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Farmer Protest : जानिए तीन घंटे तक सरकार और किसान संगठनों के बीच क्‍या हुई बातचीत, आंदोलन को लेकर क्‍या है आगे की रणनीति

विज्ञान भवन में मंगलवार को किसान संगठनों और सरकार के साथ कुल चार घंटे की लंबी वार्ता हुई। किसान नेता जहां अपनी पुरानी बातें सुना रहे थे वहीं सरकार की ओर से प्रजेंटेशन देकर उसके बारे में विस्तार से बताया जा रहा था।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Tue, 01 Dec 2020 08:13 PM (IST)Updated: Wed, 02 Dec 2020 06:59 AM (IST)
Farmer Protest : जानिए तीन घंटे तक सरकार और किसान संगठनों के बीच क्‍या हुई बातचीत, आंदोलन को लेकर क्‍या है आगे की रणनीति
सरकार की सलाह को किसानों ने किया खारिज

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कृषि सुधार के कानूनों को लेकर आंदोलन कर रहे किसान संगठनों के साथ सरकार की मंगलवार को हुई तीसरे दौर की वार्ता भी बेनतीजा समाप्त हो गई। सभी की नजर अब परसों होने वाली अगले दौर की बैठक पर टिक गई है। वार्ता खत्म होने के बाद बाहर आए केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा 'आज की बैठक में परस्पर समझ बनी है। किसानों के साथ अब चौथे चरण की वार्ता परसों (बृहस्पतिवार) को होगी जिसमें विस्तृत चर्चा होगी।' वार्ता के दौरान सरकार की ओर से संयुक्त समिति के गठन के प्रस्ताव को किसान नेताओं ने खारिज कर दिया।

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बैठक में किसान संगठनों के नेता कानूनों को समाप्त करने की अपनी पुरानी जिद पर अड़े रहे। लेकिन उन प्रावधानों को किसान नेता नहीं बता सके जो सीधे किसान हितों के विरुद्ध हों। सरकार की ओर से किसान नेताओं से स्पष्ट कहा गया कि अगले दौर की बैठक में आयें तो उन प्रावधानों को चिन्हित करके लाएं जो किसान हितों के विरुद्ध हो ताकि उन पर गंभीरता से विचार किया जा सके। मंडी कानून के साथ कांट्रैक्ट खेती को लेकर उठाई जा रही आपत्तियों के किन प्रावधानों से किसानों के हित प्रभावित हो सकते हैं।

30 प्रमुख किसान संगठनों ने लिया हिस्सा

विज्ञान भवन में मंगलवार को किसान संगठनों और सरकार के साथ कुल चार घंटे की लंबी वार्ता हुई। किसान नेता जहां अपनी पुरानी बातें सुना रहे थे, वहीं सरकार की ओर से प्रजेंटेशन देकर उसके बारे में विस्तार से बताया जा रहा था। बैठक 30 प्रमुख किसान संगठनों के नेताओं ने हिस्सा लिया जिसमें ज्यादातर लोग पंजाब व हरियाणा के थे। जबकि सरकार की ओर से केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर और रेल मंत्री पीयूष गोयल के साथ सोम प्रकाश हिस्सा ले रहे थे। बैठक में कृषि मंत्रालय के सचिव संजय अग्रवाल समेत कई और अफसरों ने हिस्सा लिया। किसानों के साथ वार्ता में जाने से पहले भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के आवास पर केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृहमंत्री अमित शाह, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रेल मंत्री पीयूष गोयल के बीच किसान आंदोलन को सुलझाने को लेकर गहन विचार विमर्श हुआ।

प्रस्ताव को किसान नेताओं ने मानने से किया इनकार

समझौता वार्ता में संयुक्त समिति बनाकर सभी मसलों पर रोजाना बैठक कर विचार करने के प्रस्ताव को किसान नेताओं ने मानने से इनकार कर दिया। सरकार की ओर से कहा गया कि छोटे समूह में बैठकर किसी समस्या पर गहन विचार-विमर्श करना आसान होता है। लेकिन इस पर उनका कहना था कि समिति के सीमित सदस्यों के साथ वार्ता की जगह सभी संगठनों के प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे। किसान आंदोलन किसी नतीजे के आने तक जारी रखा जाएगा। किसान नेता न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरकार से पुख्ता भरोसे का आग्रह कर रहे थे। सरकार की ओर से उन्हें नये कानूनों के बारे में विस्तार से बताने के लिए प्रजेंटेशन दिखाया गया।

कृषि सुधार के कानूनों के विरोध में पिछले कई दिनों से दिल्ली बार्डर पर किसानों का आंदोलन चल रहा है। अखिल भारतीय किसान महासंघ के अध्यक्ष प्रेम सिंह ने बैठक अच्छा बताया। सरकार के साथ 3 दिसंबर को अगली बैठक के दौरान, हम उन्हें समझाएंगे कि कृषि कानून का कोई भी किसान समर्थन नहीं करता है। इसे लेकर आंदोलन जारी रहेगा। आंदोलन कर रहे किसान संगठन नेताओं के अगले दौर की बातचीत के लिए प्वाइंट तैयार किए जाएंगे।

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