चौबीसों घंटे बिजली की उम्मीद बंधी
भारत में बिजली उत्पादन और बिजली सप्लाई की सूरत जल्द ही बदल जाएगी। इसके लिए केंद्र सरकार ने व्यापक स्तर पर कदम उठाए हैं जिनका परिणाम कुछ समय में दिखाई भी देने लगेगा।
नई दिल्ली (जयप्रकाश रंजन)। लगभग साढ़े तीन लाख करोड़ रुपये के कर्ज में दबी बिजली वितरण कंपनियां, अधिकांश ताप बिजली प्लांटों का कोयले की कमी का रोना, महंगे आयातित कोयले का बोझ आम जनता पर डालना, उत्तर प्रदेश से लेकर तमिलनाडु तक में बिजली की कटौती, भ्रष्टाचार व घोटाले का मारा कोयला उद्योग। यह तस्वीर थी जब दो वर्ष पहले केंद्र सरकार ने सत्ता संभाली थी। कहने की जरुरत नहीं कि देश के बिजली क्षेत्र को ऐसे दुर्दिन पहले कभी नहीं देखने पड़े थे। लेकिन आज क्या स्थिति है?
इसके लिए हमें कुछ आंकड़ों पर गौर करना होगा। देश के पावर एक्सचेंज में बिजली की दर अभी 2.07 रुपये प्रति यूनिट है। कुछ दिन पहले यह 1.83 रुपये प्रति यूनिट थी। देश में बिजली की दर इतनी कम कभी नहीं रही। यह इसलिए हुआ है कि बिजली की आपूर्ति रिकार्ड स्तर पर है। बिजली की आपूर्ति इसलिए बढ़ी है क्योंकि हर प्लांट को कोयले की आपूर्ति समय पर और पर्याप्त मात्रा में हो रही है।
अप्रैल-मई में जब सबसे ज्यादा बिजली की किल्लत होती है जब मांग और आपूर्ति में अंतर महज 2.1 फीसद है। बिजली की कटौती कम हो रही है इसके लिए एक अहम वजह यह भी है कि ट्रांसमिशन की लाइनें सुदृढ़ की गई हैैं। पिछले वित्त वर्ष के दौरान ट्रांसमिशन लाइनों में 30 फीसद का इजाफा हुआ है। दक्षिण भारत में ट्रांसमिशन क्षमता में 79 फीसद का इजाफा हुआ है। जानकारों की मानें तो सरकार के अगले तीन वर्ष बिजली सुधार के लिए बेहद अहम साबित होंगे। इसमें उदय योजना की अहम भूमिका होगी। उदय योजना में शामिल सभी राज्यों को बिजली की चोरी पर लगाम लगाना होगा और लागत कम करने के लिए बड़े फैसले करने होंगे।
इसके अलावा सौर ऊर्जा के मामले में जो फैसले किये गये हैैं उनका असर दो से तीन वर्षों में दिखाई देने लगेगा। सरकार के सहयोग से वर्ष 2019 तक देश की बिजली क्षमता में एक लाख मेगावाट सौर ऊर्जा जुड़ जाएगी। इसके अलावा गैर पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों से 65 हजार मेगावाट बिजली का उत्पादन और होने लगेगा। इससे बिजली क्षेत्र की पूरी तस्वीर बदल जाएगी। साथ ही बिजली की कीमत कम करने के लिए जो कदम हाल के दिनों में उठाये गये हैैं उसका भी असर दिखाई देने लगेगा। सरकार का मानना है कि सिर्फ सही तरीके से कोयले का उपयोग बिजली घरों में करके ही बिजली की कीमत में 50 पैसे प्रति यूनिट तक कमी हो सकेगी। साथ ही वर्ष 2017 तक हर गांव बिजली से जुड़ जाएंगे और इसी तरह से देश का हर घर भी चौबीसों घंटे बिजली आपूर्ति से वर्ष 2019 तक जुड़ जाएगा।
बिजली क्षेत्र की पांच सबसे बड़ी चुनौतियां
1. पर्याप्त ईंधन (कोयला और गैस) की आपूर्ति
2. बिजली वितरण कंपनियों की खस्ताहाल माली हालत को सुधारना
3. ट्रांसमिशन व वितरण हानि को कम करना, बिजली चोरी रोकना
4. तमाम वजहों से अटकी हुई 70 हजार मेगावाट क्षमता की परियोजनाओं को बढ़ाना
5. गैर पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों से पैदा होने वाली बिजली की कीमत को कम करना