पुराने डीजल और पेट्रोल वाहनों को एनसीआर से बाहर करने की संसदीय समिति ने की सिफारिश
संसदीय समिति ने पुराने और अनफिट वाहनों के संदर्भ में एनजीटी के आदेशों का अनुपालन कड़ाई से करने की सिफारिश की है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली । पुराने और अनफिट वाहनों को सड़कों से हटाने के लिए एक संसदीय समिति ने 10 वर्ष पुराने डीजल और 15 वर्ष पुराने पेट्रोल वाहनों को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) से बाहर करने के एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) के निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन कराए जाने की सिफारिश की है।
कांग्रेस के आनंद शर्मा की अध्यक्षता वाली गृह मंत्रालय की इस समिति ने दिल्ली में रोजाना तकरीबन 12 नए माल वाहनों के प्रवेश पर चिंता जताते हुए पड़ोसी राज्यों से आने वाले वाहनों पर अंकुश के लिए एक सुव्यवस्थित फ्रेट ट्रैफिक रेग्युलेशन पॉलिसी की आवश्यकता निरूपित की है। ऐसे वाहनों को केवल बाहरी सड़कों से गुजरने की अनुमति होनी चाहिए। दिल्ली में 18 फीसद मालवाहक वाहन चलते हैं।
इलेक्ट्रिक वाहनों की जगह स्वच्छ डीजल पर दें जोर
समिति ने दिल्ली के यातायात में दिल्ली सरकार और विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों व विभागों की भूमिका का भी विश्लेषण करते हुए विशिष्ट सिफारिशें की हैं। समिति ने गृह मंत्रालय की ओर से 2020 तक प्रस्तावित अल्पकालिक तथा 2025 तक प्रस्तावित दीर्घकालिक कदमों को समय पर लागू करने को कहा है। जबकि सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय से इलेक्टि्रक वाहनों पर अधिक जोर देने के बजाय स्वच्छ डीजल पर ध्यान देने को कहा है। अन्यथा ऑटोमोबाइल कंपनियों की हालत और खराब होगी। समिति ने शहरी आवासन मंत्रालय से साइकिल जैसे गैर-मोटर वाहनों के यातायात के लिए डेडीकेटेड ट्रैक के लिए विभिन्न एजेंसियों के बीच तालमेल स्थापित करने को कहा है।
दस हजार बसें तुरंत खरीदे जाएं
समिति ने दिल्ली में पिछले दस वर्षो के दौरान बसों की संख्या न बढ़ाए जाने पर अफसोस जताया है और दिल्ली सरकार से 6000 बसें तुरंत खरीदने तथा 1000 बसों की पार्किंग के लिए जमीन उपलब्ध कराने को कहा है। समिति के अनुसार यदि दिल्ली पीडब्लूडी चौराहों और सड़कों के डिजाइन में साधारण परिवर्तन करे और बेकार पड़ी सर्विस लेनों को सड़क में मिला दे तो भी यातायात की स्थिति में काफी सुधार हो सकता है। समिति ने दिल्ली पुलिस से महज ट्रैफिक लाइट के उल्लंघनों पर ध्यान देने के बजाय लेन ड्राइविंग सुनिश्चित कराने, जबकि दिल्ली मेट्रो से यातायात के विभिन्न साधनों के बीच संतुलन स्थापित करने और फीडर बसों की संख्या बढ़ाने का सुझाव दिया है। डीएमआरसी से किरायों को युक्तिसंगत बनाने की अपेक्षा भी की गई है।
समिति ने अतिक्रमण हटाने में विफलता के लिए डीडीए तथा कंप्यूटर आधारित ट्रैफिक मैनेजमेंट तथा एरिया ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम न लागू कर पाने के लिए दिल्ली पुलिस की आलोचना की है। जबकि दक्षिण एशियाई देशों में ये प्रणालियां 30 वर्ष पहले लागू हो चुकी हैं।