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Rising India : गंदगी- संक्रमण से बचाने आया काग़ज़ का छोटा पीकदान, जल्द स्टेशनों पर मिलेगा

कोरोना काल में अनेक नवोन्मेष हुए। वहीं कुछ पहले हो चुके थे जो अब काम आए। इन्हीं में से एक है ईजी स्पिट्टून। यानी थूकने के लिए बनाया गया कागज का विशेष पाउच। इसमें थूकते ही थूक-बलगम पलभर में दानेदार खाद में बदल जाएगा।

By Manish MishraEdited By: Published: Mon, 14 Dec 2020 07:10 AM (IST)Updated: Mon, 14 Dec 2020 07:10 AM (IST)
Rising India : गंदगी- संक्रमण से बचाने आया काग़ज़ का छोटा पीकदान, जल्द स्टेशनों पर मिलेगा
कोरोना से बचाव में सहायक ईजी स्पिट पाउच। सौ. ईजी स्पिट

टीम जागरण, नई दिल्ली। कोरोना काल में अनेक नवोन्मेष हुए। वहीं, कुछ पहले हो चुके थे, जो अब काम आए। इन्हीं में से एक है ईजी स्पिट्टून। कोरोना की रोकथाम में प्रभावी माने गए विश्व के टॉप-5 समाधानों में एक, यानी थूकने के लिए बनाया गया कागज का विशेष पाउच। इसमें थूकते ही थूक-बलगम पलभर में दानेदार खाद में बदल जाएगा। दस रुपये का एक पाउच अनेक बार थूकने के काम आएगा। फिर जहां भी फेंकेंगे, वहां पर पौधा भी उगाएगा। भारतीय रेल और मेट्रो स्टेशनों पर जल्द ही इसकी वेंडिंग मशीनें लगाई जा रही हैं। अतुल पटैरिया की रिपोर्ट।

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ईजी स्पिट्टून जैसे नवोन्मेष के लिए नागपुर, महाराष्ट्र निवासी युवा इंजीनियर प्रतीक हरडे, प्रतीक मल्होत्रा और ऋतु मल्होत्रा को बीते साल काफी सराहना मिली थी। इनके स्टार्टअप 'ईजी स्पिट' ने ऐसे एकाधिक उत्पाद तैयार किए, जो यहां-वहां थूकने से फैलने वाली गंदगी और संक्रामक रोगों की रोकथाम करने में प्रभावी उपकरण साबित होते हैं। इनमें रीयूजेबल ईजी स्पिट बिन, ढक्कनदार गिलास, पाउच जैसे स्पिट्टून (थूकदान) हैं। अब यह उत्पाद रेलवे और मेट्रो स्टेशनों पर उपलब्ध होंगे। इन उत्पादों की विशेषता यही है कि इनमें थूकते ही थूक सूखकर खाद में बदल जाता है। इसका उपयोग घरेलू गमलों या बागवानी में किया जा सकता है। बिन रीयूजेबल है, जबकि ग्लास और पाउच को दिनभर उपयोग करने के बाद निस्तारित करना होता है। 

(ईजी स्पिट गिलास के साथ ऋतु मल्होत्रा।  सौ. ईजी स्पिट)

कंपनी की सीईओ ऋतु मल्होत्रा ने बताया कि वैश्विक शोध संस्थान स्टारटस इनसाइट्स ने हमारे इन उत्पादों को कोरोना काल में उपलब्ध विश्व के उन पांच शीर्ष उपायों में से एक करार दिया है, जो कोरोना के संक्रमण को रोकने में बेहद मददगार साबित हो सकते हैं। कोरोना काल में हमने भारत के पांच राज्यों हरियाणा, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश की सरकारों को अस्पतालों और सार्वजनिक स्थलों में उपयोग के लिए इन्हें उपलब्ध कराने का काम किया है। अब इन उत्पादों को भारत सरकार ने भी कोरोना काल में अत्यंत उपयोगी माना है। इन्हें देश के रेलवे और मेट्रो स्टेशनों में बिक्री के लिए रखे जाने का निर्णय लिया है। 

मोबाइल स्पिट्टून्स यानी पाउच और गिलास की बिक्री के लिए अनुबंध किया गया है। इसके लिए शीघ्र ही रेलवे और मेट्रो स्टेशनों पर वेंडिंग मशीनें लगाई जाएंगी। पाउच दस रुपये का और गिलास बीस रुपये का होगा। वहीं, स्टेशन परिसरों में रीयूजेबल ईजी स्पिट बिन रखी जाएंगी। इससे यहां पहुंचने वाले आगंतुकों को गंदगी रहित, एकदम सूखे और संक्रमण रहित थूकदान की उपलब्धता हो सकेगी। 

(बाएं से क्रमशः प्रतीक मल्होत्रा, ऋतु मल्होत्रा और प्रतीक हरडे। सौ. ईजी स्पिट)

