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New Education Policy: BEd के बाद नौकरी की गारंटी, अन्य कामों से दूर रहेंगे शिक्षक

New Education Policy में शिक्षक पेशे में अच्छी प्रतिभाओं को आकर्षित करने की सिफारिश की गई है। साथ ही शिक्षक तैयार करने वाले संस्थानों के ढांचागत परिवर्तन पर भी जोर दिया गया है।

By Amit SinghEdited By: Published: Wed, 26 Jun 2019 11:56 AM (IST)Updated: Wed, 26 Jun 2019 12:22 PM (IST)
New Education Policy: BEd के बाद नौकरी की गारंटी, अन्य कामों से दूर रहेंगे शिक्षक
New Education Policy: BEd के बाद नौकरी की गारंटी, अन्य कामों से दूर रहेंगे शिक्षक

नई दिल्ली [अरविंद पांडेय]। मौजूदा दौर में जब अच्छी प्रतिभाएं शिक्षक के पेशे में नहीं आ रही है, ऐसे में प्रस्तावित नई शिक्षा नीति में इन्हें आकर्षित करने की बड़ी पहल की गई है। इसके तहत बीएड (शिक्षक बनने वाले कोर्स) में दाखिला लेने वाले छात्रों को आकर्षक छात्रवृति के साथ गारंटीड नौकरी देने की सिफारिश भी की गई है। फिलहाल ग्रामीण क्षेत्रों में इसकी सबसे ज्यादा जरूरत बताई गई है।

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नई शिक्षा नीति के प्रस्तावित मसौदे में साफ माना गया है कि शिक्षकों के पेशे में युवाओं का जो कम रुझान है उसकी बड़ी वजह पैसा, नौकरी की गारंटी और सम्मान का भाव पैदा ना होना है। ऐसे में इन बाधाओं को समाप्त करना जरूरी है। नीति में बीएड के चार वर्षीय कोर्स को तेजी से पढ़ाने का भी प्रस्ताव है। इसके साथ शिक्षक तैयार करने वाले संस्थानों के ढांचे को मजबूत बनाने की भी सिफारिश की गई है। मसौदे में शिक्षक तैयार करने वाले देश के 17 हजार संस्थानों पर भी सवाल खड़े किए गए है। साथ इन संस्थानों में पैसे लेकर डिग्रियां बांटे जाने का भी खुलासा किया है।

पढ़ाई के अलावा सभी कामों से किया जाय अलग

नई शिक्षा नीति के मसौदे में शिक्षकों को अध्यापन के अलावा सभी गैर जरूरी कामों से अलग करने की सिफारिश भी की गई है। इनमें चुनावी ड्यूटी से मुक्त रखने, मिड-डे मील जैसी जिम्मेदारियों से अलग रखने सहित कई सिफारिशें की गई है। नीति में इस बात का भी जोर दिया गया है कि शिक्षकों को समय पर अध्यापन से जुड़ी विशेष ट्रेनिंग भी दी जाए, जिससे वह अपने ज्ञान को और निखार सकें।

शिक्षकों की जरूरत का हो अध्ययन

नई शिक्षा नीति के मसौदे में शिक्षकों की जरूरत का पता लगाने के लिए प्रत्येक पांच साल में एक अध्ययन की भी सिफारिश की गई है। जो प्रत्येक राज्यों को करनी होगी। इस पूरी कवायद के पीछे जो कारण है, वह यह है की शिक्षकों की आने वाली जरूरत को समय से पहले पहचाना जा सके, ताकि समय रहते जरूरी प्रबंध किए जा सकें।

निजी स्कूलों में भी टीईटी पास शिक्षक की हो नियुक्ति

प्रस्तावित मसौदे में टीईटी (टीचर एलिजविलिटी टेस्ट) को निजी स्कूलों में पढाने वाले शिक्षकों के लिए भी अनिवार्य करने की सिफारिश की गई है। मौजूदा समय में यह सिर्फ सरकारी स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों के लिए ही अनिवार्य है।

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