Railway Encroachment :दिल्ली की 48 हजार झुग्गिया ध्वस्त करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे कांग्रेस नेता अजय माकन
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय माकन ने पूर्व न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ द्वारा दिए गए निर्देशों को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय का रुख किया है।
नई दिल्ली, एएनआइ। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय माकन ने आज (शुक्रवार) पूर्व न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ द्वारा दिए गए निर्देशों को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। जिसमें अदालत ने दिल्ली में लगभग 48,000 झुग्गियों जो रेलवे पटरियों के पास हैं उन्हें ध्वस्त करने का निर्देश दिया था।
अधिवक्ता अमन पंवार और नितिन सलूजा के वकील के माध्यम से दायर याचिका में माकन ने तर्क दिया कि चूंकि प्रत्यक्ष निर्देश विध्वंस को झुग्गीवासियों या प्रतिनिधि को सुने बिना पारित किया गया था, इसलिए इसे बरकरार नहीं रखा जा सकता है।
याचिका में माकन ने आदेश को बताया विनाशकारी
पूर्व केंद्रीय आवास और शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्री माकन ने अपनी याचिका में कहा कि इस तरह के विनाशकारी आदेश को पारित करने से पहले शीर्ष अदालत ने सीधे या प्रतिनिधि क्षमता में एक भी झुग्गी बस्ती में सुनवाई नहीं की है।
महामारी को लेकर दी गई ये दलील
दलील में कहा गया है कि अगर वर्तमान महामारी के बीच बस्तियों को ध्वस्त किया जाता है, तो 2,50,000 से अधिक व्यक्ति आश्रय और आजीविका की तलाश में शहर में घूमने के लिए मजबूर होंगे।
जानकारी के लिए बता दें कि इससे पहले कांग्रेस नेता अजय माकन की वर्ष 2019 की एक याचिका के आधार पर दिल्ली हाई कोर्ट ने निर्देश दिया था कि जेजे कलस्टरों के निवासियों को वैकल्पिक आवास मुहैया कराने का दायित्व दिल्ली सरकार है। इसी के साथ बॉम्बे हाई कोर्ट ने भी एक फैसले में कहा है कि शहरी बस्तियों में लोगों के आवास उजाड़ने से पहले उनके लिए वैकल्पिक आवास उपलब्ध कराना सरकार की जिम्मेदारी है।
इससे पहले दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अनिल चौधरी ने कहा था कि रेल की पटरियों के पास बसी झुग्गियां हटाने के फैसले से राजधानी दिल्ली में करीब दस लाख से अधिक गरीब लोग बेघर हो जाएंगे।
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