताया कि एमपीआइ तैयार करने में मुख्य रूप से तीन क्षेत्रों को शामिल किया गया है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Fri, 04 Sep 2020 09:18 PM (IST)Updated: Fri, 04 Sep 2020 09:19 PM (IST)
गरीबी का आकलन करने को तैयार किए जा रहे नए मानक, समन्वय समिति की हुई पहली बैठक
गरीबी का आकलन करने को तैयार किए जा रहे नए मानक, समन्वय समिति की हुई पहली बैठक

राजीव कुमार, नई दिल्ली। गरीबी यूं तो सीधे तौर पर आय से जुड़ती है। कभी न्यूनतम आय, कभी कैलोरी तो कभी 13 मानकों पर भी इसका आकलन किया जाता रहा है। अब गरीबी तय करने में यह भी देखा जाएगा कि पेयजल के लिए कितनी दूर पैदल चलना पड़ता है, क्या इलाज के अभाव में घर के बच्चे की मौत हुई या फिर क्या बच्चे लगातार छह साल तक स्कूल जा सके। ऐसे मानकों को तय करने के लिए पहली बैठक हो चुकी है।

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यूनाइटेड नेशंस डेवलपमेंट प्रोग्राम की ओर से सभी देशों को मल्टीडाइमेंशनल पॉवर्टी इंडेक्स (MPI) तय करने को कहा गया था। सरकार की तरफ से अंतर-मंत्रालयी समन्वय समिति बनाई गई है। हाल ही में एमपीआइ समन्वय समिति की बैठक की गई जिसमें विभिन्न मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारियों ने एमपीआइ के मानकों पर चर्चा की।इस समिति का गठन कैबिनेट सचिव के निर्देश पर किया गया है।

तीन क्षेत्रों को किया गया है शामिल 

समन्वय समिति की संयोजक एवं नीति आयोग में सलाहकार संयुक्ता समादार ने बताया कि एमपीआइ तैयार करने में मुख्य रूप से तीन क्षेत्रों को शामिल किया गया है। स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवनयापन का स्तर। इन तीनों को मिलाकर कुल 10 मानक तय किए गए हैं जिनके आधार पर भारत का एमपीआइ तैयार किया जाएगा। हर मानक के लिए स्कोर तय किया जा रहा है जिसके आधार पर यह पता चलेगा कि अलग-अलग क्षेत्रों में कितने लोग गरीब हैं।

समादार ने बताया कि एमपीआइ से यह भी पता चलेगा कि भारत ने इन तीन क्षेत्रों में कितनी तरक्की की है। हालांकि अभी जो एमपीआइ तैयार किया जा रहा है उसमें 2015 से अब तक की जानकारी ली जाएगी। देश के सभी घरों का डाटा लेकर इस सूचकांक को तैयार किया जाएगा। डाटा लेने के काम में नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की मदद ली जा रही है। नीति आयोग के मुताबिक, इन दिनों राज्यों से स्वास्थ्य, शिक्षा व जीवनयापन से जुड़ी सुविधाओं की डिलीवरी में तेजी लाने के लिए कहा जा रहा है ताकि एमपीआइ में उनकी झलक मिल सके।

गरीबी मापने के 10 मानक

1. न्यूट्रीशन : परिवार का कोई सदस्य कुपोषण का शिकार तो नहीं है।

2. बच्चे की मृत्यु : परिवार में पिछले पांच साल में 18 साल से कम उम्र वाले किसी बच्चे की मौत तो नहीं हुई है।

3. स्कूल जाने का वर्ष : स्कूल जाने लायक कितने सदस्य छह साल स्कूल गए हैं।

4. स्कूल जाने लायक कोई बच्चा क्या स्कूल नहीं पा जा रहा है।

5. कुकिंग फ्यूल : लकड़ी-कोयला, उपले व कृषि पदार्थो की मदद से खाना बनाने वाले परिवार।

6. सैनिटेशन : शौचालय है या नहीं, किसी अन्य परिवार के साथ शेयर तो नहीं करना पड़ता।

7. पीने लायक पानी : पीने लायक पानी लाने के लिए कहीं आपको 30 मिनट तक पैदल तो नहीं चलना पड़ता।

8. बिजली : जिस घर में बिजली नहीं है।

9. हाउसिंग : उचित छत, दीवार और फ्लोर नहीं होने वाले घर।

10. संपदा : इन संपदाओं में कम से कम दो संपदा नहीं रखने वाले घर। रेडियो, टीवी, टेलीफोन, कंप्यूटर, बैलगाड़ी, साइकिल, मोटरसाइकिल या फ्रिज।


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