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सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक से ट्विन टावर ढहाने वाली कंपनी से एक हफ्ते के भीतर करार करने के दिए निर्देश, जानें क्‍या कहा

सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक को आदेश दिया है कि वह नोएडा के एमराल्ड कोर्ट स्थिति 40 मंजिला ट्विन टावर ढहाने के लिए एडिफिस इंजीनियरिंग कंपनी के साथ करार करे। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक को कई अन्‍य निर्देश दिए हैं।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Mon, 17 Jan 2022 09:54 PM (IST)Updated: Tue, 18 Jan 2022 02:26 AM (IST)
सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक से ट्विन टावर ढहाने वाली कंपनी से एक हफ्ते के भीतर करार करने के दिए निर्देश, जानें क्‍या कहा
सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक को आदेश दिया है कि ट्विन टावर ढहाने के लिए एडिफिस इंजीनियरिंग के साथ करार करे।

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। सुप्रीम कोर्ट ने रियल एस्टेट कंपनी सुपरटेक को आदेश दिया है कि वह नोएडा के अपने एमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट में स्थिति दो 40 मंजिला टावर को गिराने के लिए एडिफिस इंजीनिय¨रग कंपनी के साथ एक हफ्ते के भीतर करार करे। इसके अलावा शीर्ष अदालत ने सुपरटेक को घर खरीदारों के पैसे भी लौटाने को कहा। कोर्ट ने घर खरीदारों से कहा कि सुपरटेक जो पैसे दे रहा है उसे वे ले लें इससे उनके हित प्रभावित नहीं होंगे कोर्ट उनकी बात सुनेगा।

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ये आदेश न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय पीठ ने दिये। मालूम हो कि नियमों का उल्लंघन करने पर सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक को ट्विन टावर ढहाने का आदेश दिया था। साथ ही सुपरटेक से कहा था कि वह उन टावरों में फ्लैट बुक कराने वाले सभी खरीदारों के पैसे भी वापस करे।

सुप्रीम कोर्ट आजकल आदेश के अनुपालन पर सुनवाई कर रहा है। पिछली सुनवाई पर कोर्ट ने आदेश के अनुपालन में हीला हवाली के लिए सुपरटेक को कड़ी फटकार लगाई थी। इतना ही नहीं आदेश के बावजूद घर खरीदारों के पैसे अभी तक वापस न किए जाने पर कंपनी के निदेशकों को जेल भेजने तक की चेतावनी दी थी।

सोमवार को मामले में सुनवाई के दौरान नोएडा अथारिटी की ओर से पेश वकील रवींद्र कुमार ने कोर्ट को बताया कि अथारिटी ने सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीबीआरआइ) के साथ परामर्श करके 40 मंजिला ट्विन टावर ढहाने के लिए एडिफिस इंजीनियरिंग कंपनी का नाम फाइनल किया है। इस मामले में कोर्ट को निर्देश देने की जरूरत है क्योंकि सुपरटेक देर कर रहा है।सुपरटेक को कंपनी के साथ करार करने का आदेश दिया जाए।

दूसरी ओर सुपरटेक की ओर से पेश वकील ने कहा कि उन्हें इसमें कोई ऐतराज नहीं है लेकिन कंपनी को इस काम के लिए कुछ मंजूरी अभी लेनी हैं। एक सप्ताह में मंजूरियां लेने के बाद दो सप्ताह में वह कंपनी के साथ करार साइन कर लेगा। पीठ ने कहा कि मंजूरी आप लेते रहिएगा लेकिन अभी एक सप्ताह के भीतर आप कंपनी के साथ करार करिए।

घर खरीदारों को पैसे वापस करने के मामले में सुपरटेक के वकील ने कोर्ट को बताया कि कंपनी तुरंत पैसे लौटाने को तैयार है लेकिन पैसे को लेकर न्यायमित्र की गणना और घर खरीदारों की गणना में अंतर है। कोर्ट ने सुपरटेक से कहा कि आप होम बायर्स का पैसा वापस करिए और होम बायर्स से कहा कि सुपरटेक जो पैसा दे रहा है उसे वे ले लें इससे उनके अधिकार प्रभावित नहीं होंगे। कोर्ट उनका पक्ष सुनेगा।

वहीं नौ घर खरीदारों की ओर से पेश एक वकील ने कहा कि जिन लोगों ने सुपरटेक के खिलाफ अवमानना याचिका दाखिल नहीं की है उनके पैसे लौटाने पर कंपनी ध्यान नहीं दे रही है। कोर्ट ने कहा कि उन लोगों की अर्जी पर शुक्रवार को सुनवाई की जाएगी। इस बीच सुपरटेक के वकील ने कहा कि अगर घर खरीदार उन्हें आरटीजीएस का डिटेल मुहैया करा दें तो उन्हें पैसा दे दिया जाएगा। कोर्ट ने खरीदारों से ब्योरा उपलब्ध कराने को कहा है। मामले पर शुक्रवार को फिर सुनवाई होगी उसी दिन कोर्ट अवमानना याचिकाओं पर भी सुनवाई करेगा।


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