GST के दो सालः आज शुरू हो रहा नई रिटर्न प्रणाली का परीक्षण, अक्टूबर से होगा लागू
GST के दो सालः इस दौरान केंद्र और राज्यों के 17 अप्रत्यक्ष कर समाप्त हुए। अब भी सुधार की बहुत गुंजाइश हैं। साथ ही उन उत्पादों को भी जीएसटी में लाने की चुनौती है जो अभी बाहर हैं।
नई दिल्ली [हरिकिशन शर्मा]। ‘एक देश, एक कर’ के नारे के साथ दो वर्ष पहले आज ही के दिन वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लांच किया गया था। शुरुआती अड़चनें पार कर जीएसटी स्थिरता और स्थायित्व की ओर बढ़ा है, लेकिन सरलीकृत रिटर्न, निर्यातकों को त्वरित रिफंड और रियल एस्टेट व पेट्रोलियम उत्पादों को इस परोक्ष टैक्स प्रणाली के दायरे में लाने की चुनौतियों से पार पाना अभी बाकी है।
जीएसटी की दूसरी सालगिरह पर सरकार सोमवार से नयी रिटर्न व्यवस्था का परीक्षण शुरू कर इसी दिशा में कदम बढ़ाने जा रही है। वित्त मंत्रलय ने रविवार को बयान जारी कर कहा, जीएसटी का क्रियान्वयन शुरुआती महीनों में चुनौतियों के बिना नहीं हुआ है। व्यापार व उद्योग जगत के सहयोग से इन चुनौतियों का दृढ़ता से सामना किया गया और जीएसटी अब स्थिर हो गया है।
मंत्रलय ने इन दो वर्षो को ग्रोइंग एंड शेयरिंग टुगेदर (जीएसटी) यानी एक दूसरे के साथ मिलकर बढ़ने का भाव करार दिया है। जीएसटी लागू होने के बाद से केंद्र और राज्यों के 17 अप्रत्यक्ष कर समाप्त हो गए हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने जब घंटा बजाकर संसद के केंद्रीय कक्ष से इसकी शुरुआत की थी, तब इसे गुड एंड सिंपल टैक्स करार दिया था। इस वर्ष मई तक जीएसटी में 1.35 करोड़ असेसी पंजीकृत हुए हैं, जिसमें से 17.74 लाख ने कंपोजीशन स्कीम ली है।
1 अक्टूबर से लागू होगी GST की नई टैक्स प्रणाली
जीएसटी के क्रियान्वयन में केंद्रीय वित्त मंत्री की अध्यक्षता वाली जीएसटी काउंसिल ने अहम भूमिका निभायी है। काउंसिल 35 बैठकें कर, एक हजार से अधिक निर्णय कर चुकी है, लेकिन अब तक एक बार भी इसमें मतदान की आवश्यकता नहीं पड़ी है। जीएसटी का तीसरा साल बेहद अहम होगा। शुक्रवार से नई टैक्स प्रणाली का परीक्षण शुरू हो रहा है और यह पहली अक्टूबर से लागू हो जाएगा।
GST संग्रह बढ़ाने की चुनौती
आने वाले दिनों में कैश लेजर सिस्टम को तर्कसंगत बनाने और रिफंड जारी करने का सिंगल सिस्टम बनाने जैसे उपाय भी मूर्तरूप लेंगे। ई-इन्वॉयस सिस्टम, अपीलीय प्राधिकरणों की स्थापना, पंजीकरण के लिए सीमा बढ़ाकर 40 लाख रुपये करने जैसे निर्णय भी अमल में लाये जाएंगे। इसके अलावा भी सरकार के समक्ष जीएसटी के मोर्चे पर कई चुनौतियां होंगी। सबसे बड़ी चुनौती जीएसटी संग्रह बढ़ाने की है।
पेट्रोलियम उत्पादों पर GST कब?
जुलाई 2017 से मई 2019 तक के दौरान सिर्फ छह माह ऐसे रहे हैं जब जीएसटी संग्रह एक लाख करोड़ रुपये के पार गया है। चालू वित्त वर्ष में भी अब तक संग्रह अपेक्षानुरूप नहीं रहा है। ऐसे में केंद्र और राज्यों को मिलकर जीएसटी की चोरी रोकने को ठोस कदम उठाने होंगे। उन उत्पादों को जीएसटी में लाने की चुनौती होगी, जो फिलहाल दायरे से बाहर हैं। मनोरंजन टैक्स लगाने की शक्ति स्थानीय निकायों के पास है, जबकि शराब पर टैक्स लगाने का अधिकार राज्यों के पास है। वहीं पेट्रोलियम उत्पादों पर जीएसटी कब से लागू किया जाए, इस बारे में जीएसटी काउंसिल को निर्णय करना है।
सबसे बड़ी चुनौती
जीएसटी संग्रह बढ़ाना सबसे बड़ी चुनौती है। पिछले 23 में से 17 माह में जीएसटी संग्रह लाख करोड़ का आंकड़ा नहीं छू पाया। शराब, मनोरंजन कर, रियल एस्टेट, कच्चा तेल, डीजल, पेट्रोल, प्राकृतिक गैस, एटीएफ को जीएसटी के दायरे में लाने की चुनौती अभी सामने है।
आंकड़ों के आईने में जीएसटी
- 06 महीनों में जीएसटी संग्रह रहा है एक लाख करोड़ रुपये के पार।
- 1.35 करोड़ असेसी पंजीकृत हैं इस वर्ष मई तक जीएसटी में।
- 17.74 लाख असेसी ने ली है कंपोजीशन स्कीम।
- 35 बैठकें हुई हैं जीएसटी काउंसिल की अब तक।
- 1000 से अधिक निर्णय कर चुकी है काउंसिल।
- 01 बार भी मतदान की आवश्यकता नहीं पड़ी है।