भरोसा था कि कमला लहराएगी जीत का परचम, अमेरिका जाकर दूंगा शुभकामनाएं- गोपालन बालाचंद्रन
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी की जीत के बाद पार्टी की उप राष्ट्रपति की उम्मीदवार कमला हैरिस का पदभार संभालना ही शेष रह गया है।कमला हैरिस की जीत पर उनके मामा बालाचंद्रन ने कहा कि उन्हे यकीन था कि कमला यह जरूर कर पाएंगी।
गौरव बाजपेई, दक्षिणी दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी की जीत के बाद पार्टी की उप राष्ट्रपति की उम्मीदवार कमला हैरिस का पदभार संभालना ही शेष रह गया है। कमला हैरिस के उप राष्ट्रपति बनने को लेकर उनके भारत में रहने वाले रिश्तेदार बेहद खुश हैं। दिल्ली के मालवीय नगर में शिवालिक कॉलोनी में रहने वाले कमला हैरिस के मामा गोपालन बालाचंद्रन भी बेहद खुश है। रविवार सुबह से लगातार इंटरव्यू देने के बाद भी वह मीडियाकर्मियों को इंकार नहीं कर रहे हैं। बेहद उत्सुकता के साथ वह सवालों का जवाब देते हैं। उन्होने कहा कि वह दिसम्बर के आखिरी सप्ताह में अमेरिका जाएंगे। जिससे वह 20 जनवरी को होने वाले शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हो सके।
कमला हैरिस की जीत पर उनके मामा बालाचंद्रन ने कहा कि उन्हे यकीन था कि कमला यह जरूर कर पाएंगी। शुक्रवार सुबह कमला से हुई बातचीत में उन्होने कमला को पहले ही भरोसा दिलाया था कि वह जीत रही है। उन्होने कहा कि उनकी एक बेटी पहले ही वाशिंगटन में मौजूद है और कमला हैरिस के चुनावी प्रबंधन टीम में शामिल है। बालाचंद्रन पहले इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज से जुड़े रहे हैं। वह पिछले तीस साल से दिल्ली के मालवीय नगर में रह रहे हैं।
मजबूत हैं अमेरिका और भारत के संबंध
कमला हैरिस के उपराष्ट्रपति बनने पर भारत के साथ संबंधों के असर पर वह कहते हैं कि भारत और अमेरिका के बीच संबंध बेहद मजबूत हैं। किसी पार्टी के आने या जाने से उनमें नीतिगत कोई असर नहीं आएगा। भारत और अमेरिका दो मजबूत राष्ट्रों की तरह एक दूसरे के सहयोगी हैं। उन्होने कहा कि अमेरिकी सीनेट में मौजूद लोग भारत का पक्ष रखने वाले हैं। हालांकि कमला हैरिस के उपराष्ट्रपति बनने से अमेरिकी प्रशासन में भारतवंशियों का दखल जरूर बढ़ेगा।
चार साल पहले आखिरी बार हुई थी मुलाकात
बालाचंद्रन ने बताया कि कमला हैरिस से उनकी आखिरी मुलाकात जनवरी 2017 में हुई थी। उन्हे अपनी भांजी के काम पर बेहद गर्व है। वह चार साल बाद दोबारा अपनी भांजी से मुलाकात करेंगे। उन्होने जोड़ा कि यह चुनाव अमेरिका के लिए बदलाव से भरा हुआ है। डोनाल्ड ट्रंप का शासन अमेरिका के लिए बुरा वक्त था। ट्रंप ने ना सिर्फ इस महामारी बल्कि अन्य कई मामलों में संकीर्ण नजरिया दिखाया है जिससे अमेरिका और विश्व समुदाय को नुकसान पहुंचा है।
Coronavirus: निश्चिंत रहें पूरी तरह सुरक्षित है आपका अखबार, पढ़ें- विशेषज्ञों की राय व देखें- वीडियो