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अब टॉयलेट खुद को रखेगा साफ, आप भी अपना सकते हैं यह तकनीक

कोई व्यक्ति जब शौच करने के लिए शौचालय में दरवाजा बंद करता है तो यह सिस्टम चालू हो जाता है और टैंक में पानी भरने लगता है।

By JP YadavEdited By: Published: Fri, 24 Aug 2018 08:24 AM (IST)Updated: Fri, 24 Aug 2018 11:38 AM (IST)
अब टॉयलेट खुद को रखेगा साफ, आप भी अपना सकते हैं यह तकनीक
अब टॉयलेट खुद को रखेगा साफ, आप भी अपना सकते हैं यह तकनीक

नोएडा (चंद्रशेखर वर्मा)। प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी के ‘स्वच्छ भारत अभियान’ को लेकर लोग काफी जागरूक हुए हैं। कुछ लोग जहां रैलियां व कार्यशाला का आयोजन कर तो कुछ अपने प्रयोगों के जरिये अभियान को सफल बनाने का प्रयास कर रहे हैं। इसी कड़ी में युवा कपिल अग्रवाल और प्रियांशु प्रताप सिंह की टीम ने एक ऐसा सिस्टम तैयार किया है, जो पब्लिक स्तर पर स्मार्ट टॉयलेट की परिकल्पना को पंख लगा रहा है। इस सिस्टम को ‘अनलॉक एंड फ्लश’ नाम दिया गया है। इसको टॉयलेट में लगाकर आम टॉयलेट को स्मार्ट बनाया जा सकता है।

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गाजियाबाद के रहने वाले 23 वर्षीय कपिल ग्रेटर नोएडा के एबीइएस इंर्फोमेशन टेक्नॉलजी संस्थान से पास आउट हैं। उन्होंने एक सिस्टम बनाया है, जिसमें टॉयलेट में फ्लश करने की जरूरत नहीं होती। दरवाजे खुलने और बंद करने पर यह सिस्टम खुद ही सक्रिय हो जाता है।

कपिल ने बताया कि दरवाजे पर इस सिस्टम को लगाया जाता है। इसके साथ ही पानी का टैंक भी फिट कर दिया जाता है। कोई व्यक्ति जब शौच करने के लिए शौचालय में दरवाजा बंद करता है तो यह सिस्टम चालू हो जाता है और टैंक में पानी भरने लगता है। इसके बाद शौच करने के बाद व्यक्ति जब टॉयलेट का दरवाजा खोलता है तो कमोड में खुद ही फ्लश हो जाता है।

अभी आता है चार हजार का खर्च

कपिल बताते हैं कि अभी बाजार से सामान खरीदकर लाने और ‘अनलॉक एंड फ्लश’ सिस्टम तैयार करने में चार हजार रुपयों की लागत आती है। कोई कंपनी रुचि दिखाए और निवेश करे तो इस लागत को काफी कम किया जा सकता है।

हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड, कोलकाता की मानें तो यह काफी अच्छा और इनोवेटिव प्रोजेक्ट है। इसको कारपोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) के तहत पायलेट प्रोजेक्ट के आधार पर लगाए जाने पर विचार चल रहा है।

पूरा सिस्टम है मैकेनिकल

कपिल ने बताया कि इस तरह के सिस्टम में कंपनियां अक्सर सेंसर का इस्तेमाल करती हैं, लेकिन उनकी तकनीक में पूरा काम मैकेनिकल हुआ है। इसमें जितने भी पुर्जों का इस्तेमाल किया गया है, उनको इस तरह से लगाया गया है कि सेंसर की जरूरत ही नहीं पड़ती।

कंपनियां दिखा रही हैं रुचि

कपिल ने बताया कि उनके सिस्टम में अभी तक कोलकाता स्थित पब्लिक सेक्टर यूनिट हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड (एचसीएल) ने रुचि दिखाई है।

यहां लग गया है सिस्टम

कपिल ने बताया कि उनके कॉलेज में यह सिस्टम लग चुका है। दिल्ली स्थित इंडियन स्पाइनल इंजरी सेंटर में भी यह सिस्टम लगने पर बातचीत चल रही है। 


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