.. मिलेगी असीमित ऊर्जा, फ्रांस में बना रहा है प्रायोगिक फ्यूजन रिएक्टर इतर
नई दिल्ली। दुनिया से खत्म होते ईधन के विकल्पों की तलाश में महत्वपूर्ण कामयाबी मिली है। अगर सबकुछ ठीक रहा तो वह दिन दूर नहीं जब धरतीवासियों को असीमित स्वच्छ ऊर्जा प्राप्त होगी। दरअसल, करीब छह दशक के अथक प्रयास के बाद अमेरिकी शोधकर्ताओं को अपने महत्वाकांक्षी शोध में महत्वपूर्ण कामयाबी मिली है। इस शोध का
नई दिल्ली। दुनिया से खत्म होते ईधन के विकल्पों की तलाश में महत्वपूर्ण कामयाबी मिली है। अगर सबकुछ ठीक रहा तो वह दिन दूर नहीं जब धरतीवासियों को असीमित स्वच्छ ऊर्जा प्राप्त होगी। दरअसल, करीब छह दशक के अथक प्रयास के बाद अमेरिकी शोधकर्ताओं को अपने महत्वाकांक्षी शोध में महत्वपूर्ण कामयाबी मिली है। इस शोध का उद्देश्य सूर्य के अंदर होने वाली प्रक्रियाओं की तरह परिस्थितियों को दोबारा बनाना और नाभिकीय संलयन रिएक्टरों के लिए मार्ग प्रशस्त करना है।
वैज्ञानिकों ने प्रयोग में प्रयुक्त ऊर्जा की तुलना में ज्यादा ऊर्जा पैदा की। यह एक छोटा, लेकिन संलयन शक्ति का दोहन करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। इसका मुख्य उद्देश्य प्रयोग के दौरान खपत की तुलना में ज्यादा ऊर्जा उत्पादन करना है। हालांकि इसे पूरा करने में अभी काफी वक्त लगेगा, लेकिन कई दशकों तक मिली असफलता के बाद इस छोटी सी सफलता ने उम्मीद जगा दी है।
दरअसल, संलयन ऊर्जा में ऊर्जा का वैकल्पिक स्रोत बनने की क्षमता है। कारण इसमें कार्बन उत्सर्जन शून्य होता है और कम अपशिष्ट निकलता है। हालांकि प्रयोगशाला में संलयन प्रदर्शन को लेकर काफी तकनीकी दिक्कतें पेश आती हैं। मौजूदा परमाणु रिएक्टर ऊर्जा का उत्पादन परमाणुओं को अतिसूक्ष्म कणों में विखंडित कर करते हैं। जबकि फ्यूजन (संलयन) रिएक्टर हल्के परमाणु नाभिक को भारी कणों के साथ मिला देता है।
कैसे किया शोध : कैलिफोर्निया के
लारेंस लिवरमोर नेशनल लेबोरेट्री के नेशनल इगनिशन फैसिलिटी में शोधकर्ताओं ने प्रयोग के दौरान शक्तिशाली 192 लेसर की किरणों का इस्तेमाल जरा से ठोस ईंधन को तोड़ने के लिए किया और तापमान इतना ज्यादा रखा कि यह सूर्य से ज्यादा गर्म हो जाए। यह प्रक्रिया सरल नहीं थी। लेजर की किरणों को सोने के कैप्सूल पर छोड़ा गया जिसमें दो मिमी की गोलाकार गोली थी। इस प्लास्टिक की गोली के अंदर की परत के ऊपर ईधन का लेप लगाया गया। यह परत किसी इंसान के बाल से भी पतली थी। लेजर किरणों के सोने के कैप्सूल में प्रवेश करने से उसकी दीवारों से एक्स-रे किरणें निकलने लगी, जिसने गोली को गर्म किया और इसमें असाधारण तरीके क्रिया हुई। ईधन हाइट्रोजन आइसोटोप (ट्राइटियम और ड्यूटीरियम का मिश्रण) गहन परिस्थितियों में आंशिक रूप से पिघलता है। लेजरों ने करीब दो मेगाजूल ऊर्जा निकाली यह लगभग डायनामाइट की दो मानक छड़ों के समान थी।
विश्व का सबसे बड़ा सौर प्रोजेक्ट भारत में
नेचर पत्रिका में वैज्ञानिकों ने लिखा, ईधन में हुई संलयन क्रियाओं ने 17 किलोजूल ऊर्जा पैदा की। इस प्रयोग से वैज्ञानिकों को संलयन रिएक्टर को बनाने में मदद मिलेगी। प्रायोगिक फ्यूजन रिएक्टर फ्रांस में बनाया जा रहा है। जिसका नाम इतर है। माना जा रहा है कि वह पहला संयंत्र होगा जो खपत की तुलना में अधिक ऊर्जा का उत्पादन करेगा।