ब्लड कैंसर के इलाज में उम्मीद की नई किरण जगी
शोधकर्ता की एक टीम ने ऐसी प्रक्रिया ईजाद की है जो खतरनाक ल्यूकेमिया (रक्त कैंसर) से ग्रस्त कोशिकाओं को हानिरहित कोशिकाओं में बदल सकती है।
वाशिंगटन। अमेरिका की स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी में एक भारतीय समेत शोधकर्ता की एक टीम ने ऐसी प्रक्रिया ईजाद की है जो खतरनाक ल्यूकेमिया (रक्त कैंसर) से ग्रस्त कोशिकाओं को हानिरहित कोशिकाओं में बदल सकती है। इससे कैंसर के इलाज की दिशा में नई उम्मीद जगी है।
स्कूल ऑफ मेडिसिन के सहायक प्रोफेसर रवि मजेती ने एक मरीज के शरीर से ल्यूकेमिया कोशिकाओं को लेकर उन्हें लैब में कल्चर प्लेट में जीवित रखने का प्रयास किया। उसी दौरान उनका ध्यान इस प्रक्रिया की ओर गया। नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस के जर्नल में प्रकाशित अपने शोध में उन्होंने कहा कि बी-सेल ल्यूकेमिया कोशिकाएं कई मायनों में मूल कोशिकाएं होती हैं, जो अपरिपक्व स्थिति में रहने के लिए मजबूर होती हैं।
अध्ययन के दौरान मेजेती और उनके वरिष्ठ स्कॉट मैकेलन ने पाया कि कुछ कैंसर कोशिकाएं अपना आकार बदल रही हैं, जो मेक्रोफेगस जैसी लग रहीं थीं। टीम ने पुष्टि की कि कुछ साल पहले चूहों की मूल कोशिकाओं में बदलाव के लिए अपनाई गई इस प्रक्रिया को इंसानों पर लागू किया जा सकता है।
क्या है मेक्रोफेगस
खून में कुछ स्थिर और कुछ तैरती मेक्रोफेगस कोशिकाएं होती हैं जो कैंसर कोशिकाओं को खा और पचा जाती हैं। मजेती और उनकी टीम को उम्मीद है कि जब कैंसर कोशिकाएं मेक्रोफेगस कोशिकाओं में बदलेंगी तो वे न केवल निष्क्रिय हो जाएंगी, बल्कि कैंसर से लड़ाई में भी मददगार होंगी। शोधकर्ता अब ऐसी दवा बनाने का प्रयास करेंगे जो इस प्रक्रिया को शुरू कर सके।