कंपनी के निदेशक प्रतीक हरडे बताते हैं, एक पाउच में दिनभर में अनेक बार थूका जा सकता है। बस जेब से निकालिए, थूकिये, जिप करिये और वापस रख लीजिए। इसमें जरा भी गंदगी का अनुभव नहीं होगा। यह अंदर से भी हरदम सूखा और संक्रमणरहित रहेगा। इसके अंदर पहुंचते ही थूक और बलगम सूखकर दानेदार पाउडर में बदल जाता है और पूरी तरह विषाणुरहित व संक्रमण मुक्त हो जाता है। दरअसल, रेलवे ने इस उत्पाद को स्टेशनों पर मुहैया करा एक तीर से दो निशाने साधने का काम किया है। एक तो स्टेशन परिसर में इस खास बिन से संक्रमण से बचाव होगा, वहीं पैकेट्स कैरी करने से यात्रियों को भी यात्रा के दौरान गाड़ी के बेसिन या टॉचंयलेट में या खिड़की से बाहर थूकने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी, जो कि अन्य यात्रियों को संक्रमण से बचाएगा। दूसरा, स्टेशन परिसर और गाड़ियों पर लगने वाले थूक-पीक के धब्बों को छुड़ाने पर रेलवे को प्रति वर्ष लाखों लीटर पानी बहाना पड़ता है और धन व श्रम भी खर्च होता है। इसमें भी कमी लाई जा सकेगी। हालांकि, थूकने वालों पर जुर्माने का प्रावधान है, लेकिन कोरोना काल में यात्रियों और आगंतुकों को थूकने का सुरक्षित स्थान या साधन मुहैया कराना भी आवश्यक है, ताकि संक्रमण की कहीं कोई गुंजाइश न रहने पाए।

प्रतीक कहते हैं, बीते साल जब हमने इन उत्पादों का सृजन किया था और जिस सोच के साथ किया था, तब हमें औरों की तरह ही बिल्कुल भी अंदेशा नहीं था कि कुछ ही माह बाद कोरोना महामारी दुनिया में कहर बरपा देगी और दुनिया संक्रमण से बचाव के लिए इतनी संवेदनशील हो उठेगी या संक्रमण से बचाव का उपाय जीवन का अहम हिस्सा हो जाएगा। हां, हमने यह अध्ययन अवश्य किया था कि यहां-वहां थूकने के कारण टीवी सहित अन्य संक्रामक बीमारियां उत्पन्न होती हैं। थूक के वाष्पीकृत होकर हवा में मिलने से इसमें मौजूद संक्रामक विषाणु दूसरों को चपेट में लेता है। हमें संतोष है कि यह सभी उत्पाद कोरोना काल में सहायक सिद्ध होने जा रहे हैं।

प्रतीक के अनुसार, हमने अपने स्टार्टअप की अवधारणा ही जल संरक्षण, पर्यावरण औऱ स्वास्थ्य संरक्षण व स्वच्छता जैसे अहम सरोकारों पर केंद्रित की थी। एक लीटर पानी में 24 घंटे तक ठंडी हवा देने वाला कूलर हो या दो महीने तक बिना पानी बदले मछलियों को सुरक्षित रखने वाला एक्वेरियम या फिर ईजी स्पिट्टून, यह सभी ऐसे उत्पाद हैं जो सरोकारों से जुड़े हुए हैं। निजी क्षेत्र से भी हमें इनके लिए अच्छा रिस्पॉन्स मिला है।

'स्पिट फ्री इंडिया' अभियान

इस नवोन्मेष में अहम भूमिका निभाने वाली इंजीनियर ऋतु मल्होत्रा ने बताया कि कोरोना के कारण उत्पन्न परिस्थितियों और न्यू नॉर्मल दौर में हम अपने अभियान 'स्पिट फ्री इंडिया' को जल्द ही नए सिरे से लॉन्च करने जा रहे हैं। इस अभियान को एक सुविख्यात फिल्म स्टार भी प्रमोट करेंगे, जिसकी घोषणा जल्द की जाएगी। इसमें हमने एक नया फीचर भी जोड़ दिया है। अब इस पाउच को जहां भी या जिस निर्धारित खुले स्थान में फेंका जाएगा, वहां पड़े रहने पर और मिट्टी-नमी के संपर्क में आते ही इसमें छिपाए गए बीज पौधे को जन्म देंगे। बता दें कि ईजी स्पिट के लिए इन तीनों युवाओं को बीते साल संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण पुरस्कार के लिए नामित किया गया था। वहीं, फोर्ब्स ने भी इन्हें एशिया- 30 अंडर 30 लिस्ट में अग्रणी स्थान दिया था। इन्हें देश-दुनिया के कुल 22 पुरस्कारों से नवाजा गया।

 

(ऋतु मल्होत्रा, सीईओ, ईजी स्पिट, नागपुर)

नागपुर स्थित ईजी स्पिट की सीईओ ऋतु मल्होत्रा ने कहा कि पिछले साल हमने इन उत्पादों के जरिये स्पिट फ्री इंडिया कैंपेन की शुरुआत की थी, ताकि गंदगी और संक्रमण से बचाने में योगदान दे सकें। तब हमें नहीं पता था कि कभी कोरोना जैसी महामारी भी आएगी और ये उत्पाद दुनिया के लिए इतने अहम हो जाएंगे। सरकार ने समय की मांग को देखते हुए हमारे उत्पादों को बड़े पैमाने पर रेलवे-मेट्रो स्टेशनों पर उपलब्ध कराने का निर्णय लेकर हमें ऐसे ही दूरदर्शी और सार्थक प्रयोग करने का नया हौसला देने का काम किया है। अब हम इसमें एक और अध्याय जोड़ रहे हैं- क्लीन भी करेगा, ग्रीन भी करेगा। 

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