शाबाश बेटी! हिमानी ने दिया परिवार को गर्व करने का मौका, यूं किया मुकाम हासिल
हिमानी पर हर किसी को गर्व होना चाहिए। उन्होंने आईएएस एग्जाम में पास होने के बाद इसके फाउंडेशन कोर्स में भी टॉप किया है।
नई दिल्ली [मनु त्यागी]। मैं बहुत हैरान होता हूं जब कोई कहता है- अरे बेटी हो गई... अब क्या होगा? मैं तो कहता हूं बेटियां तो लक्ष्मी होती हैं, पीढ़ी के सपनों में रंग भर देती हैं...। मेरी बेटी हिमानी ने हमारी पीढ़ियों को गर्व से भर दिया। एक ऐसा सपना जो दादा की आंखों में सजकर एक पिता के ह्रदय से होते हुए बिटिया तक पहुंचा, तो उसने इसे जीवन का लक्ष्य बना लिया। और यह सपना उसने अपने बूते कैसे पूरा कर दिखाया, पता ही नहीं चला। ऐसा एक बेटी ही कर सकती है। मैं आज बहुत गौरवान्वित महसूस करता हूं कि मेरी बिटिया हिमानी ने भारतीय सांख्यिकी सेवा (आइएसएस) में पहले ही प्रयास में देशभर में सातवीं रैंक हासिल की...।
यह कहते हुए गाजियाबाद, उप्र निवासी अनुशिक्षक गिरीराज मेहता भावुक हो जाते हैं। हिमानी ने आइएसएस की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद हाल ही में हैदराबाद में इसके फाउंडेशन कोर्स की परीक्षा में भी टॉप किया है। और अब ग्रेटर नोएडा सेंटर में तीन माह का प्रशिक्षण ले रही हैं। अपने गौरव भरे पल पर हिमानी कहती हैं कि अब लक्ष्य को हासिल करने के बाद तो सब कुछ सहज लग रहा है, लेकिन छह माह मेरे जीवन में बहुत संघर्षशील रहे। हालांकि उस संघर्ष से ही मैं यहां पहुंच भी पाई हूं...।
अपनी परीक्षा की तैयारी के बारे में बताती हैं कि 2017 में दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज से परास्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद प्लेसमेंट से ही मुझे अमेरिकन एक्सप्रेस कंपनी में नौकरी मिल गई थी। जिंदगी थोड़ी भागदौड़ भरी हो गई थी। तभी एक दिन पापा ने कहा कि तुम्हे अपने बारे में कुछ और सोचना चाहिए। मैं पहले सोचती थी कि कुछ दिन नौकरी करने के बाद तब सिविल सर्विस की तैयारी करूंगी, लेकिन उस दिन पापा की बात के बाद तय किया बड़े लक्ष्यों को हासिल करने के लिए आने वाले कल पर कुछ नहीं छोड़ना चाहिए। और नौकरी के साथ ही आइएसएस की परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी...।
हिमानी ने बताया, सुबह 11 बजे गुरुग्राम ऑफिस के लिए निकला करती थी और रात में 9 बजे तक लौट पाती थी। उसके बाद रात को 11 बजे से सुबह 4 बजे तक पढ़ाई करती थी। इस बीच नींद के सवाल पर कहती हैं कि वो तो ज्यादातर ऑफिस से मेट्रो के सफर में ही पूरी करती थी। लगभग छह महीने मेरी यही दिनचर्या रही। इसी मेहनत का मुझे वर्ष 2018 में अच्छा परिणाम भी मिला। चुनौती यह भी थी कि उस वर्ष महज 32 सीट थीं और उसमें से 12 ही सामान्य वर्ग की थीं।
25 वर्षीय हिमानी कहती हैं कि मुझे स्नातक और परास्नातक की पढ़ाई से तो भरपूर सहयोग मिला ही इसके अलावा ऑनलाइन स्टडी मैटीरियल ने भी बहुत साथ दिया। इसी की बदौलत मुझे किसी कोचिंग की जरूरत नहीं पड़ी। और वर्ष 2019 में हैदराबाद के फाउंडेशन कोर्स के बाद हुई परीक्षा में भी मैं सभी के बीच सर्वाधिक अंक हासिल कर उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू से सम्मानित होने का सौभाग्य पा सकी।
बिटिया की सफलता पर हर्षित पिता गिरिराज कहते हैं, मुझे आज भी याद है जब प्ले स्कूल में एडमिशन के लिए, इंटरव्यू के लिए लेकर गया था तो तभी वहीं पर जिद पकड़ कर बैठ गई कि आज से ही पढ़ना है। पढ़ने की ऐसी लगन कि हमें कहना पढ़ता था कि बेटा थोड़ा आराम भी कर लो, लेकिन वह अडिग रही और आखिरकार उसने हमारा सीना गर्व से चौड़ा कर दिखाया है...।
हिमानी के पिता गिरिराज मेहता का कहना है कि जब रात भर बेटी को पढ़ते देखता और सुबह ऑफिस जाते, तो बहुत कहता था कि सिर्फ परीक्षा की तैयारी करो, नौकरी रहने दो, लेकिन उसने दोनों चीजें जिम्मेदारी से पूरी कीं।उसने पीढ़ियों का नाम रोशन कर दिया है। मुझे अपनी बेटी पर गर्व है।
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