कोरोना के नए प्रकार का वैक्सीन की क्षमता पर असर होने के आसार कम, देश के एक प्रमुख विज्ञानी का दावा
सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलीक्युलर बायोलॉजी (सीसीएमबी) के निदेशक डॉक्टर राकेश मिश्रा ने उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू(M Venkaiah Naidu) को इसकी जानकारी दी गहै। नए प्रकार से निपटने में पहले वाले प्रबंधन के कारगर होने की उम्मीद है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। देश के एक प्रमुख विज्ञानी ने उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू से गुरुवार को कहा कि ब्रिटेन और दक्षिण अफ्रीका में मिले कोरोना वायरस के नए प्रकार का मौजूदा समय में तैयार हो रहे टीकों की क्षमता पर असर होने के आसार बहुत कम हैं।सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलीक्युलर बायोलॉजी (सीसीएमबी) के निदेशक डॉक्टर राकेश मिश्रा ने नायडू को यह भी बताया कि ऐसा कोई प्रमाण सामने नहीं आया, जिससे यह पता चलता हो कि मरीजों पर इस नए प्रकार का ज्यादा घातक असर होगा।
हालांकि, यह नया प्रकार ज्यादा संक्रामक है। उन्होंने कहा कि वायरस के इस नए प्रकार से निपटने में पहले वाले प्रबंधन एवं रणनीति के कारगर होने की उम्मीद है। एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि मिश्रा ने हैदराबाद में नायडू से मुलाकात की और ब्रिटेन एवं दक्षिण अफ्रीका में पाए गए कोरोना वायरस के नए प्रकार के बारे में सूचित किया। इस अवसर पर सीसीएमबी के वरिष्ठ मुख्य विज्ञानी डॉक्टर के लक्ष्मी राव भी उपस्थित थे। मिश्रा ने नायडू को बताया कि इस बात की जांच की जा रही है कि वायरस का नया प्रकार भारत में भी मौजूद है या नहीं? कोरोना का यह नया प्रकार पहले से 71 फीसद ज्यादा संक्रामक है।
जायडस कैडिला ने वैक्सीन के तीसरे चरण के परीक्षण की अनुमति मांगी
दवा निर्माता कंपनी जायडस कैडिला ने गुरुवार को कहा कि पहले और दूसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल में उसकी कोरोना वैक्सीन को सुरक्षित पाया गया है। कंपनी ने सरकार से इसके तीसरे चरण के ट्रायल के लिए अनुमति मांगी है। जायडस कैडिला ने एक बयान में कहा कि कंपनी 30,000 स्वयंसेवकों पर तीसरे चरण के परीक्षण की योजना बना रही है।
कैसे हैं वायरस के नए स्ट्रेन
माना जाता है कि ब्रिटेन में कोरोना का पहला नया स्ट्रेन सितंबर में केंट प्रांत में सामने आया था, जबकि दूसरा दक्षिण अफ्रीका से वहां पहुंचा है। नवंबर में लॉकडाउन के बावजूद जब कोरोना संक्रमितों की संख्या तेजी से बढ़ने लगी तब इसकी जांच की गई और तभी पहले नए स्ट्रेन की जानकारी सामने आई। दूसरे स्ट्रेन की पहचान इसी महीने जीनोमिक सर्विलांस से हुई। इन दोनों स्ट्रेन में समानताएं तो हैं, लेकिन बिल्कुल एक जैसे नहीं हैं। हालांकि, माना जा रहा है कि दोनों ही पहले वाले कोरोना स्ट्रेन से ज्यादा घातक हैं।