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चीन और पाकिस्‍तान सीमा पर रिसर्च के लिए बनाई जाएगी नई डीआरडीओ लैब

DRDO ने दो लैब का विलय करके डिफेंस जियो इंफॉर्मेटिक्स रिसर्च एस्टेब्लिशमेंट नामक एक नई प्रयोगशाला बनाई है। नई लैब लद्दाख से अरुणाचल प्रदेश तक चीन से लगी सीमा पर इलाके और हिमस्खलन पर शोध पर ध्यान केंद्रित करेगी।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Mon, 30 Nov 2020 08:34 PM (IST)Updated: Mon, 30 Nov 2020 08:34 PM (IST)
चीन और पाकिस्‍तान सीमा पर रिसर्च के लिए बनाई जाएगी नई डीआरडीओ लैब
डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) की फाइल फोटो।

 नई दिल्‍ली, एएनआइ। सीमा पर संघर्ष के बीच में सरकार ने चीन और पाकिस्तान के साथ सीमाओं पर हिमस्खलन और भूखंड पर केंद्रित शोध करने के लिए दो डीआरडीओ लैब का विलय कर एक नई लैब का निर्माण किया जाएगा। सरकार के सूत्रों के अनुसार, डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) ने दो  लैब का विलय करके डिफेंस जियो इंफॉर्मेटिक्स रिसर्च एस्टेब्लिशमेंट नामक एक नई प्रयोगशाला बनाई है।

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नई लैब लद्दाख से अरुणाचल प्रदेश तक चीन से लगी सीमा पर इलाके और हिमस्खलन पर शोध पर ध्यान केंद्रित करेगी। सरकार द्वारा विलय किए गए दो लैब मनाली मुख्यालय वाले हिमपात और हिमस्खलन अध्ययन प्रतिष्ठान (एसएएसई) और दूसरा दिल्ली स्थित रक्षा क्षेत्र अनुसंधान प्रतिष्ठान हैं। इन प्रयोगशालाओं का विलय डीआरडीओ में इसके प्रमुख डॉ. जी सतेश रेड्डी द्वारा संगठन को "पतला, जुगत पूर्ण, और अधिक परिणामोन्मुख" बनाने के लिए बड़े पैमाने पर किए गए सुधारों में पहला कदम है।

एसएएसई परिचालन क्षेत्रों में बर्फ और हिमस्खलन के अध्ययन में बहुत सक्रिय रूप से लगा था। उसने देश के विभिन्न हिस्सों में लगभग 3,000 ऑन रोड स्थानों के हिमस्खलन का एटलस तैयार किया है, जहां सशस्त्र बल तैनात हैं। 


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