नई शिक्षा नीति से हासिल होंगे 21वीं सदी की शिक्षा के लक्ष्य : कस्तुरीरंगन
जाने-माने विज्ञानी के. कस्तुरीरंगन ने शनिवार को कहा कि नई शिक्षा नीति (एनईपी) से देश में शिक्षा की एक नई व्यवस्था जन्म लेगी। इस व्यवस्था से भारतीय मूल्यों और लोकाचार को बनाए रखते हुए 21वीं सदी की शिक्षा के आकांक्षी लक्ष्यों को हासिल करने में मदद मिलेगी।
नई दिल्ली, प्रेट्र। जाने-माने विज्ञानी के. कस्तुरीरंगन ने शनिवार को कहा कि नई शिक्षा नीति (एनईपी) से देश में शिक्षा की एक नई व्यवस्था जन्म लेगी। इस व्यवस्था से भारतीय मूल्यों और लोकाचार को बनाए रखते हुए 21वीं सदी की शिक्षा के आकांक्षी लक्ष्यों को हासिल करने में मदद मिलेगी। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व प्रमुख कस्तुरीरंगन उस समिति के चेयरमैन थे, जिसने एनईपी का मसौदा तैयार किया था।
वह कांचीपुरम स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, डिजाइन एंड मैन्युफैक्चरिंग के आठवें दीक्षा समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि देश की नई शिक्षा प्रणाली को इस तरह से तैयार किया गया है, कि यह न सिर्फ प्रत्येक नागरिकों की जरूरतों और आवश्यकताओं से जुड़े बल्कि एक न्यायपूर्ण और समतामूलक समाज का भी निर्माण करे। नई शिक्षा नीति एकीकृत, पर लचीला दृष्टिकोण तैयार करती है।
विफलताओं के सही आकलन से मिली इसरो को सफलता
कस्तुरीरंगन ने कहा कि सेटेलाइट लांच व्हीकल्स की विफलताओं के सही विश्लेषण और तकनीकी व गुणवत्ता की कमियों को दूर करने से इसरो को मौजूदा पीढ़ी के पीएसएलवी और जीएसएलपी के प्रक्षेपण में सफलता मिली।
उन्होंने कहा कि पहले के दो उन्नत उपग्रह प्रक्षेपण यान (एएसएलवी) की असफलता से इसरो के विज्ञानियों में निराशा छा गई थी। लेकिन हमने निराशा को खुद पर प्रभावी नहीं होने दिया और सफलता के लिए संकल्प लिया। हमने प्रक्षेपण की विफलता के कारणों का गहराई से विश्लेषण किया। तकनीकी और गुणवत्ता संबंधी खामियों को दूर किया गया और उसके बाद के नतीजे सबके सामने हैं।
इसरो ने पोलर सेटेलाइट लांच व्हीकल्स (पीएसएलवी) और जियोसिंक्रोनस सेटेलाइट लांच व्हीकल्स (जीएसएलवी) को सफलतापूर्वक लांच किया। पीएसएलवी इसरो का सबसे भरोसेमंद लांच व्हीकल्स है। इसरो ने इसके जरिये कई उपग्रहों को सफलतापूर्वक उनकी कक्षा में पहुंचाया है।